शिक्षक भर्ती अभ्यर्थी लगा रहे दफ्तरों के चक्कर,कॉउंसलिंग में क्यों हो रही देरी ?

द लीडर। प्रदेश में जंहा एक तरफ पंचायत चुनाव की धूम है तो 69000 सहायक शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी जिलाधिकारी और बीएस कार्यालय के चक्कर लगा रहे है अगली कॉउंसलिंग को लेकर अभ्यर्थी लगातार ये सवाल कर  रहे है की भर्ती को लेकर देरी क्यों की जा रही है।

योगी सरकार की सबसे बड़ी और सबसे चर्चित भर्ती 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में दो साल की लम्बी लड़ाई के बाद  सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर 69 हजार पदों के लिए कॉउंसलिंग कराई गई लेकिन अभी भर्ती पूरी नहीं हो पाई  है। दरअसल भर्ती दो टुकड़ो में कराई गयी यानि दो कॉउंसलिंग हुई और अब जो सीटे बच गयी है उन पर तीसरी कॉउंसलिंग की तैयारी की जा रही है। बीती 23 मार्च को बेसिक शिक्षा मंत्री  सतीश द्विवेदी ने तीसरी कॉउंसलिंग के बारे में  जानकरी दी थी।


ये तो  थी  भर्ती के बारे में सामान्य जानकारी ,अब बात करते है की समस्या क्या है? इस भर्ती में सबसे खास बात ये है की जब तक अभ्यर्थी सड़को पर आकर प्रदर्शन नहीं करते तब तक इस भर्ती में कोई प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ती यही हाल तीसरी कॉउंसलिंग का भी है पहले तो विभाग टालमटोली करता रहा की बेसिक शिक्षा विभाग वेटिंग लिस्ट जारी ही नहीं करता लेकिन अभ्यर्थियों के धरना प्रदर्शन और मुख्यमंत्री की दखल के बाद विभाग  तीसरी कॉउंसलिंग कराने को तैयार हुआ लेकिन कॉउंसलिंग को लेकर जो अकड़ा दिया गया उससे अभ्यर्थियों और नारजगी फ़ैल गयी क्योकि विभाग की तरफ से ये कहा गया की सिर्फ चार हजार ही सीटें बची है और 1133 सीटें अनुसूचित जाति की है तो अभ्यर्थियों का कहना था विभाग आकड़ा छुपा रहा है। तो इसके बाद  बेसिक शिक्षा सचिव ने जनपदीय चयन कमेटी को रिक्त पदों का विवरण उपलब्ध कराने के निर्देश दिए  बाते तो यंहा तक की जा रही है बेसिक शिक्षा सचिव  के कई बार आदेश के बाद भी अभी तक  विभाग  को डिटेल नहीं मिल पाया है। डिजिटल की दुनिया में जंहा एक क्लिक पर सारे आंकड़े मिल जाते है  लेकिंन  बेसिक शिक्षा विभाग  को अभी भी बाबू लोग अपने हिसाब से चला रहे है। अभ्यर्थी सोशल मीडिया से लेकर अन्य माध्यमों पर लगातार ये मांग कर रहे है  की कमसे कम आंकड़ा तो जारी कर दो फ़िलहाल प्रदेश में  पंचायत चुनाव की धूम है और इस धूम में नहीं लगता की विभाग के बाबू लोग भर्ती में रूचि लेंगे क्योकि जिन पर विभाग की जिम्मेदारी है वो चुनाव प्रचार में ज़्यदा ध्यान देते है।

Abhinav Rastogi

पत्रकारिता में 2013 से हूं. दैनिक जागरण में बतौर उप संपादक सेवा दे चुका हूं. कंटेंट क्रिएट करने से लेकर डिजिटल की विभिन्न विधाओं में पारंगत हूं.

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