स्वेज।
स्वेज नहर में पिछले 6 दिनों से फंसा विशालकाय मालवाहक जहाज एवर गिवेन आखिरकार निकाल लिया गया है। अब यह धीरे-धीरे अपने मंजिल की ओर बढ़ रहा है. कंटेनरशिप के निकलने से दुनिया ने राहत की सांस ली है। स्वेज नहर में इस बड़े जहाज के फंसने से इस मार्ग से होने वाला जल यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ था और यह पूरी दुनिया के जल परिवहन के चिंता का सबब बन गया था।
इसे निकालने के लिए पहले किनारे की खुदाई कर इसे बालू के दलदल से मुक्त किया गया उसके बाद पीछे की हिस्से को खींच कर आड़े हो चुके जहाज को सीधा किया गया।
दुनिया के सबसे विशाल मालवाहक कंटेनर जहाजों में से एक एवर गिवेन नाम का ये जहाज एशिया और यूरोप के बीच चलता है।
इन्च केप शिपिंग सर्विसेज ने आज इसके मुक्त होने की जानकारी दी है. स्वेज नहर प्राधिकरण ने इससे पहले जानकारी दी थी कि विशालकाय कंटेनर जहाज को आंशिक रूप से निकाल लिया गया है।
गौरतलब है कि इस विशालकाय जहाज के फंसने का असर भारतीय व्यापार पर भी पड़ रहा था। सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए कार्य योजना बनाई थी। दूसरे देशों से आयात-निर्यात में लगे भारतीय मालवाहक जहाजों को स्वेज नहर के जाम से बचने के लिए केप ऑफ गुड होप से जाने की सलाह दी गई थी।
धूल भरी आंधी के चलते ये कार्गो जहाज स्वेज नहर में फंस गया था. इस 1300 फीट लंबे जहाज के फंसने से लाल सागर और भूमध्य सागर में ट्रैफिक जाम की स्थिति बन गई थी. करीब 300 जहाज फंसे हुए थे, जिनमें 13 मिलियन बैरल कच्चे तेल से लदे लगभग 10 क्रूड टैंकर भी शामिल थे. इसके चलते कई देशों में पेट्रोलियम पदार्थों की डिलिवरी में देरी हो रही थी और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया था।
बता दें कि पिछले पांच दिनों से इस विशालकाय जहाज को निकालने की कोशिश की जा रही थी. इस जहाज के फंसने से कई कंटेनर जहाजों को दूसरे रुट से यात्रा करनी पड़ी. स्वेज नहर में हर दिन 50 जहाज आवाजाही करते हैं. दुनिया का 12 फीसदी व्यापार स्वेज नहर से होकर गुजरता है। जहाज के फंसने से हर घंटे लगभग 400 मिलियन डॉलर के व्यापार का नुकसान हो रहा था।