अतीक ख़ान
-अखिलेश यादव तो आज़म ख़ान के साथ खड़े होने का दिखावा तक नहीं कर पाए. जब कभी आज़म ख़ान को लेकर अखिलेश यादव से सवाल पूछा गया. तब जवाब के बजाय अखिलेश की खिसियाहट बाहर आई. और पत्रकार पर भड़के दिखाई दिए. चाहें तो गूगल करके देख सकते हैं. अखिलेश ने आज़म ख़ान को जी-भर इग्नोर किया. तब, जब वह 26 महीनों से जेल में हैं. 73 साल के बुजुर्ग आज़म ख़ान ने अब जब, समाजवादी पार्टी से आंखें फेरी हैं, तो अखिलेश बैकफुट पर हैं. और अब ख़ुद सीतापुर जेल जाकर किसी तरह आज़म के मान-मनौवल की तैयारी में हैं. (Azam Khan Akhilesh Yadav)
आज़म ख़ान, अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा से नाराज़ हैं. ये बात तो पखवाड़ा भर पहले ही साफ हो गई थी. जब रामपुर में आज़म ख़ान के मीडिया प्रभारी फसाहत ख़ान-शानू ने अखिलेश यादव पर निशाना साधा था. बात अब नाराज़गी तक सीमित नहीं है. बल्कि आज़म ख़ान अपने विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. और संभावना है कि जल्द ही सपा को अलविदा बोल सकते हैं. इसे यूपी की सियासत में एक बड़े उलटफेर की आहट के तौर पर देखा जा रहा है.
आज़म ख़ान सीतापुर जेल में हैं. और इस अप्रैल महीने में आज़म या उनके परिवार से दूसरे दलों के नेताओं की मुलाकात का सिलसिला तेज हुआ है. प्रसपा नेता और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव ने आज़म ख़ान से जेल में मिल चुके हैं. 20 अप्रैल को राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी ने रामपुर में अब्दुल्ला आज़म और डॉ. तज़ीन फातिमा से मुलाकात की थी. सोमवार को कांग्रेस नेता आचार्य प्रमाेद कृष्णम आज़म से मिलने सीतापुर जेल पहुंचे. जहां क़रीब डेढ़ घंटे तक दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई. (Azam Khan Akhilesh Yadav)
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जेल में बंद आज़म ख़ान ने शिवपाल यादव और आचार्य प्रमोद कृष्णम दोनों नेताओं से मुलाक़ात की है. लेकिन एक दिन पहले यानी रविवार को जब समाजवादी पार्टी के नेता रविदास मेहरोत्रा आज़म ख़ान से मिलने सीतापुर जेल गए थे. तब आज़म ख़ान ने अपनी तबियत का हवाला देते हुए सपा नेता से मिलने से इनकार कर दिया था. जबकि इसके अगले दिन वह कांग्रेस नेता से मिले हैं.
अखिलेश जो अब तक आज़म ख़ान को नज़रंदाज कर रहे थे. हालिया राजनीतिक घटनाक्रमों ने उनकी हवाईयां उड़ा दी हैं. तब और जब सपा नेताओं से मिलने से इनकार कर दिया. इससे मीडिया में फजीहत हुई. तो अखिलेश यादव ने सफाई में कहा कि मैंने किसी नेता को आज़म ख़ान से मिलने नहीं भेजा था. (Azam Khan Akhilesh Yadav)
आज़म ख़ान का राजनीतिक करियर क़रीब 40-42 साल का है. यूपी के सबसे वरिष्ठ और 10वीं बार के विधायक हैं. लोकसभा-राज्यसभा सांसद रहे. यूपी सरकार में मंत्री और नेता-प्रतिपक्ष की ज़िम्मेदारी अदा की. लेकिन ये पहला मौका है, जब वह इतने बेबस हैं. और मज़बूत होने के बाद भी टूटे नज़र आ रहे हैं. ये टूटन विरोधियों की नहीं बल्कि अपनी ही पार्टी के रवैये से आई है.
