बीरभूम हिंसा पर बंगाल विधानसभा में बवाल, आपस में भिड़े BJP-TMC विधायक

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द लीडर | पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित बीरभूम नरसंहार को लेकर विधानसभा में हुए हंगामे में टीएमसी विधायक असित मजूमदार घायल हो गये हैं. उन्हें कोलकाता के पीजी अस्पताल के वुडवर्न वार्ड में भर्ती कराया गया है. इस बीच पहाड़ के दौरे पर गयीं सीएम ममता बनर्जी ने राज्य के शहरी विकास मामलों के मंत्री फिरहाद हकीम को फोन की और पूरी घटना की जानकारी लेते हुए चिंता जताई है.

बता दें बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया था तृणमूल विधायक शौकत मोल्ला और अन्य महिला विधायकों ने विधानसभा के सुरक्षाकर्मियों के साथ मिलकर बीजेपी विधायकों पर हमला किया. विधायक दल के नेता मनोज टिग्गा का कपड़ा फट गया है जबकि विधायक नरहरि महतो को जमीन पर पटक दिया गया था. वहीं, टीएमसी के नेता बीजेपी विधायकों पर हंगामा करने का आरोप लगा रहे हैं.

बीजेपी ने बवाल के बाद दिया धरना

इस बवाल के बाद बीजेपी विधायक सदन से वॉकआउट कर गए और विधानसभा के बाहर धरने पर बैठ गए. बीजेपी के शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि उनके विधायकों के साथ मारपीट हुई है. सिक्योरिटी गार्ड्स ने भी उन्हें धक्का दिया है. कुछ विधायकों के कपड़े भी फंटे हैं. बीजेपी विधायक मनोज तिग्गा के साथ ज्यादा मारपीट की गई.

टीएमसी ने लगाए आरोप

वहीं इस बवाल के बाद टीएमसी ने बीजेपी विधायकों पर हिंसक होने का आरोप लगाया है. टीएमसी का कहना है कि इस झड़प में टीएमसी के विधायक आसित मजूमदार को भी कथित तौर पर नाक पर चोट आई है. उन्हें एसएसकेएम में भेजा गया है.


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शुभेंदु सहित 5 पर एक्शन

इस घटना के बाद एक्शन लेते हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा से शुभेंदु अधिकारी सहित पांच बीजेपी विधायकों को निलंबित कर दिया गया है. सस्पेंड होने वाले विधायकों में शुभेंदु अधिकारी, मनोज तिग्गा, नरहरि महतो, शंकर घोष, दीपक बर्मन का नाम शामिल है. इन्हें अगले आदेश तक के लिए सस्पेंड किया गया है.

बीरभूम हिंसा

मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस के पंचायत नेता भादू शेख की अज्ञात हमलावरों ने हत्या कर दी थी. इसके बाद, रामपुरहाट के बोगतुई गांव में पेट्रोल बमों से लगभग एक दर्जन घरों में आग लगने के बाद दो किशोरों सहित कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई. पीड़ितों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार जिंदा जलाने से पहले महिलाओं और बच्चों को बुरी तरह पीटा गया था. बंगाल पुलिस ने मामले के सिलसिले में 22 लोगों को गिरफ्तार किया है.

बंगाल सरकार को फटकार लगाते हुए, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने जांच को केंद्रीय जांच ब्यूरो को स्थानांतरित कर दिया है. ​​शुक्रवार को अपने 11-पृष्ठ के आदेश में, HC ने कहा कि हालांकि 22 मार्च को SIT का गठन किया गया था, लेकिन जांच में प्रभावी योगदान नहीं रहा. एचसी ने यह भी कहा कि अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए पुलिस जांच उम्मीद के मुताबिक नहीं की गई। हाईकोर्ट ने एसआईटी को इस मामले में आगे कोई जांच नहीं करने और मामले के कागजात, गिरफ्तार आरोपियों और संदिग्धों को पुलिस हिरासत में सौंपने का आदेश दिया है. सीबीआई ने पदभार संभालने के बाद से इसी मामले में 21 आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है.

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