28 अगस्त को तोड़े जाएंगे नोएडा में बने ट्विन टावर, 13 साल में बनी इमारतों को टूटने में लगेंगे 12 सेकेंड

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NOIDA TWIN TOWER
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The leader Hindi: नोएडा में बने 32 मंजिला ट्विन टावर को गिराने की बात काफी समय से चल रही है। किसी न किसी वजह से इस पर रोक लग जाती है। अब रविवार दोपहर ढाई बजे ये ट्विन टावर गिरा दिए जाएंगे। इन इमारतों को बनाने में जहां 13 साल लग गए वहां इनके टूटने में सिर्फ 12 सेकेंड लगेंगे। कुतुब मीनार से ऊंचे ट्विन टावर से ठीक 9 मीटर दूर सुपरटेक एमरेल्ड सोसायटी है। यहां 650 फ्लैट्स में करीब 2500 लोग रहते हैं।
देश भर में ज्यादातर लोग देखना चाहते हैं कि ट्विन टावर कैसे टूटेंगे, लेकिन आसपास रहने वालों को डर है कि उनके घर कैसे बचेंगे। घर बच भी गए तो टावर के मलबे से निकली धूल से कैसे बचेंगे। ये जगह सेक्टर-93 में है और नोएडा के महंगे एरिया में शामिल है। यहां 3BHK फ्लैट की कीमत करीब एक करोड़ रुपए है।

 

ट्विन टावर गिराने की जिम्मेदारी एडिफाइस नाम की कंपनी को दी गई है। ये काम प्रोजेक्ट मैनेजर मयूर मेहता की निगरानी में हो रहा है। वे बताते हैं कि हमने बिल्डिंग में 3700 किलो बारूद भरा है। पिलर्स में लंबे-लंबे छेद करके बारूद भरना होता है। फ्लोर टु फ्लोर कनेक्शन भी किया जा चुका है।
मेहता ने बताया कि हम टावर गिराने में वाटरफॉल टेक्नीक इस्तेमाल कर रहे हैं। ये एक तरह का वेविंग इफेक्ट होता है, जैसे समंदर की लहरें चलती हैं। पूरी प्रोसेस उसी तरह होगी। बेसमेंट से ब्लास्टिंग की शुरुआत होगी और 30वीं मंजिल पर खत्म होगी। इसे इग्नाइट ऑफ एक्सप्लोजन कहते हैं। इसके बाद बिल्डिंग गिरना शुरू होगी। इसमें करीब 12 सेकेंड लगेंगे।

मेहता बताते हैं कि जहां-जहां कॉलम में हमने बारूद लगाया है, वहां जियोटेक्सटाइल कपड़ा लगाया गया है इसमें फाइबर कंपोजिट होता है। अगर कोई चीज इससे टकराती है तो वह कपड़े को फाड़ती नहीं, बल्कि रिवर्स होती है। आसपास की इमारत पर भी कपड़े लगा दिए हैं।
अश्विनी कुमार ट्विन टावर से सटी एमरेल्ड गोल्ड सोसायटी में रहते हैं। उनकी बालकनी से दोनों टावर दिखते हैं। टावर की ओर देखते हुए वे अपना गुस्सा नहीं रोक पाते। कहते हैं- घर में पत्नी और बच्चे हैं। पत्नी को सांस की बीमारी है। वह खराब हवा बर्दाश्त नहीं कर सकती।
अश्विनी बालकनी ढंकने के लिए ग्रीन नेट खरीदकर लाए हैं, ताकि टावर में ब्लास्ट हो, तो इससे उड़ने वाली धूल घर में न घुसे। वे बताते हैं कि हमारी दो चिंताएं हैं। पहली- बिल्डिंग गिरने पर धमाका कितना बड़ा होगा और उससे हमारे घरों को नुकसान तो नहीं होगा। दूसरी- डिमोलिशन के बाद कितने दिन तक मलबा उठाया जाएगा। इसमें जितनी देर होगी, उतनी धूल उड़ती रहेगी।
अब रविवार को इन ट्विन टावर के टूटने पर सबकी नजरें इस पर टिकी रहेंगी।

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