द लीडर | कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोकसभा में एक बार फिर सरकार पर जमकर हमला बोला. इसके साथ ही सोनिया ने फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आरोप लगाया कि, ये राजनीतिक दलों के नेरेटिव को आकार देने का काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि, यह बार-बार नोटिस में आया है कि वैश्विक सोशल मीडिया कंपनियां सभी पार्टियों को समान अवसर प्रदान नहीं कर रही हैं.
I urge Govt to put an end to systematic influence and interference of FB & other social media giants in electoral politics of the world's largest democracy. This is beyond parties & politics. We need to protect our democracy & social harmony regardless of who's in power: S Gandhi pic.twitter.com/xY4mERlTm6
— ANI (@ANI) March 16, 2022
यह भी पढ़े –‘तुम बिल्कुल हम जैसे निकले’: पड़ोसी मुल्क से हिंदुस्तानियों को चिट्ठी
अपने फायदे के लिए फैलाई जा रही नफरत – सोनिया
सोनिया गांधी ने कहा कि, वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि कैसे फेसबुक ने रूलिंग पार्टी का साथ दिया था. ऐसे ही कई और रिपोर्ट में भी दावा किया गया. जिसमें बताया गया कि फेसबुक ने खुद अपने नियम तोड़ते हुए सत्तारूढ़ पार्टी और सरकार का पक्ष लिया. गलत जानकारी के चलते देश के युवाओं और बुजुर्गों में नफरत भरने का काम किया जा रहा है. कंपनी इस बात से वाकिफ है, लेकिन अपने फायदे के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है.
दिग्गजों के हस्तक्षेप पर सरकार रोक लगाए
मैं सरकार से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की चुनावी राजनीति में एफबी और अन्य सोशल मीडिया दिग्गजों के व्यवस्थित प्रभाव और हस्तक्षेप को समाप्त करने का आग्रह करती हूं. यह पार्टियों और राजनीति से परे है. सत्ता में कोई भी हो, हमें अपने लोकतंत्र और सामाजिक सद्भाव की रक्षा करने की आवश्यकता है.
युवा और बुजुर्गों में फैलाई जा रही है नफरत- सोनिया गांधी
सोनिया गांधी ने कहा कि भावनात्मक रूप से दी रही जानकारी के माध्यम से युवा और बूढ़े दिमाग नफरत से भरे जा रहे हैं. फेसबुक जैसी प्रॉक्सी विज्ञापन कंपनियां इससे अवगत हैं और इससे मुनाफा कमा रही हैं. रिपोर्ट में बड़े निगमों, सत्तारूढ़ प्रतिष्ठानों और फैसबुक जैसे ग्लोबल सोशल मीडिया दिग्गजों के बीच बढ़ते गठजोड़ को दिखाया गया है. उन्होंने यहां कई अखबारों का हवाला दिया.
उन्होंने कहा कि वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि कैसे फेसबुक ने सत्ताधारी पार्टी का साथ दिया था. ऐसे ही कई और रिपोर्ट में भी दावा किया गया, जिसमें बताया गया कि फेसबुक ने खुद अपने नियम तोड़ते हुए सत्तारूढ़ पार्टी और सरकार का पक्ष लिया. सोनिया गांधी ने कहा कि इससे पता चलता है कि फेसबुक सत्तारूढ़ दलों के संग मिलकर अन्य पार्टियों के खिलाफ प्रोपेगेंडा चला रही है.
पांचों राज्यों के अध्यक्षों से मांगा इस्तीफा
बता दें कि सोनिया गांधी को एक बार फिर कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है. इसके बाद उन्होंने पहले एक्शन के तौर पर सभी चुनावी राज्यों यानी उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के अध्यक्षों का इस्तीफा मांग लिया. सोनिया के कहने के बाद सभी अध्यक्षों ने अपना इस्तीफा कांग्रेस अध्यक्ष को भेजना शुरू कर दिया है. पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने भी अपना एक लाइन का इस्तीफा सोनिया गांधी को भेज दिया.
गौरतलब है कि प्रियंका गांधी खुद उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव हैं और अध्यक्षा सोनिया गांधी ने किसी भी प्रभारी का इस्तीफा नहीं मांगा है. पार्टी के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि सोनिया गांधी संगठन की मज़बूती के लिए ज़रूरी फैसले ले रहीं हैं.