द लीडर हिंदी, लखनऊ | स्विट्जरलैंड में धन और प्रॉपर्टी रखने वाले कुछ और भारतीयों की पोल खुलने जा रही है। स्विट्जरलैंड इस महीने ऑटोमैटिक सूचना आदान-प्रदान समझौते के तहत भारतीय नागरिकों से जुड़े स्विस खातों की तीसरी किस्त सौंपने जा रहा है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि स्विट्जरलैंड की ओर से इस बार जो डाटा दिया जाएगा, उसमें भारतीय नागरिकों की वहां मौजूद रियल स्टेट प्रॉपर्टीज और इस तरह की संपत्ति से हुई कमाई का ब्यौरा शामिल होगा। कालेधन के खिलाफ जंग में इसे बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है।
स्विट्जरलैंड की ओर से उन भारतीय नागरिकों का डाटा सरकार को दिया जाएगा, जिनके फ्लैट और अपार्टमेंट वहां हैं। इन प्रॉपर्टीज से हुई कमाई का ब्यौरा भी दिया जाएगा, ताकि सरकार इस बात की जांच कर सके कि क्या इन पर कोई टैक्स देनदारी बनती है। यह तीसरी बार है जब भारत को स्विट्जरलैंड से नागरिकों के बैंक खातों और वित्तीय संपत्तियों की जानकारी मिलेगी। लेकिन पहली बार रियल स्टेट प्रॉपर्टीज से जुड़ी जानकारियां साझा की जाएंगी।
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भारत के लिए यह जानकारी है काफी एहम
विदेश में जमा काले धन के खिलाफ भारत सरकार की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम के तहत भारत को इस महीने स्विट्जरलैंड में भारतीयों के स्वामित्व वाले फ्लैट, अपार्टमेंट और घरों के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी। भारत को साथ ही ऐसी संपत्तियों से होने वाली कमाई की भी जानकारी मिलेगी। इससे देश को उन संपत्तियों से जुड़ी टैक्स देनदारियों पर ध्यान देने में मदद मिलेगी।
पहली बार अचल संपत्ति की जानकारी होगी शामिल
यह तीसरा मौका होगा जब भारत को स्विट्जरलैंड में भारतीयों के बैंक खातों और अन्य संपत्तियों के बारे में विवरण मिलेगा। लेकिन यह पहली बार होगा जब भारत के साथ साझा की जा रही जानकारी में अचल संपत्ति की जानकारी शामिल होगी। अधिकारियों ने बताया कि जहां स्विटजरलैंड की सरकार अचल संपत्ति का विवरण साझा करने के लिए सहमत हो गयी है, गैर-लाभकारी संगठनों और ऐसे दूसरे संगठनों में योगदान के बारे में जानकारी, साथ ही डिजिटल मुद्राओं में निवेश का विवरण अब भी सूचना के स्वचालित आदान-प्रदान की इस संरचना से बाहर है।
विशेषज्ञों और स्विट्जरलैंड में निवेश आकर्षित करने के कारोबार में लगे लोगों ने कहा कि इस कदम से स्विस संपत्तियों में प्रवाहित सभी धन के अवैध होने के बारे में गलत धारणाओं को दूर करने में मदद मिलेगी और देश को अचल संपत्तियों में निवेश सहित एक पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करने में काफी मदद मिलेगी।
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भारत को कब मिला था पहला विवरण?