द लीडर डेस्क
2016 में लंदन के पहले मुस्लिम मेयर बन कर दुनिया में सुर्खियां बटोरने वाले मानवाधिकारवादी सादिक खान एक बार फिर लेबर पार्टी के उम्मीदवार के रूप में लंदन के मेयर बन गए हैं। सादिक दुनिया में अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ एक बुलंद आवाज के रूप में जाने जाते हैं और हाल के वर्षों में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति उनके निशाने पर रहे हैं। हां लंदन के मेयर रह चुके बोरिस जॉनसन की भी उन्होंने खूब बखिया उधेड़ी थी।
गुरुवार को हुए मेयर चुनाव के नतीजे घोषित हो गए हैं और अपने प्रतिद्वंदी के 977601 मतों के मुकाबले सादिक को 1200000 मत मिले। अंतर पिछली बार से कम है लेकिन इस बार वोट भी सिर्फ 42 फीसद ही पड़े थे।
50 साल के खान विपक्षी लेबर पार्टी के सितारे हैं। अपनी दूसरी जीत के बाद खान बोले- दूसरे कार्यकाल में मेरा फोकस विभिन्न समुदायों के बीच सामंजस्य बनाने पर रहेगा। रोजगार उनके चुनाव का मुख्य मुद्दा था। उन्होंने कहा कि ब्रेकजिट के बाद देश की राजधानी में जो वित्तीय संकट आया उसे ठीक किया जाएगा। खान यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन के अलग होने के खिलाफ भी मुखर रहे हैं।
जब डोनाल्ड ट्रम्प ने दुनिया के कुछ मुस्लिम देशों पर ट्रेवल बैन लगाया तो खान ने उनकी जमकर मजम्मत की। ट्रम्प इतने खीझे कि खान को राष्ट्रीय शर्म तक कह गए। खान ने कहा कि मैं बाहर से आये लोगों की औलाद हूँ, दक्षिण लंदन में कामगारों की बस्ती में पैदा होकर पला बढ़ा लेकिन में पूरा लंदन वाला हूँ।
खास बात ये है कि उनके दो पूर्ववर्ती मेयर केन लिविंग स्टोन 2000 से 2008 और बोरिस जॉनसन 2008 से 2016 तक इस पद पर रहने के बाद डाउनिंग स्ट्रीट तक पहुंचे हैं तो एक उम्मीद तो उनके लिए भी बनती है कि वह भी एक दिन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनें।
कौन हैं सादिक़ खान
पाकिस्तानी मूल के सादिक़ खान का जन्म 1970 में दक्षिण लंदन के टूटींग में हुआ। वकालत पढ़ी। मानवाधिकार उनका विषय रहा।1994 से 2006 तक कॉउंसलर रहे। 1994 में सादिया अहमद उनकी बेगम बनी। 2005 में संसद चुने गए। स्थानीय सरकार में 2008 में अंडर सेक्रेटरी और फिर परिवहन राज्यमंत्री बने। इस बीच और भी कई जिम्मेदारियां निभाई। 2016 में पहली बार मेयर चुने गए।
2003 में इराक पर हमले और आतंकवाद के खिलाफ नए कानून को लेकर प्रधानमंत्री टोनी ब्लैयर भी उनके निशाने पर आए।