द लीडर : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मुस्लिम मतदाताओं को साधने की कोशिशें रफ्तार पकड़ने लगी हैं. इसमें हैदराबाद से सांसद असद्दुदीन ओवैसी की AIMIM की एंट्री ने चुनाव को और दिलचस्प बना दिया है. हालांकि सेकुलर दल AIMIM पर भाजपा को लाभ पहुंचाने का आरोप मढ़ रहे हैं. इसके जवाब में ओवैसी भी 2017 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा इलेक्शन का सिजरा खोल रहे हैं.
इस तर्क के साथ कि उन चुनावों में AIMIM नहीं लड़ी थी. फिर कैसे सपा-बसपा और कांग्रेस हारती रहीं. लेकिन यूपी के मुसलमानों के मन में क्या है? क्या वे ओवैसी के साथ जाएंगे? उनकी सभाओं में उमड़ती भीड़ क्यों राजनीतिक दलों में बैचैनी पैदा किए है. क्या ये भीड़ वोटों में बदल पाएगी. इस मुद्दे पर सुनिए एएमयू के छात्रनेता और सपा की प्रवक्ता सुमैया राणा ने क्या कहती हैं.