द लीडर। जहां एक तरफ केंद्र सरकार ने किसानों की मांगें मानते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया है। वहीं सरकार का ये फैसला चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि, सरकार ने किसानों को रिझाने के लिए और उनका वोट पाने के लिए तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया है। वहीं दूसरी तरफ पार्टियां भी किसानों का समर्थन कर उन्हें मनाने में लगी है। बता दें कि, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के सम्मान में उनके परिजनों को यूपी में 2022 में सरकार बनने पर 25 लाख रुपये की ‘किसान शहादत सम्मान राशि’ देने का एलान किया है।
सरकार आते ही ‘किसान शहादत सम्मान राशि’ दी जाएगी
अखिलेश यादव ने बयान जारी कर कहा कि, किसान का जीवन अनमोल होता है क्योंकि वो ‘अन्य’ के जीवन के लिए ‘अन्न’ उगाता है। हम वचन देते हैं कि, 2022 में समाजवादी पार्टी की सरकार आते ही किसान आंदोलन के शहीदों को 25 लाख की किसान शहादत सम्मान राशि दी जाएगी।
किसान का जीवन अनमोल होता है क्योंकि वो ‘अन्य’ के जीवन के लिए ‘अन्न’ उगाता है।
हम वचन देते हैं कि 2022 में समाजवादी पार्टी की सरकार आते ही किसान आंदोलन के शहीदों को 25 लाख की ‘किसान शहादत सम्मान राशि’ दी जाएगी। #किसान
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 24, 2021
यह भी पढ़ें: UP Election : ओम प्रकाश राजभर का भाजपा पर कटाक्ष, कहा- सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगा मोर्चा
केंद्रीय कैबिनेट ने कानूनों की वापसी पर मुहर लगाई
उधर, तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने कानूनों की वापसी पर मुहर लगा दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने कानूनों को वापस लेने की घोषणा के दौरान कहा था कि, यह कानून किसानों के हित में हैं पर हम उन्हें समझाने में असफल रहे। हालांकि, इसके बाद भी किसानों ने अपनी अन्य मांगों को लेकर आंदोलन जारी रखने का एलान किया है।
किसानों में अन्य मांगों के पूरा होने की उम्मीद जगी
किसान आंदोलन को शुरू हुए एक वर्ष पूरा हो चुका है। इस अवधि में करीब सात सौ किसानों की शहादत हुई है। किसानों की मांग है कि, अब सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर भी मंजूरी दे और अब तक जितने भी किसानों के खिलाफ अलग-अलग राज्यों में मुकदमें दर्ज किए गए हैं। उन्हें वापस ले। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने किसान आंदोलन का एक साल पूरा होने पर सभी मोर्चों पर भीड़ बढ़ाने की पहल शुरू कर दी है। सोमवार को लखनऊ की महापंचायत में ताकत दिखाने के बाद किसानों ने कुंडली बॉर्डर पर भीड़ जुटानी शुरू कर दी है। इसके लिए सोशल मीडिया पर लगातार अपील की जा रही है। तीन कृषि कानून रद्द होने की घोषणा से किसानों में एमएसपी समेत अन्य मांगों के पूरा होने की उम्मीद जगी है।
यह भी पढ़ें: नबीरे आला हज़रत मौलाना तौक़ीर रज़ा ख़ान की सेहत में सुधार, अस्पताल से मिली छुट्टी