द लीडर हिंदी : देशभर में सीएए के खिलाफ बवाल मचा हुआ है. इस कानून को हटाने की मांग की जा रही है .200 से ज्यादा याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई शुरू हुई. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सीएए पर किसी भी तरह की रोक लगाने से इनकार कर दिया है. अदालत ने केंद्र सरकार से सीएए पर तीन हफ्ते में जवाब तलब किया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है. 9 अप्रैल को फिर सुुनवाई होगी.
बतादें आज नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (CAA) मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केन्द्र की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है. इस पर याचिकाकर्ताओं की तरफ से इंदिरा जयसिंह ने दलील दी कि इस कानून पर रोक लगाई जाए और इस मामले को बड़ी बेंच के सामने भेजा जाए. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद केन्द्र सरकार को राहत दी है. CAA नोटिफिकेशन पर फिलहाल रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह 9 अप्रैल को मामले की सुनवाई करेंगे. तब तक 3 हफ्ते के अंदर केन्द्र सरकार को जवाब देना होगा.
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 236 याचिकाओं में से कितने मामले में हमने नोटिस जारी किया है? हम बाकी याचिकाओं पर भी नोटिस जारी कर तारीख दे देते हैं. कोर्ट ने कहा कि सरकार ने नोटिफिकेशन पर रोक की मांग वाली याचिका पर जवाब देने का समय मांगा है ऐसे में उन्हें समय देना चाहिए. याचिकाकर्ता ने कहा कि उस स्थिति में नोटिफिकेशन के लागू होने पर रोक लगाई जानी चाहिए.
जानिए कपिल सिब्बल ने क्या दलील दी?
कोर्ट ने पूछा कि केन्द्र सरकार कब तक जवाब दाखिल करेगी. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि चार हफ्ते में जवाब दाखिल करेंगे. वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि नोटिफिकेशन 4 साल 3 महीने बाद जारी हुआ हैं. अगर नागरिकता देना शुरू हुआ तो उसे वापस लेना संभव नहीं होगा. ऐसे में नोटिफिकेशन पर रोक लगाई जाए.वही सिब्बल ने कहा कि नोटिफिकेशन पर रोक लगाई जाए और कुछ लोगों को सिटिजनशिप दी गई है. अगर रोक नहीं लगाई गई तो इन याचिकाओं का कोई मतलब नहीं रह जाएगा. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि चाहे किसी को नागरिकता मिले या ना मिले याचिकाकर्ताओं को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. इस पर इंदिरा जय सिंह ने कहा कि ये मामला संवैधानिक जांच का है.
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