आज़म ख़ान 26 फरवरी 2020 से जेल में हैं. अपने बेटे अब्दुल्ला आज़म के जाली जन्म प्रमाण पत्र के आरोप में उन्होंने रामपुर कोर्ट में सरेंडर किया था. जेल में 26 महीने हो चुके हैं. इसी दौरान कोविड हुआ. दो बार मौत को मात दी. जब जेल गए थे तो सांसद थे. जेल से ही विधानसभा का चुनाव लड़ा और रिकॉर्ड वोटों से जीत दर्ज की. बाद में अखिलेश ने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया. और अभी विधायक हैं. (Azam Khan Akhilesh Yadav)
क्या नेता प्रतिपक्ष न बनाए जाने से खफा हैं आज़म
-आज़म ख़ान ने जब सांसद पद से इस्तीफा दिया था. तब यही मांग और उम्मीद जताई जा रही थी कि सपा आज़म ख़ान को यूपी का नेता प्रतिपक्ष बनाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अखिलेश यादव खुद ही नेता प्रतिपक्ष बन गए. इसी चुनाव को लेकर शिवपाल यादव भी अखिलेश से नाराज हैं. अब शिवपाल, अखिलेश के ख़िलाफ मोर्चा खोले हैं. आज़म के साथ ही भाजपा नेताओं से भी उनकी मीटिंगें चल रही हैं. आज़म ख़ान के मीडिया प्रभारी भी इस पर अखिलेश की खुलकर आलोचना कर चुके हैं.
यूपी की सियासत का ये नया समीकरण
यूपी चुनाव के बाद राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी और भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आज़ाद की नज़दीकी बढ़ी हैं. राजस्थान में दलित युवक की हत्या पर दोनों साथ में विरोध दर्ज़ कराने गए थे. इधर प्रसपा के नेता शिवपाल सिंह यादव और आज़म ख़ान मिले हैं. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM)भी आज़म ख़ान को साथ लाने की कोशिश में हैं. AIMIM के प्रवक्ता आज़म ख़ान को ज़ेल में पत्र भी भेज चुके हैं. बाकी नेता भी उनके परिवार के संपर्क में हैं. मुसलमानों का एक बड़ा हिस्सा आज़म और ओवैसी के साथ की मांग कर रहा है.
बहरहाल, अब कांग्रेस ने भी आज़म से संपर्क किया है. चूंकि लोकदल, प्रसपा और चंद्रशेखर आज़ाद के साथ मिलकर आज़म ख़ान कोई नया दल बनाएंगे-इसके आसार ज़्यादा नज़र आते हैं. ऐसा होता है तो समाजवादी पार्टी का सत्ता का ख्व़ाब बिखर जाएगा. ज़ाहिर है कि विपक्ष की टूटन से भाजपा का फायदा होगा. और यही वो फैक्ट है जिसकी बुनियाद पर भाजपा, आज़म ख़ान को लेकर अपने तेवर में नरमी ला सकती है. क्योंकि शिवपाल सिंह यादव, भाजपा और आज़म दोनों के संपर्क में हैं. (Azam Khan Akhilesh Yadav)
क्या शिवपाल, आज़म के साथ आ चुके हैं
आज़म ख़ान से जेल में मुलाकात करने निकले शिवपाल सिंह यादव ने मुलायम सिंह यादव को निशाने पर लिया था. ये कहते हुए कि उनके पीएम माेदी से अच्छे रिश्ते हैं. वह चाहते तो आज़म ख़ान जेल से बाहर होते. लेकिन अखिलेश और मुलायम सिंह ने कभी नहीं चाहा कि आज़म ख़ान जेल से बाहर आएं. ये पहला मौका है, जब शिवपाल सिंह ने अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव पर हमला किया है. इतना काफी ये जताने के लिए कि शिवपाल और आज़म एक साथ आ चुके हैं.
आय से अधिक संपत्ति में घिरा रहा मुलायम परिवार
मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव, आय से अधिक संपत्ति के मामले में घिरे रहे हैं. विश्वनाथ चतुर्वेदी ने 2005 में इन पर आय से अधिक संपत्ति जुटाने का इल्ज़ाम लगाया था. इसमें सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर सीबीआइ जांच हुई. उधर बसपा सुप्रिमों मायावती भी आय से अधिक संपत्ति के केस में उलझी रही हैं. यूपी के दोनों प्रमुख दलों के मुखिया लंबे समय से आय से अधिक संपत्ति के केस में उलझे रहे हैं. लेकिन इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसलिए इन्हीं दलों के भीतर से कुछ दबी आवाजें बाहर आती रही हैं कि ईडी और सीबीआई के डर से ही ये नेता भाजपा से मुकाबला करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. (Azam Khan Akhilesh Yadav)