नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार को पत्रकार सिद्दीक कप्पनको स्पताल में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि कप्पन को दिल्ली AIIMS या फिर किसी अन्य अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराएं। हालॉकि सिद्दीक को जमानत के लिए समुचित कोर्ट के सामने अपील करनी होगी।
कप्पन को पिछले साल हाथरस जाते वक्त गिरफ्तार किया गया था जहां एक दलित युवती की कथित गैंगरेप के बाद मौत हो गई थी। कोर्ट के आदेश पर सॉसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली के अस्पताल के लिए आप आदेश दें, हमे एक पेशेंट की जगह कप्पन को एडजस्ट करना होगा, इसके लिए मैं सक्षम नही हूं लिहाजा लिए आदेश करे। इसपर CJI ने कहा कि यह व्यवस्था आप खुद करें।
Solicitor General Tushar Mehta, appearing for UP government, asks the Supreme Court that it has to direct a particular hospital, where all beds are full with Covid patients, to vacate a bed by asking a patient to go out to admit Kappan for treatment. Court disposes of the plea.
— ANI (@ANI) April 28, 2021
बता दें, सिद्दीक को जमानत के लिए समुचित कोर्ट के सामने अपील करनी होगी। पत्रकार को हाथरस जाते वक्त रास्ते में गिरफ्तार किया गया था, जहां पिछले साल 14 सितंबर को एक दलित युवती की कथित सामूहिक बलात्कार के बाद मौत हो गई थी।
सॉसीटर जनरल तुषार मेहता ने जताया विरोध
उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश हुए सॉसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के निर्देश का यह कहते हुए विरोध किया कि इसी तरह के कई आरोपियों का राज्य के अस्पतालों में इलाज हो रहा है और कप्पन को खास तवज्जो महज इसलिए नहीं मिलनी चाहिए कि मामले में याचिकाकर्ता पत्रकारिता संबंधी एक निकाय है।
कोर्ट के आदेश पर मेहता ने कहा, ‘दिल्ली के अस्पताल में आरोपी को भर्ती कराने के लिए आप आदेश दें, हमे एक पेशेंट की जगह कप्पन को एडजस्ट करना होगा, इसके लिए मैं सक्षम नही हूं, लिहाजा इसके लिए आदेश करें।’ इस पर सीजेआई ने कहा कि यह व्यवस्था आप खुद करें। हम स्वास्थ्य के मुद्दे तक सीमित हैं। यह राज्य के हित में भी है कि आरोपी को बेहतर इलाज मिले।
पिछले साल 16 नवंबर को शीर्ष अदालत ने पत्रकार की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर उत्तर प्रदेश से जवाब दाखिल करने को कहा था। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से कथित तौर पर संबंध रखने के आरोप में चार लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।