जमीयत उलमा-ए-हिंद की एग्जिक्यूटिव काउंसिल ने मौलाना महमूद मदनी को चुना अध्यक्ष

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Jamiat Ulama Hind Maulana Mahmood Madni President

द लीडर : जमीयत उलमा-ए-हिंद की एग्जिक्यूटिव काउंसिल ने मौलाना महमूद मदनी को अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना लिया है. गुरुवार को जमीयत की सर्वोच्च समिति की बैठक में ये फैसला लिया गया है. पिछले दिनों जमीयत के अध्यक्ष कारी उस्मान मंसूरपुरी के इंतकाल के बाद ये पद रिक्त चल रहा था. (Jamiat Ulama Hind Maulana Mahmood Madni President)

सुन्नी-देवबंद विचारधारा से ताल्लुक रखने वाला जमीयत उलमा-ए-हिंद, न सिर्फ अपने थॉट बल्कि भारतीय मुसलमानों का सबसे बड़ा संगठन माना जाता है. कारी उस्मान मंसूरपुरी इसके अध्यक्ष थे, जिनका 21 मई को संक्रमण के कारण इंतकाल हो गया था. कारी उस्मान देश और दुनिया के बड़े मुस्लिम विद्वानों में शामिल थे. अब इस संगठन में मौलाना महमूद मदनी बड़े बुद्धिजीवियों में गिने जाते हैं. गुरुवार को बैठक के बाद जमीयत ने मौलाना को अध्यक्ष चुने जाने का संदेश जारी किया है.


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जमीयत उलमा-ए-हिंद की स्थापना 1919 में हुई थी. इसके संस्थापकों में उस वक्त के बड़े स्कॉलर हुसैन अहमद मदनी, अहमद सईद देहलवी, किफायतुल्ला देहलवी, मुहम्मद नईम लुधियानवी, अहमद अली लाहोरी, अनवर शेख कश्मीरी, अब्दुल हक, अब्दुल हलीम सिद्दीकी, नूरुद्दीन बिहारी, अब्दुल बारी फिरंगी महली आदि शामिल हैं.

जमीयत ने आजादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. इसके उलमा ब्रिटिश राज के खिलाफ लगातार मुखर रहे. भारतीयों में एकता और एकजुटता के लिए तमाम मुस्लिम संगठनों ने मिलकर आजाद इंडिया मुस्लिम कांफ्रेंस आयोजित की थी. जमीयत इसका प्रमुख सदस्य था.

मौजूदा संगठन में दो समूह है. एक मौलाना महमूद मदनी का तो दूसरा मौलाना अरशद मदनी का. इन समूहों को ए और एम धड़ों के रूप में भी जाना जाता है. पूर्व अध्यक्ष कारी उस्मान मंसूरपुरी एम समूह से संबंध रखते थे.

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