काला धन रखने वालों की मुसीबत, भारत को तीसरी बार मिलेगा स्विस बैंक खातों के संचालन का विवरण

0
242

द लीडर हिंदी, लखनऊ | स्विट्जरलैंड में धन और प्रॉपर्टी रखने वाले कुछ और भारतीयों की पोल खुलने जा रही है। स्विट्जरलैंड इस महीने ऑटोमैटिक सूचना आदान-प्रदान समझौते के तहत भारतीय नागरिकों से जुड़े स्विस खातों की तीसरी किस्त सौंपने जा रहा है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि स्विट्जरलैंड की ओर से इस बार जो डाटा दिया जाएगा, उसमें भारतीय नागरिकों की वहां मौजूद रियल स्टेट प्रॉपर्टीज और इस तरह की संपत्ति से हुई कमाई का ब्यौरा शामिल होगा। कालेधन के खिलाफ जंग में इसे बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है।

स्विट्जरलैंड की ओर से उन भारतीय नागरिकों का डाटा सरकार को दिया जाएगा, जिनके फ्लैट और अपार्टमेंट वहां हैं। इन प्रॉपर्टीज से हुई कमाई का ब्यौरा भी दिया जाएगा, ताकि सरकार इस बात की जांच कर सके कि क्या इन पर कोई टैक्स देनदारी बनती है। यह तीसरी बार है जब भारत को स्विट्जरलैंड से नागरिकों के बैंक खातों और वित्तीय संपत्तियों की जानकारी मिलेगी। लेकिन पहली बार रियल स्टेट प्रॉपर्टीज से जुड़ी जानकारियां साझा की जाएंगी।


यह भी पढ़े –महिला आयोग की टीम ने मुंबई बलात्कार पीड़िता के परिवार से मुलाकात की, वारदात स्थल पर गई


भारत के लिए यह जानकारी है काफी एहम 

विदेश में जमा काले धन के खिलाफ भारत सरकार की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम के तहत भारत को इस महीने स्विट्जरलैंड में भारतीयों के स्वामित्व वाले फ्लैट, अपार्टमेंट और घरों के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी। भारत को साथ ही ऐसी संपत्तियों से होने वाली कमाई की भी जानकारी मिलेगी। इससे देश को उन संपत्तियों से जुड़ी टैक्‍स देनदारियों पर ध्यान देने में मदद मिलेगी।

पहली बार अचल संपत्ति की जानकारी होगी शामिल

यह तीसरा मौका होगा जब भारत को स्विट्जरलैंड में भारतीयों के बैंक खातों और अन्य संपत्तियों के बारे में विवरण मिलेगा। लेकिन यह पहली बार होगा जब भारत के साथ साझा की जा रही जानकारी में अचल संपत्ति की जानकारी शामिल होगी। अधिकारियों ने बताया कि जहां स्विटजरलैंड की सरकार अचल संपत्ति का विवरण साझा करने के लिए सहमत हो गयी है, गैर-लाभकारी संगठनों और ऐसे दूसरे संगठनों में योगदान के बारे में जानकारी, साथ ही डिजिटल मुद्राओं में निवेश का विवरण अब भी सूचना के स्वचालित आदान-प्रदान की इस संरचना से बाहर है।

विशेषज्ञों और स्विट्जरलैंड में निवेश आकर्षित करने के कारोबार में लगे लोगों ने कहा कि इस कदम से स्विस संपत्तियों में प्रवाहित सभी धन के अवैध होने के बारे में गलत धारणाओं को दूर करने में मदद मिलेगी और देश को अचल संपत्तियों में निवेश सहित एक पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करने में काफी मदद मिलेगी।


यह भी पढ़े –सुपर डीलक्स: रिश्तों को नया अर्थ देने का प्रयास


भारत को कब मिला था पहला विवरण?

भारत को सितंबर 2019 में एईओआई (सूचना का स्वत: आदान-प्रदान) के तहत स्विट्जरलैंड से पहली बार इस तरह का विवरण मिला था। उस साल भारत ऐसी जानकारी प्राप्त करने वाले 75 देशों में शामिल था। इसके बाद सितंबर 2020 में, भारत को 85 अन्य देशों के साथ दूसरी बार अपने नागरिकों और संस्थाओं के स्विस बैंक खातों का विवरण मिला था।

इस साल से, स्विट्जरलैंड के सर्वोच्च शासी निकाय फेडरल काउंसिल ने ‘ग्लोबल फोरम ऑन ट्रांसपरेंसी एंड एक्सचेंज ऑफ इंफोरमेशन फोर टैक्स पर्पसेज’ की एक महत्वपूर्ण सिफारिश को लागू करने का फैसला किया है, जिसके तहत स्विस अधिकारी देश के रियल एस्टेट क्षेत्र में विदेशियों द्वारा किए गए निवेश के बारे में विवरण भी साझा करेंगे।

हालांकि, ग्लोबल फोरम की कुछ अन्य सिफारिशों को अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है जिनमें डिजिटल मुद्रा खातों और गैर-लाभकारी संगठनों एवं दूसरे संगठनों को दिए गए दान की जानकारी शामिल हैं, और इसलिए स्विट्जरलैंड अभी इससे जुड़े विवरण भारत या किसी अन्य देश के साथ साझा नहीं करेगा।


यह भी पढ़े –UP Politics: सीएम योगी के ‘अब्बाजान’ वाले बयान पर सियासी घमासान, विपक्ष ने लिया आड़े हाथों


नहीं मिलेगी ये जानकारी

स्विटजरलैंड पहली बार भारतीय नागरिकों के स्वामित्व वाली अचल संपत्ति की संपत्ति के बारे में जानकारी साझा करने के लिए सहमत हुए हैं। नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन को दान या योगदान या डिजिटल करेंसी में निवेश जैसी जानकारी अभी भी AEOI समझौते से बाहर है।

बता दें कि भारत को सितंबर 2019 में स्विट्जरलैंड से पहली बार डेटा मिला था। उस साल भारत ऐसी जानकारी प्राप्त करने वाले 75 देशों में शामिल था। इसके बाद सितंबर 2020 में, भारत को 85 अन्य देशों के साथ दूसरी बार अपने नागरिकों और संस्थाओं के स्विस बैंक खातों का डेटा मिला था।

विशेषज्ञों और स्विट्जरलैंड में निवेश आकर्षित करने के कारोबार में लगे लोगों ने कहा कि इस कदम से स्विस संपत्तियों में प्रवाहित सभी धन के अवैध होने के बारे में गलत धारणाओं को दूर करने में मदद मिलेगी। देश को अचल संपत्तियों में निवेश सहित एक पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करने में काफी सहायता होगी।


यह भी पढ़े –NSUI ने राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पारित किया, बताई यह वजह


LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here