अल्लाह के रसूल की ज़िंदगी पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों से मुहब्बत की भी गवाह-अहसन मियां

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Dargah Ala Hazrat PFI Ban

द लीडर. आमद-ए-रसूल यानी ईदमिलादुन्नबी देशभर में अक़ीदत-ओ-एहतराम के साथ मनाई जा रही है. बारिश के सबब जुलूस-ए-मुहम्मदी का आयोजन सादगी के साथ किया जा रहा है. रूट पर पानी भरा होने के सबब दिक़्क़त खड़ी हो गई है. शाम में यूपी के ज़िला बरेली में बड़ा जुलूस निकाला जाता है, उस पर भी बारिश से संकट खड़ा हो गया है. इस बीच सुन्नी बरेलवी मुसलमानों के मरकज़ दरगाह आला हज़रत पर मौलाना सुब्हान रज़ा ख़ान सुब्हानी मियां की सरपरस्ती और सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी की सदारत में महफ़िल सजाई गई.


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सज्जादानशीन ने अपने ख़िताब में अल्लाह के रसूल की अहम बातों को सामने रखा. बताया कि अल्लाह ने अपने रसूल को तमाम दुनिया के लिए रहमत बनाकर भेजा. आपने न सिर्फ़ इंसानों बल्कि पशु-पक्षियों और पेड़ पौधों के हक़ में भी लोगों को जगाया. हरियाली सलामत रखने के लिए पौधे लगाने को सवाब का काम क़रार दिया. महिलाओं के हक़ बताए. तालीम पर ज़ोर दिया. सूद (ब्याज) को हराम बताया. मुफ़्ती अहसन मियां ने भाईचारा और अमन-चैमन क़ायम रहने के लिए दुआ भी कराई.


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मुफ़्ती मुहम्मद सलीम नूरी ने अपनी तक़रीर में कहा कि विश्व के अधिकतर देशों में अशान्ति फैली हुई है,विशेषकर इस्लामिक देशों में. उसकी वजह यह है कि अपने नबी के बताए हुए रास्ते और सिद्धान्तों से हटकर हुकूमत करने लगे. यदि इन्हें अपने अपने समाज और देश में शान्ति स्थापित करना है तो नबी के बताए शान्तिवाद व मानवतावाद को बढ़ावा देना होगा. यह काम सिर्फ़ इस्लाम की सुन्नी, सूफी, खानक़ाही विचारधारा के ज़रिये ही किया जा सकता है. देश में फैलती हिन्दु-मुस्लिम नफ़रत व दूरी पर कहा कि यह न देश और न समाज हित में है. जश्न-ए-ईदमिलादुन्नबी सीख देती है कि हम सब मुसलमान अपने नबी के अख़लाक़ को ज़िंदगी का अहम हिस्सा बना लें.


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महफ़िल का आग़ाज़ क़ुरानख़्वानी से हुआ. हाजी गुलाम सुब्हानी व आसिम नूरी ने मिलादे पाक का नज़राना पेश किया. मीडिया प्रभारी नासिर क़ुरैशी ने बताया कि ईदमिलादुन्नबी के मौक़े पर दरगाह प्रमुख सुब्हानी मियां की तरफ़ से लंगर भी तक़सीम किया गया.


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