अतीक ख़ान
पाकिस्तान के कराची में पैदा हुईं. ब्रिटेन में पली-बढ़ीं. भारत में अपनी आवाज़ और अभिनय का जादू बिखेरा. 21वीं सदी के इस तीसरे दशक में आज भी जब कोई शख़्स ख़ुद को तन्हा पाता है. तो सलमा आग़ा का वो सदाबहार गीत ख़ुद व ख़ुद गुनगुनाने लग जाता है-: ‘दिल के अरमां आंसुओं में बह गए, हम वफ़ा करके भी तन्हा रह गए…’सलमा आग़ा की आवाज़ के साथ ये गाना अमर हो गया. (Salma Agha Actress And Singer)
निकाह फ़िल्म में सलमा अाग़ा मुख्य क़िरदार में हैं. बतौर एक्ट्रेस उन्होंने इसमें शानदार अभिनय किया. 1982 में आई निकाह फ़िल्म मुस्लिम समाज के आंतरिक तलाक़ सिस्टम पर आधारित है. तलाक़-ए-बिद्दत यानी एक बार में तीन तलाक़, जिस पर The Muslim Women (Protection of Rights on Marriage) Act, 2019 बना है.
सलमा आग़ा आज़ादी के 75वें अमृत महोत्सव में ‘द लीडर हिंदी’ डिजिटल मीडिया संस्थान के कार्यक्रम में हिस्सा लेने मुंबई से बरेली पहुंच चुकी हैं. 15 अगस्त को हर भारतवंशी चाहें वो दुनिया के किसी भी हिस्से में आबाद हों, भारत की आज़ादी का जश्न मनाएंगे.
आज़ादी बड़ी प्यारी है. हिंदुस्तानी ख़ुशनसीब हैं कि सदियों की दास्ता के बाद उनके बुजुर्ग आज़ादी का तोहफ़ा दे गए. और भारत को एक लोकतांत्रिक देश बनाया. 21वीं सदी में दुनिया के कई हिस्सों में भारी उथल-पुथल है. ट्यूनीशिया डेमोक्रेटिक व्यवस्था त्याग रहा है. एशियन कंट्रीज में कई सारे चैलेंज हैं. श्रीलंका का हश्र सामने है. पाकिस्तान महंगाई और कई गंभीर मुद्दों से जूझ रहा है. चैलेंज भारत में भी हैं, जिस पर बहस जारी है. (Salma Agha Actress And Singer)
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ख़ैर, आज़ादी का जश्न है और बॉलीवुड की सदाबहार अदाकारा सलमा आग़ा हमारे बीच मौजूद हैं, तो इस मौके पर हम महिलाओं की आज़ादी और मुस्लिम समाज की महिलाओं की स्थिति पर चर्चा करना चाहेंगे.
यूं तो सलमा आग़ा के पास दुनिया-जहान का तज़ुर्बा है. लेकिन तीन ऐसे मुल्क हैं, जिसकी आबोहवा से वह बखूबी वाकिफ़ हैं-भारत, पाकिस्तान और ब्रिटेन. आज जब हम आज़ादी का जश्न मना रहे हैं. उस वक़्त में महिलाओं के बहुतेरे मुद्दे हैं, जिन पर वे सड़क तक संघर्ष करती दिखाई दे रही हैं.
वर्ष 1978 में शाहबानो की तलाक़ से ट्रिपल तलाक पर जो संघर्ष शुरू हुआ था, 2019 में ट्रिपल तलाक़ क़ानून के तौर पर वो पूरा हो चुका है. लेकिन मुस्लिम महिलाएं अब भी तलाक़, घरेलू हिंसा से छुटकारा और बराबरी के अधिकार को लेकर जूझ रही हैं. (Salma Agha Actress And Singer)
साल 2021 के दिसंबर में दक्षिण भारत के कर्नाटक में हिजाब के साथ पढ़ाई का विवाद अंतरराष्ट्रीय सुर्ख़ियां रहा है. कर्नाटक में उड़प्पी के पीयू कॉलेज ने मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनकर पढ़ाई से रोक दिया था. छात्राएं धरने पर बैठ गईं. विवाद बढ़ा तो दूसरे कॉलेजों ने हिजाब पर रोक लगा दी और बाद में ये मामला कोर्ट पहुंचा, जहां छात्राओं को कोर्ट से भी राहत नहीं मिली. इस मुद्दे ने मुस्लिम छात्राओं के मौलिक अधिकार, धार्मिक और पहनावे की आज़ादी को लेकर बहस छेड़ रखी है.
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान पर नज़र डालें तो वहां औरतों ने अपना मूवमेंट खड़ा कर लिया है, जिसका नाम ही ‘औरत मार्च’ है. 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. साल 2018 में बना महिलाओं का ये संगठन हर साल 8 मार्च को बड़े स्तर पर कार्यक्रम करता है. महिलाओं के विभिन्न मुद्दों, बराबरी और आज़ादी को लेकर बड़े स्तर पर विरोध-प्रदर्शन भी आयोजित करता है. (Salma Agha Actress And Singer)
दो दिन पहले ही अफ़गानिस्तान से महिलाओं के प्रदर्शन की ख़बर आई है. जहां तालिबान शासन से आज़ादी पाने के लिए सैकड़ों औरतें सड़कों पर मार्च करती दिखाई दी हैं. पिछले साल 2021 में तालिबान ने अफ़गानिस्तान की सत्ता पर कंट्रोल पाया है. तब से महिलाओं की पढ़ाई-लिखाई, पहनावे, नौकरी से लेकर और बहुतेरे सवाल हैं, जिन पर अफ़गान महिलाएं संघर्ष कर रही हैं.
इरान में तो महिलाएं एक अजीब शर्मनाक स्थिति का सामना कर रही हैं. जहां शादी से पहले उन्हें वर्जिनिटी सर्टिफ़िकेट लेना पड़ रहा है. इरानी पुरुष समाज के एक बड़े तबके के बीच से इस सर्टिफ़िकेट टेस्ट की डिमांड सामने आ रही है. जिसके ख़िलाफ महिलाएं लामबद्ध होने लगी हैं. और ये मसला भविष्य में इरानी समाज के लिए गंभीर बनता जा रहा है. इरानी साहित्यकार शाहरूख़ हैदर की नज़्म, ”मैं एक शादीशुदा औरत हूं”-पढ़कर इरानी समाज में महिलाओं की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है. ये नज़्म खालिस औरत पर है और ये दुनियाभर की महिलाओं की हालत बयान करती है.
महिलाओं को लेकर अपने यहां भारत में भी हालात कुछ अच्छे नहीं हैं. बल्कि उनके ख़िलाफ अपराध की दर, साल दर साल बढ़ती जा रही है. कठुआ से लेकर हाथरस और उन्नाव तक, न जाने कितनी ही ऐसी घटनाएं झकझोरती हैं. दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी महिलाओं की तस्वीर ज़्यादा अच्छी नहीं है. (Salma Agha Actress And Singer)
ये हालत तब है, जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों के मानक तय हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) जैसे संस्था मौलिक और मानवाधिकार के संरक्षण पर काम कर रही है.
सलमा आग़ा की निकाह फ़िल्म ने औरत की ज़िंदग़ी का एक पहलू दिखाती है, जो बेहद कष्टदायी है. एक औरत, जिसका शौहर ग़ुस्से में तीन तलाक़ देकर छोड़ देता है. इस सूरत में एक औरत की मनोदशा क्या होती है-सलमा आग़ा की ‘निकाह’ ने उसका दर्द बयान किया है.