दिनेश जुयाल
ऐसा क्या हुआ कि गैरसैंण में चल रहे विधानसभा के बजट सत्र को आनन फानन में चार दिन पहले ही आनिश्चित काल के लिए स्थगित कर सरकार और विधायकों को एयर लिफ्ट कर देहरादून बुलाना पड़ा ? पार्टी के सारे नेता तलब कर लिए गए और पर्यवेक्षक पहुंच गए। त्रिवेंद्र सिंह रावत की कुर्सी कहीं खतरे में तो नहीं? पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वंशीधर भगत और राज्यसभा सांसद नरेश वंसल का तो कहना है कि नेतृत्व परिवर्तन नहीं हो रहा है। तो क्या डैमेज कर लिया गया है या फैसले को टाला जा रहा है?
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पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह ने देहरादून पहुंचकर दोपहर बाद से ही सांसदों, विधायकों और पार्टी पदाघिकारियों के मन की बात सुननी शुरू की और फिर पार्टी की कोर कमेटी की अहम बैठक हुई। प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार भी वहां पहुंच चुके थे।
दो बजे से बीजापुर गेस्ट हाउस में विराजमान रमन सिंह क्या सुन रहे हैं? दिल्ली को क्या सुनाने वाले हैं ? फिर क्या सुनाई देगा ? सब जैसे सांस रोक कर इन सवालों के उत्तर का इंतजार कर रहे हैं। एक बैठक हो चुकी। इसके बाद सबसे पहले मुख्यमंत्री चार बज कर 50 मिनट पर बैठक कक्ष से बाहर निकले। सत्ता के गलियारों में एक ही अटकल घूम रही है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह की कुर्सी खतरे में है।
महिलाओँ पर लाठीचार्ज और कड़ाके की ठंड में वाटरकेनन की मार के बाद पूरे प्रदेश में हुई प्रतिक्रया, गैरसैंण कमिश्नरी बनाने के बाद कुमाऊं और खास कर अल्मोड़ा के लोगों का मूड और पहले से नाराज चल रहे विधायकों की संख्या में इजाफा इन अटकलों की मुख्य वजह माना जा रहा है। और हां त्रिवेंद्र के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में 10 को सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई भी तो है।
कुल मिला कर इस तरह की अटकलों के लिए वजहें मौजूद हैं। शाम को प्रदेश अध्यक्ष ने यह कह कर माहौल शांत करने की कोशिश की कि ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा है। जबकि नरेश वंसल का कहना था कि बैठक में इस मसले पर बात नहीं हुई। तो फिर इतनी हड़बड़ी में इतना कुछ क्यों हुआ?
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उत्तराखंड में मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए खींचतान की लंबी कहानी है। यहां सिर्फ एन डी तिवारी ही अपना कार्यकाल पूरा कर पाए, हालांकि सहज वह भी नहीं रहे। बाकी को या तो आधी पारी मिली या आधे में ही छोड़ना पड़ा। त्रिवेंद्र अपने राज के चार साल पूरे करने पर प्रदेश भर में जश्न की तैयारी कर रहे हैं । सत्ता में पकड़ रखने वाले सूत्र भी इतना तो कह रहे हैं कि कुछ बड़ी गड़बड़ लगती है लेकिन साथ ही यह भी कह रहे हैं कि डैमेज कंट्रोल के प्रयास चल रहे हैं।
त्रिवेंद्र के करीबियों की ओर से बताया जा रहा है कि 18 को सरकार के चार साल पूरे होने पर समारोह की तैयारियों पर चर्चा होनी है और अगले सप्ताह राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के भी देहरादून आने की संभावना के मद्देनजर मंथन होना है। इसीलिए सीएम और मंत्रियों को भी गैरसैंण से बुलाया गया है।
विधानसभा का सत्र दोपहर तक जारी था लेकिन बजट पारित करने की रस्म निपटा कर इसे आनन फानन में अनिश्चतकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। हेलीकाप्टर भेज कर विधायक भी बुला लिए गए। मुख्यमंत्री और मंत्री पहले बुला लिए गए थे। सांसदों को भी सूचना भेजी गई जो जहां था अपने कार्यक्रम छोड़ कर देहरादून के लिए चल दिया।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह जब से इस पद पर आसीन हुए तब से कभी दो तो कभी छह महीने बाद उनके बदलने की अटकलें तैरने लगती हैं। पार्टी के लोगों को दायित्व बांटने और मंत्रिमंडल के विस्तार पर भी वह लंबे समय तक अटकते रहे हैं। हाल ही में उनके दिल्ली दौरे के बाद खबर आयी कि उन्हें मंत्रिमंडल विस्तार की हरी झंडी मिल चुकी है लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ। उनके प्रधानमंत्री से मिलने की बात को कांग्रेस ने झूठी खबर करार दे दिया लेकिन केंद्रीय मंत्रियों से उनकी मुलाकात की तस्वीरें भी छपी।
आम तौर पर जब भी पार्टी में नेतृत्व संकट पैदा हुआ इस तरह अचानक पर्वेक्षक तभी भेजे गए। मेजर जनरल खंडूड़ी और निशंक के अधूरे कार्यकालों में भी ऐसा हुआ। अब तक के घटनाक्रम से भी जाहिर है कि मुख्यमंत्री को भी अचानक होने वाली इस बैठक का कोई पूर्वाभास नहीं था।
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