कुदरत का कहर, पिथौरागढ़ में बादल फटा, 3 की मौत कई लापता

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द लीडर हिंदी, पिथौरागढ़। पहाड़ों पर इन दिनों कुदरत अपना जमकर कहर बरपा रही है. कहीं भारी बारिश से हाल बेहाल है तो कहीं बादल फटने से तबाही मची हुई है. इसके साथ ही कई रास्ते बंद हो गए है जिससे हालात काफी खराब हो गए है. पहाड़ पुर मूसलाधार बारिश के साथ बादल फटने, चट्टाने गिरने से हालात बिगड़ रहे हैं. पिथौरागढ़ जिले के धारचूला स्थित जुम्मा गांव में बादल फट गया. जानकारी के मुताबिक, मलबे की चपेट में आने से 3 लोगों की मौत हो गई है, जबिक 7 लोग अभी भी लापता हैं. वहीं, इस घटना से स्थानीय लोग दहशत में हैं.


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बादल फटने से दर्जनों घर जमीदोंज हुए

पिथौरागढ़ में बादल फटने से व्‍यापक पैमाने पर नुकसान की सूचना है. दर्जनों घर जमीदोंज हो गए हैं. इसके साथ ही राहत बचाव कार्य अभी जारी है. जानकारी के मुताबिक, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ टीम मौके पर पहुंच कर राहत एवं बचाव कार्य में जुट गई है.

सीएम पुष्कर ने घटना पर जताया दुख

इससे पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद ट्वीट कर इस घटना के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि, पिथौरागढ़ के जुम्मा गांव के पास भूस्खलन की वजह से 2 लोगों की दुखद मौत हो गई और 5 अन्य की मलबे में दबे होने की खबर है. इस विषय में जिलाधिकारी से बात कर रेस्क्यू मिशन तेज करने का निर्देश दिया गया है. मैं वहां फंसे लोगों की सलामती के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूं.


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पिछले हफ्ते भी भारी बारिश ने मचाई थी तबाही

बता दें कि, पिछले हफ्ते भी पिथौरागढ़ जिले की बॉर्डर तहसीलों में मूसलाधार बारिश ने भारी तबाही मचाई थी. बारिश की वजह से हो रहे लैंडस्लाइड के कारण कई रास्ते बंद हो गए थे. वहीं, आमलोगों को भी खतरों का सामना करना पड़ रहा था. वहीं टिहरी में बारिश के बीच हाईवे का एक हिस्सा बह निकला.


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टिहरी में भारी बारिश से आफत

उत्तराखंड में भारी बारिश से नेशनल हाईवे नबंर 94 बह गया. टिहरी में नरेंद्र नगर के पास मूसलाधार बारिश की वजह से हाईवे का एक हिस्सा बह गया और यातायात ठप पड़ गया. सड़क का हिस्सा पानी के प्रहार से ध्वस्त हो गया. प्रशासन खतरे की जद में आए परिवारों को जीआईसी धारचूला में शिफ्ट कर रहा है. वहीं पहाड़ी से गिरे पत्थर की चपेट में आने से एक शख्स की मौत हो गई. बारिश के बीच राहत और बचाव का काम भी बड़ी चुनौती साबित हो रही है.

बता दें कि, पहाड़ में कुदरत हमेशा ही अपना कहर बरपाती है. और हजारों लोग काल के गाल में समा जाते है. एक-एक कस्बे को बसाने और संवारने में सदियां लग जाती हैं. पर उजड़ने में सिर्फ चंद मिनट लगते हैं. आसमान से आई आफत फकत चंद मिनट की होती है. पर उस आफत से उबरने में बरसों लग जाते हैं. उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में बादल फटते रहते है. जिससे कई रास्ते बंद हो जाते है. और लोगों के साथ यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.


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