द लीडर : उत्तर प्रदेश सरकार मदरसों का सर्वे कराएगी. आदेश जारी हो चुका है, जिस पर हंगामा मचा है. जमीयत उलमा-ए-हिंद ने राज्य के मदरसा संचालकों के साथ मंगलवार को एक मीटिंग की. जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के नेतृत्व में हुई इस बैठक में सैकड़ों मदरसा टीचर और संस्थापक शामिल हुए. जिन्होंने सर्वेक्षण के आदेश की निंदा की है. इससे पहले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी मदरसा सर्वेक्षण की मंशा पर गंभीर सवाल उठा चुके हैं. (UP Madrasa Survey Jamiat Ulama)
लेकिन बहुत से लोगों का प्रश्न ये है कि राज्य सरकार मदरसों का सर्वे क्यों करा रही है? अगर करा रही तो फ़िर उस पर मदरसा संस्थापक-मुस्लिम संगठनों को क्या आपत्ति है? यूपी सरकार की तरफ़ से अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री दानिश आज़ाद का जवाब है कि मॉर्डन एजुकेशन के लिए मदरसों का सर्वे ज़रूरी है. मतलब, मंत्री दानिश आज़ाद इस सर्वेक्षण प्रक्रिया को मदरसा एजुकेशन में सुधार के रूप में पेश कर रहे हैं. जबकि सांसद असदुद्दीन ओवैसी इसे मुसलमानों को परेशान करने और मिनी एनआरसी के तौर पर देख रहे हैं.
जमीयत उमला-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने सरकार के इस फ़ैसले की सख़्त निंदा करते हुए मंगलवार को बिना सरकारी सहयोग के संचालित मदरसों के नुमाइंदों के साथ बैठक की है. इस मामले में ज़रूरत पड़ने पर मदनी कोर्ट जाने तक की बात कह चुके हैं. इसी से मामले की गंभीरता का अंदाज़ा लगा सकते हैं. (UP Madrasa Survey Jamiat Ulama)
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यूपी में मदरसों की सर्वे प्रक्रिया पर आगे बढ़ने से पहले असम के मदरसों पर एक नज़र डाल लेते हैं. जहां पिछले अगस्त महीने में तीन मदरसों को बुल्डोज किया जा चुका है. प्रतिबंधित समूहों से कथित जुड़ाव को लेकर बुल्डोज़र चलाया गया है.
इसी साल यूपी विधानसभा चुनाव से पहले मदरसों को लेकर काफ़ी शोर सुनाई दिया था. चुनाव के बाद तक इसकी आवाज़ें गूंजती रहीं. दारूल उलूम देवबंद, जोकि सहारनपुर में है और जमीयत उलमा-ए-हिंद के दूसरे समूह के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी इसके प्रिंसिपल हैं. मदरसों पर कट्टरता फैलाने के आरोप लगाना आम बात हो चुकी है.
और अब तो अप्रत्यक्ष रूप से मदरसों के आतंकी कनेक्शन के जुड़ाव वाली रिपोर्ट्स की भरमार है. ऑनलाइन न्यूज़ प्लेटफॉर्म, वन इंडिया न्यूज ने मदरसा सर्वेक्षण प्रक्रिया से संबंधित अपनी एक रिपोर्ट में आतंक के आरोप में पकड़े गए कई ऐसे लोगों का हवाला दिया है, जो मदरसों से पासआउट हैं. यही वो वजह है, जिसको लेकर जमीयत उलमा-ए-हिंद अड़ गई है. और इसे मदरसों को बदनाम करने की साजिश के तौर पर देखा जा रहा है. (UP Madrasa Survey Jamiat Ulama)
यूपी में कोई 16, 461 मदरसे संचालित हैं. इसमें 558 मदरसे अनुदानित हैं यानी सरकारी सहयोग से चलते हैं. बाकी सभी मदरसे ग़ैर-सरकारी हैं. यानी मदरसा संचालक अपने निजी खर्चे पर इन्हें चला रहे हैं. छोटे-मोटे तमाम ऐसे मदरसे हैं, जो पंजीकृत नहीं भी हैं. मसलन जहां कम आबादी है और पढ़ाई के संसाधन नहीं हैं, वहां इन्हीं मदरसों पर पढ़ाई-लिखाई का दारोमदार है. ये अलग बात है कि शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर मुस्लिम समुदाय के अंदर से ही मदरसों की इस हालत की आलोचना होती रहती है. समुदाय मदरसा शिक्षा व्यवस्था में सुधार का तो पक्षधर है, लेकिन आतंक से जोड़ने को लेकर नाराज़ भी है.
राज्य सरकार ने मदरसों के सर्वेक्षण के लिए टीमें गठित कर दी हैं. एसडीएम, बीएस और ज़िला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के नेतृत्व में ज़िलावार सर्वे होगा. कमेटी ग्यारह बिंदुओं पर अपनी सर्वे रिपोर्ट 10 अक्टूबर तक डीएम को देगी. और 25 अक्टूबर तक डीएम इस रिपोर्ट को शासन तक भेजेंगे. जांच के बिंदुओं में मदरसा संसाधन, पठन-पाठन का स्तर, फंडिंग आदि बिंदु शामिल हैं. (UP Madrasa Survey Jamiat Ulama)