Sri Lanka Crisis: 1940 के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा श्रीलंका, दूसरी बार बढ़े पेट्रोल के दाम

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द लीडर। श्रीलंका में इन दिनों हालात खराब होते नजर आ रहे है। वहीं इस बीच सरकारी कंपनी सीलोन पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन ने देश के सबसे खराब आर्थिक संकट के बीच 92 ऑक्टेन पेट्रोल की कीमत LKR 338 प्रति लीटर कर दी है।

यह इंडियन ऑयल कंपनी के स्थानीय परिचालन द्वारा इसकी कीमतें बढ़ाने के एक दिन बाद आया है। सीपीसी एक महीने में दो बार दाम बढ़ा चुकी है। श्रीलंका 1940 के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।


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गौरतलब है कि, श्रीलंका भीषण आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और ताजा फैसले से आम लोगों की परेशानी बढ़ेगी। सीपीसी ने 92 ऑक्टेन पेट्रोल की कीमत 84 रुपये बढ़ाकर 338 रुपये प्रति लीटर कर दी है। यह कीमत अब श्रीलंकाई भारतीय तेल कंपनी (एलआईओसी) की प्रति लीटर कीमत के बराबर हो गई है।

सेंट्रल बैंक के पूर्व गर्वनर के खिलाफ लिया कड़ा एक्शन

श्रीलंका आजदी के बाद सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है. पैसे की तंगी झेलते हुए श्रीलंका ने एक और बड़ा फैसला लिया है. सोमवार को श्रीलंका के सेंट्रल बैंक के पूर्व गवर्नर अजित निवार्ड कैबराल पर यात्रा प्रतिबंध को बढ़ा दिया है.

पूर्व गवर्नर कैबराल पर यात्रा प्रतिबंध

गौरतलब है कि, 7 अप्रैल को कोलंबो मजिस्ट्रेट की अदालत ने अजित निवार्ड कैबराल देश से बाहर की यात्रा करने पर रोक लगा दी थी. इसके बाद, स्थानीय अदालत ने इस प्रतिबंध को बढ़ा दिया है. कोलंबो गजट न्यूजपोर्टल के अनुसार, अदालत ने 67 वर्षीय कैबराल पर यात्रा प्रतिबंध बढ़ा दिया है.

इतना ही नहीं, उन्हें 2 मई को फिर से अदालत में पेश होने का भी आदेश भी दिया गया है. दरअसल, 67 वर्षीय कैबराल के खिलाफ कथित कदाचारों को लेकर यह याचिका एक जनहित कार्यकर्ता कीर्ति तेनाकून द्वारा दायर किया गया था.

कैसा रहा कैबराल का कार्यकाल?

अजित निवार्ड कैबराल 2006 और 2015 के बीच अपने पहले कार्यकाल के दौरान सेंट्रल बैंक के गवर्नर थे. कैबराल ने तत्कालीन समय में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के बेल आउट के आह्वान का विरोध किया था.

इसके बाद वो दूसरी बार नियुक्त हुए और सात महीने से भी कम समय में इस्तीफा दे दिया था. गौरतलब है कि कैबराल ने जब इस्तीफा दिया था तब श्रीलंका में मुद्रास्फीति अब तक के उच्चतम स्तर पर था.

आजादी के बाद सबसे बड़ा आर्थिक संकट

गौरतलब है कि, आजादी के बाद श्रीलंका अपने सबसे बुरे समय में है. इससे पहले श्रीलंका में पैसों की इतनी तंगी कभी नहीं देखी गई. यहां तक कि कुछ समय पहले तक श्रीलंका की इकॉनोमी भारत से ज्यादा अच्छी थी. 1948 में इंग्लैंड से स्वतंत्रता हासिल करने के बाद से श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है.

हालात इतने ज्यादा बिगड़ गए हैं कि श्रीलंका में विदेश से जरूरी सामान खरीदने के पैसे भी नहीं है. इस बीच वहां की जनता ने बिजली कटौती और ईंधन, भोजन और अन्य दैनिक जरूरतों की कमी को लेकर राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन किया है.


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