मास्को/बीजिंग।
नाटो और यूरोपियन यूनियन के मित्रों के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन लगातार कभी रूस तो कभी चीन को धमकाते रहे हैं। अब जो को इन दोनों देशों से एक दिन के अन्तराल में सख्त चेतावनी मिली है।
मास्को में बुधवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिम को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि रूसी सुरक्षा हितों को नुकसान होने पर उनका देश तुरंत और सख्त जवाब देगा। पुतिन ने यह चेतावनी राष्ट्र के नाम अपने सालाना संबोधन में दी। उनकी यह टिप्पणी यूक्रेन के पास बड़े पैमाने पर रूसी सैन्य जमावड़े के बीच आई है जहां रूस समर्थित अलगाववादियों और यूक्रेनी बलों के बीच हाल के दिनों में टकराव बढ़ गया है।
अमेरिका और उसके सहयोगियों ने रूस से अपने सैनिकों को वापस बुलाने का आग्रह किया है। व्लादिमीर पुतिन ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि रूस के संबंध में कोई भी खतरे के निशान (रेडलाइन) को पार करने की हिम्मत नहीं करेगा।‘ उन्होंने कहा कि जो लोग रूस के मुख्य सुरक्षा हितों के लिए खतरा पैदा करेंगे, उन्हें बहुत पछताना पड़ेगा।
पुतिन ने कहा कि वह आगे बढ़कर कार्रवाई नहीं करना चाहते लेकिन अगर कोई हमारे अच्छे इरादों को कमजोरी समझता है तो हम सख्त कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेंगे। पुतिन ने अपने परमाणु हथियारों को आधुनिक बनाने के कदमों की ओर इशारा किया और कहा कि सेना अत्याधुनिक हाइपरसोनिक मिसाइलों और अन्य नए हथियारों की खरीद जारी रखेगी। उन्होंने कहा कि परमाणु हथियारों से लैस ‘अंडरवाटर’ ड्रोन और परमाणु हथियारों को ढोने में सक्षम क्रूज मिसाइल का विकास सफलतापूर्वक जारी है।
पुतिन ने किसी देश का नाम लिए बिना एक विदेशी सरकार की निंदा की जो अपनी बातें दूसरों पर थोपने के लिए ‘गैरकानूनी व राजनीतिक रूप से प्रेरित आर्थिक प्रतिबंध‘ लागू करती है। उन्होंने कहा कि रूस संयम दिखाता रहा है और अक्सर दूसरों की ‘उकसाने‘ वाली कार्रवाई का जवाब देने से परहेज किया है। पुतिन ने अपने संबोधन के दौरान कहा, ‘रूस के अपने हित हैं, जिनका हम अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार बचाव करेंगे।‘
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवार को अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा था कि दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में रौब जमाना और ‘हस्तक्षेप करना सही नहीं है। ताइवान और हांगकांग में मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों को लेकर अमेरिका और सहयोगी देश चीन पर दबाव बढ़ा रहे हैं।
शी ने अमेरिका का सीधे तौर पर उल्लेख किये बिना कहा, ”दूसरों के आंतरिक मामलों में रौब जमाने या हस्तक्षेप करने का कोई समर्थन नहीं करेगा। हमें शांति, विकास, समानता, न्याय, लोकतंत्र और स्वतंत्रता की वकालत करनी चाहिए जो मानवता के साझा मूल्य हैं और मानव सभ्यता की प्रगति को बढ़ाने के लिए सभ्यताओं के बीच परस्पर आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना जरूरी है।”
चीनी राष्ट्रपति ने हैनान स्थित प्रभावशाली थिंकटैंक बाओ फोरम फॉर एशिया (बीएफए) में वार्षिक संवाद को वीडियो कॉन्फ्रेंस से संबोधित करते हुए कहा, ”आज की दुनिया में हमें न्याय की जरूरत है, अधिपत्य की नहीं। उन्होंने कहा, ”बड़े देशों को इस तरह का बर्ताव करना चाहिए जो उनके कद के मुताबिक हो और जिसमें जिम्मेदारी की भावना हो। गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुरू की गयी चीन पर पाबंदी संबंधी एक नीति को पुरजोर तरीके से जारी रखा है।”
बाइडन ने अपनी चीन संबंधी नीति को लेकर ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और जापान जैसे सहयोगियों को एकजुट किया है। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जापान तथा भारत के चतुष्कोणीय समूह (क्वाड) की पहली शिखरवार्ता भी आयोजित की। अमेरिका, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और कनाडा ने शिनझियांग में उइघर मुस्लिमों के खिलाफ कथित मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर चीन पर समन्वित प्रतिबंध लगाये हैं। हालांकि चीन इस तरह के आरोपों को खारिज करता रहा है। इन देशों ने हांगकांग पर चीन के अधिपत्य जमाने के रुख के खिलाफ भी एकमत राय अपनाई है।
हांगकांग से संचालित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की खबर के अनुसार बीएफए की बैठक में एप्पल के सीईओ टिम कुक, टेस्ला के एलन मस्क, ब्लैकस्टोन के स्टीफन श्वार्जमैन तथा ब्रिजवाटर के रे डेलियो ने भाग लिया। शी ने अपने भाषण में एशिया और उसके बाहर के सभी देशों का आह्वान किया कि एकजुटता, मजबूत वैश्विक शासन के माध्यम से महामारी को हराएं और मानवता के लिए साझा भविष्य के लिहाज से समुदाय के रूप में काम करते रहें।