द लीडर डेस्क।
एवरेस्ट बेस कैम्प ने एक अच्छी खबर आ रही है। 18 साल की उम्र से एवरेस्ट फतह करने का जुनून पाले उत्तराखंड के कासनी गांव के मात्र 26 साल के मनीष कसनियाल की मुराद पूरी हो गई है। मनीष ने आज एवरेस्ट की चोटी पर झंडा गाड़ दिया। एक सप्ताह पहले ही उत्तराखंड का एक और बेटा 30 साल का आकाश नेगी इस चोटी पर तिरंगा लगा चुका है।
मनीष 2008 में यानी बचपन में ही आईस (Intrinsic Climbers and Explorers) संस्था से जुड़े गए थे। यहीं बासू पांडेय और जया पांडेय से उन्होंने पर्वतारोहण का गुर सीखे। 2013 में जवाहर इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग, जम्मू कश्मीर में ट्रेनिग ली और 2014 में पर्वतारोहण में एडवांस कोर्स किया। इसके बाद मनीष लगातार भारत की अलग अलग चोटियां फतह करते रहे। पिछले वर्ष आईस की टीम ने मुनस्यारी स्थित फॉल बिर्थी वाटरफॉल पर रैपलिंग कर राष्ट्रीय रिकाॅर्ड बनाया। बिर्थी वाटरफॉल पर रैपलिंग का यह रिकार्ड लिम्का बुक रिकार्ड में दर्ज है।
साहसिक खेलों के अतिरिक्त मनीष फोटोग्राफी और लेखन का भी शौक रखते हैं। मनीष इतिहास विषय से पोस्ट ग्रेजुएट हैं और लगातार शोध में भी जुटे रहते हैं।
आईएमएफ के पर्वतारोहण अभियान के लिए कासनी के मनीष का चयन हुआ था। इस ग्रुप में 12 पर्वतारोही थे। देशभर से 300 लोगों में से इनको चुना गया था। इनमें दो टीमों में चार-चार और दो टीम दो-दो सदस्यों की थी। चार टीमों को एक साथ चार पर्वतों को फतह करने का लक्ष्य दिया गया था। मनीष एवरेस्ट टीम में थे.
अभी 23 मई को ही अमेरिका में मल्टी नेशनल कंपनी में नौकरी करने वाले जाखणी गांव के आकाश नेगी (30) ने एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया था।
अगस्त्यमुनि ब्लॉक के जाखणी गांव के मातबर सिंह नेगी व संतोष नेगी के बड़े बेटे आकाश को भी बचपन से ही पर्वतारोहण का शौक था। 2007 से वह अमेरिका में हैं । वहीं पढ़ाई के बाद वह एक मल्टीनशनल कंपनी में नौकरी करने लगे, लेकिन पर्वतारोहण का जुनून कम नहीं हुआ। वे अभी तक दुनिया की चार सबसे ऊंची चोटियों पर तिरंगा फहरा चुके हैं। आकाश के पिता मातबर सिंह नेगी संयुक्त राष्ट्रसंघ में कार्यरत हैं। उन्होंने बताया था कि उनका बेटा 7 महाद्वीपों के 7 पर्वतों को फतह करने का सपना संजोए हुए है। अब तक अफ्रीका के माउंट क्लीमंजारो, अमेरिका की माउंट डेनाली, दक्षिण अमेरिका की एकॉनकागुआ और एशिया की माउंट एवरेस्ट को फतह कर चुका है। अब, उसका लक्ष्य यूरोप, अंटार्कटिका और आस्ट्रेलिया की सबसे ऊंची चोटियों पर सफल पर्वतारोहण का है। आकाश 2007 से पहले देहरादून में पढ़ाई के दौरान भी कई बार ट्रेकिंग कर चुका था। आकाश की छोटी बहन भी एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती हैं।