द लीडर : रामपुर में लोकसभा का उपचुनाव सामने से तो समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच है लेकिन असल मुक़ाबला किस्मत और कर्म के बीच है. एक तरफ़ क़िस्मत के धनी घनश्याम सिंह लोधी हैं. वो विधानसभा चुनाव से पहले तक सपा में थे. भाजपा आए कम समय हुआ है लेकिन बड़ी सीट पर उन्हें लड़ाने का फैसला ले लिया गया. वह भी तब जबकि केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्यमंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी सिने तारिका जया प्रदा तक तक लाइन में थीं. (Rampur News Azam Khan)
भाजपा ज़िलाध्यक्ष समेत और भी कई नेता टिकट के लिए दावेदारी पेश कर रहे थे. यह पहला मौक़ा नहीं है कि लोधी की क़िस्मत ने ज़ोर भरा. इससे पहले उन पर राम मंदिर आंदोलन के हीरो रहे कल्याण सिंह का नज़रे करम हुआ. उनकी जनक्रांति पार्टी की बदौलत पहली बार एमएलसी बने.
कल्याण सिंह के कहने पर मुलायम सिंह यादव ने उन्हें टिकट दिया और आज़म ख़ान ने नानकुर के बाद उनका चुनाव लड़ाया और जिता भी दिया. दूसरी बार आज़म ख़ान ने उन्हें इसलिए टिकट दिया कि उनके नाम की पर्ची निकल आई. अब सपा छोड़कर भाजपा में गए तो लोकसभा के लिए टिकट मिल गया.
दूसरी तरफ आसिम राजा हैं जो सपा में लंबे समय से मेहनत कर रहे हैं. आज़म ख़ान के पुराने साथी हैं लेकिन टिकट अब 60 साल की उम्र में आकर मिला है. रामपुर में बुधवार को वोट पड़ेंगे. देखते हैं कि घनश्याम सिंह की क़िस्मत उन्हें मुक़द्दर का सिकंदर बनाती है या अपने कर्म की बदौलत आसिम राजा के हिस्से में जीत आती है. (Rampur News Azam Khan)