सुप्रीमकोर्ट ने त्रिपुरा हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने वालों को UAPA केस में गिरफ्तारी से दी सुरक्षा

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Supreme Court Tripura Violence
सुप्रीमकोर्ट और सीजेआइ एनवी रमना.

द लीडर : त्रिपुरा हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने वाले 102 एक्टिविस्ट, वकील, पत्रकार और छात्रों को गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के केस में सुप्रीमकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. शीर्ष अदालत ने उन सभी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस डीवाइ चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की खंडपीठ ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भी जारी किया है. (Supreme Court Tripura Violence)

अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में त्रिपुरा में मुस्लिम विरोधी सांप्रदायिक हिंसा भड़की थी. जिसमें स्थानीय अल्पसंख्यक समुदाय के धार्मिक स्थल और संपत्तियों को निशाना बनाया गया था. त्रिपुरा पुलिस हिंसा की खबरों को नकारती रही.

इसी बीच सुप्रीमकोर्ट के वकील एहतिशाम हाशमी के नेतृत्व में वकीलों की एक टीम ने त्रिपुरा के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया. और फैक्ट जुटाए, जिसमें ये कहा कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ सुनियोजित तरीके से हिंसा भड़की है. इन त्थ्यों को सार्वजनिक करने पर पुलिस ने एडवोकेट अंसार इंदौर और एडवोकेट मुकेश के खिलाफ यूएपीए का मामला दर्ज कर लिया. इसके बाद पत्रकार, एक्टिविस्ट और उन छात्रों के खिलाफ भी यूएपीए का केस दर्ज किया, जिन्होंने सोशल मीडिया पर हिंसा के विरुद्ध आवाज उठाई थी. (Supreme Court Tripura Violence)


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पुलिस ने दावा कि हिंसा के बारे में भ्रामक खबरें फैलाई गई हैं. यूएपीए केस में राहत के लिए वकील-पत्रकार सुप्रीमकोर्ट गए. जहां से फौरीतौर पर सभी को दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा मिल गई है.

याचिकाकर्ताओं ने सभी लोगों के खिलाफ यूएपीए का केस रद किए जाने की भी मांग की है. और यूएपीए के गलत इस्तेमाल किए जाने की बात कही है. (Supreme Court Tripura Violence)

त्रिपुरा हिंसा में के विरोध में बोलने वाले पत्रकार श्याम मीरा सिंह, पत्रकार सरताज आलम समेत अन्य भी पुलिस कार्रवाई में शामिल हैं. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया समेत सभी पत्रकारिता संगठन इसकी निंदा कर चुके हैं.

हाल ही में एचडब्ल्यू नेटवर्क की दो पत्रकार समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा हिंसा की गाउंड रिपोर्ट कवर करने त्रिपुरा पहुंचीं. पुलिस ने उनके खिलाफ भी केस दर्ज करके हिरासत में ले लिया. जहां अगले दिन उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया.

वहीं, तहरीक-ए-फरोग इस्लामी के अध्यक्ष मौलाना कमर गनी उस्मानी और उनकी टीम अभी तक जेल में हैं. ये लोग भी त्रिपुरा हिंसा की फैक्ट फाइंडिंग के लिए पहुंचे थे, जिन्हें गंभीर धाराएं लगाकर हिरासत में ले लिया गया. (Supreme Court Tripura Violence)

त्रिपुरा हिंसा को लेकर कई सामाजिक संगठनों के फैक्ट सामने आए हैं, जिसमें जमीयत उलमा-ए-हिंद भी शामिल है. इनकी रिपोर्ट में त्रिपुरा में मस्जिदें जलाए जाने का तथ्य है.

एक्टिविस्टों का आरोप है कि जिन लोगों ने राज्य में हिंसा फैलाई. मस्जिद, मकान और दुकानों को जलाया. पुलिस ने उनके खिलाफ तो कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है. जबकि जो लोग हिंसा के खिलाफ बोले-उन्हें चुन-चुनकर निशाना बनाया गया.

 

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