Tokyo Paralympics: अवनि लेखरा ने किया कमाल, भारत को दिलाया पहला गोल्ड मेडल

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द लीडर हिंदी, नई दिल्ली। मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है…पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। ये लाइनें भारत की अवनि लेखरा पर सटीक बैठ रही है। जी हां हम बात कर रहे है अवनि लेखरा की। जिन्होंने टोक्यो पैरालंपिक्स में गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया है। वैसे तो लड़कियां लड़कों से कम नहीं है। टोक्यों ओलंपिक में भी महिलाओं ने अपना शानदार प्रदर्शन किया। वहीं शूटिंग में गोल्ड मेडल जीतकर अवनि लेखरा ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर स्पर्धा एसएच-1 में यह स्वर्ण पदक जीता। टोक्यो पैरालंपिक में भारत का यह पहला स्वर्ण पदक है।


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एक दुर्घटना ने बदल दी जिंदगी

आपको बता दें कि, अवनि को यह जीत इतनी आसानी से नहीं मिली है। इस मुकाम पर पहुंचने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा है। यहां तक की अवनि जब महज 11 साल की थी जब उसकी एक दुर्घटना से जिंदगी ही बदल गई। लेकिन अवनि ने फिर भी हार नहीं मानी। और आज अवनि ने इतिहास रच दिया है। बता दें कि, 11 साल की उम्र में अवनि लेखरा की जिंदगी उस समय बदल गई जब एक दुर्घटना के चलते उन्हें पैरालिसिस का शिकार होना पड़ा और चलने के लिए व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ गया। लेकिन अवनि ने हार नहीं मानी और आगे बढ़ने को ठान लिया। दुर्घटना के महज तीन साल बाद ही अवनी ने शूटिंग को अपनी जिंदगी बनाया और महज पांच साल के भीतर ही अवनी ने गोल्डन गर्ल का तमगा हासिल कर लिया।

दुर्घटना के बाद गुमशुम रहने लगी थीं अवनि

अवनि के पिता प्रवीण बताते हैं कि, दुर्घटना के बाद गुमशुम रहने लग गई थी। किसी से बात नहीं करती थी, पूरी तरह डिप्रेशन में चली गई थी। उन्होंने कहा कि भीषण दुर्घटना के कारण इसकी पीठ पूरी तरह काटनी पड़ी। इतनी कमजोर हो गई थी कि कुछ कर नहीं पाती थी। यहां तक की कोई हल्का सामान भी उठाना मुश्किल हो रहा था। अवनि के माता-पिता ने कहा कि 12 साल की उम्र में जब अवनि को पैरालिसिस हुआ तो वह काफी टूट गई थीं। उस समय सोचा की अवनी  को किसी खेल से जोड़ा जाए और काफी सोच-विचार के बाद मैंने इसे शूटिंग में हाथ आजमाने को कहा। अवनि के पिता ने कहा कि शूटिंग में पहली बार तो इससे गन तक नहीं उठी थी, मगर आज इसकी वजह से टोक्यो पैरालिम्पिक के पोडियम पर राष्ट्रगान गूंजेगा। खेल के साथ ही अवनी पढ़ाई में भी काफी होशियार हैं। इसके साथ ही अन्य क्रियाकलाप में भी अवनी सबसे अव्वल रहती हैं।


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…जब अवनि ने शूटिंग को अपनी जिंदगी बना ली

अवनि के पिता ने बताया कि, दुर्घटना के बाद जब यह परेशान रहने लगी थी तब मन बहलाने के लिए इसे शूटिंग रेंज लेकर गया था। यहीं से अवनि में रुचि जगने लगी। अवनि ने शूटिंग को अपनी जिंदगी बना ली। वह इसके लिए तबतक मेहनत करती रहती थीं जब तक कि थक कर चूर न हो जाए।

अवनि के लिए कोरोना काल रहा मुश्किल भरा

कोरोना के चलते अवनि को पिछले दो सालों से काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इस दौरान उनकी प्रैक्टिस पर भी काफी असर पड़ा। लेकिन उनके पिता ने घर में टारगेट सेट कर अवनी की प्रैक्टिस में कोई कसर नहीं छोड़ी। पैरालंपिक की तैयारी कर रही अवनि घर पर ही टारगेट पर प्रैक्टिस कर रही थीं साथ ही उस समय उनका गोल्ड पर निशाना साधना ही लक्ष्य था। इसके लिए वो नियमित रूप से जिम और योगा पर ध्यान दे रही थीं। उन्होंने फिट रखने के लिए खान-पान का विशेष रूप से ध्यान रखा।


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पीएम मोदी ने दी बधाई

आज देश के लिए गोल्ड लाकर अवनि ने इतिहास रच दिया है। पूरा देश अवनि को इस जीत की बधाई दे रहा है। पीएम मोदी ने भी अवनि को बधाई दी। और कहा कि, अभूतपूर्व प्रदर्शन अवनि लेखरा. यह आपके मेहनती स्वभाव और शूटिंग के प्रति जुनून के कारण संभव हुआ. आपको स्वर्ण जीतने के लिए बधाई. यह वास्तव में भारतीय खेलों के लिए एक विशेष क्षण है. आपको भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं.


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भारत की एक और बेटी ने हमें गर्व करने का मौका दिया- राष्ट्रपति

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला अवनि लेखरा को उनकी शानदार उपलब्धि पर बधाई दी और कहा कि, उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन से भारत प्रफुल्लित है. राष्ट्रपति ने एक ट्वीट में कहा कि, भारत की एक और बेटी ने हमें गर्व करने का मौका दिया है. इतिहास रचने और पैरालंपिक में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनने पर अवनि लेखरा को बधाइयां. आपके उत्कृष्ट प्रदर्शन से भारत प्रफुल्लित है. आपकी असाधारण उपलब्धि से पोडियम पर हमारा तिरंगा लहराया.


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