सुप्रीम कोर्ट ने कहा- “हाईकोर्ट ने मदरसा एक्ट के प्रावधानों को समझने में भूल की”

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द लीडर हिंदी : ‘यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004’ को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के 22 मार्च के उस फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है. जिसमें हाईकोर्ट ने यूपी मदरसा एक्ट को असंवैधानिक करार दे दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हाईकोर्ट ने मदरसा एक्ट के प्रावधानों को समझने में भूल की है. हाई कोर्ट का ये मानना कि ये एक्ट धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है, जो ग़लत है.

” सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही मदरसा बोर्ड के 17 लाख छात्रों और 10 हजार अध्यापकों को अन्य स्कूलों में समायोजित करने की प्रक्रिया पर भी रोक लगा दी है. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया है. कोर्ट ने यूपी और केंद्र सरकार को 31 मई तक जवाब दखिल करने को कहा है. जुलाई के दूसरे हफ्ते में इस मामले पर सुनवाई होगी और तब तक हाईकोर्ट के फैसले पर रोक रहेगी.

बता दें कि अंशुमान सिंह राठौर नामक एक वकील ने यूपी मदरसा कानून की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर हाईकोर्ट ने मदरसा कानून को असंवैधानिक मानते हुए इसे खत्म करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट की जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपने आदेश में राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह राज्य के मदरसों में पढ़ रहे छात्रों को अन्य स्कूलों में समायोजित करे.

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मदरसा बोर्ड की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हाईकोर्ट का अधिकार नहीं बनता कि इस एक्ट को रद्द करे.17 लाख छात्र इस फैसले से प्रभावित हुए हैं. वहीं, करीब 25000 मदरसे प्रभावित हुए हैं. ये लगभग 125 साल पुराना है, 1908 से मदरसा रजिस्टर हो रहे हैं.

बताते चलें कि हाईकोर्ट के यूपी मदरसा एक्ट को असंवैधानिक करार दिए जाने पर आला हज़रत की नगरी कहे जाने वाले बरेली में दरगाह अाला हज़रत से जुड़े संगठन जमात रज़ा-ए-मुस्तफ़ा की तरफ से सुप्रीम कोर्ट का रुख़ करने का एलान किया गया था. इसी तरह मुंबई से मुस्लिम स्कॉलर सय्यद मुईनुद्दीन अशरफ उर्फ मुईन मियां ने भी हाईकोर्ट के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही थी. इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है.

बरेली में दरगाह आला हज़रत में इमाम अहमद रज़ा ख़ान के हाथों स्थापित मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम, ख़ानदान की सबसे बुज़ुर्ग शख़्सियत मौलाना मन्नान रज़ा ख़ान का मदरसा जामिया नूरिया रज़विया सरकारी सहायता से चल रहे हैं. इन दो मदरसों के अलावा मुहल्ला सराय ख़ाम का इशातुल उलूम, क़ाज़ी टोला का मदरसा अशफ़ाक़िया और सेंथल का मदरसा जामिया में हदिया सरकार से सहायता प्राप्त है. इन मदरसों में 12 टीचर, एक प्रिंसीपल, क्लर्क और चपरासी की तनख़्वाह सरकार देती है. इन मदरसों में सैकड़ों छात्र तालीम हासिल कर रहे हैं. मदरसा इशातुल उलूम में तो मिनी आइटीआइ भी संचालित है. स्थानीय के अलावा देश के दूसरे राज्यों के बच्चे भी इनमें पढ़ रहे हैं.

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