एक थी गौरा देवी एक था रैणी गांव! ऋषिगंगा सड़क के साथ मिटा रही इतिहास, नई सड़क के लिए गौरा स्मारक की बलि

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लीडर देहरादून

जंगल काटने आये ठेकेदार के आदमियों की कुल्हाड़ियों के आगे पेड़ों को अंग्वाल बोट कर (आलिंगन) कर प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा के लिए दुनिया को चिपको आंदोलन के रूप में नई चेतना देने वाली गौरा देवी के गांव वाले विस्थापन को तैयार हैं। फरवरी में ऋषिगंगा परियोजना को मटियामेट कर चुकी ऋषिगंगा ने इस गांव की जड़ें भी खोद दी हैं। 13 जून को गांव के नीचे करीब 40 मीटर सड़क ध्वस्त होने के बाद अब इस गाँव को उजाड़ा जा रहा है। एक मंदिर का दर्जा पा चुके गौरा देवी के स्मारक भवन सहित कुछ मकान गिरा दिए गए हैं। गौर देवी की मूर्ति को उखाड़ कर अधिकारी उसे अपने साथ जोशीमठ ले गए हैं।

रैणी गांव की तो नींव हिल गई

17 जून गुरुवार का दिन पूरे गांव के लिए मातम का दिन था। कुछ महिलाएं तो दहाड़ मार कर रो रही थी जब गौरा की प्रतिमा को बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन के लोग उखाड़ रहे थे। गांव के लोग काफी गिगिड़ाये। गौरा का गांव और स्मारक उजाड़ कर सड़क बनाने का विरोध किया। बद्रीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट ने लोगों को सेना का वास्ता दिया जो चीन सीमा पर मुश्किल हालात में है। उसे रसद व दूसरा समान पहुंचाने के लिए सड़क चाहिए और लोगों ने दिलों पर पत्थर रख कर कदम पीछे कर लिए। अब इस छोटे से गांव के कुछ घर ध्वस्त हो रहे हैं। सगोड़े यानी घर के पास के खेत भी कटेंगे और अगली किसी तबाही तक गांव के बीच सौ मीटर लंबी सड़क गुजरेगी। गांव के प्रधान भवान राणा ने अब अर्जी डाली है कि पूरे रैणी गांव को ही अन्यत्र विस्थापित कर दिया जाय। मतलब ये कि अब जब लोग इधर से गुजरेंगे तो बताएंगे कि यहीं था वो रैणी गांव जहां प्रकृति को बचाने निकली गौरा देवी जैसी नारियां होती थी।

शुक्रवार को पुल के पास की सड़क भी गई

रैणी के प्रधान भवान राणा दोहरी लड़ाई लड़ रहे हैं। दो दिन पहले अपने गांव को बचाने के लिए लड़ रहे थे इस समय श्रीनगर में कोविड प्रसूता पत्नी की जान बचाने की कोशिश में हैं। कल ही उन्होंने अपनी बेटी खोई है। इस पत्रकार को गांव में ताजा भूस्खलन की जानकारी के साथ इन्होंने हालात बयान करती तस्वीरें भी भेजी। भवान राणा ने बताया कि निचले गांव में सिर्फ खीम सिंह का परिवार बचा है। 7 फरवरी की बाढ़ में अपने बेटे रणजीत को खो चुके खीम सिंह भी चल बसे उनके संस्कार की रस्मों के लिए परिवार के लोग रुके हैं । गांव के बाकी लोग ऊपर पलायन कर चुके हैं। आगे क्या होगा? इस सवाल पर भवान राणा कहते हैं एक हफ्ते पहले ही गांव को विस्थापित करने की अर्जी दी है। अब जाने कब सर्वे होगा और कहां बसाया जाएगा भगवान जाने। फिलहाल पूरा गांव दहशत में है।जिस तरह ऋषिगंगा विकराल रूप ले रही है इस नई बन रही सड़क का भी भविष्य खतरे में है। आज शुक्रवार को भी पुराने पुल के पास का हिस्सा बहा। अभी ये आगे तक नुकसान कर सकता है।

यहां से आगे 40 मीटर सड़क ऋषिगंगा बहा ले गई

सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण इस सड़क के टूट जाने से नीति , रिमखिम, लफथल समेत दर्जनभरग गांव और सेना की अग्रिम चौकियों पिछले 5 दिनों से मुख्यधारा से कटे हुए हैं।
गुरुवार को गौरा देवी स्मारक भवन ध्वस्त करने के बाद बीआरओ ने प्रशासन की मौजूदगी में बामुश्किल 10 मीटर नई सड़क की खुदाई की लेकिन शुक्रवार को मूसलाधार बारिश होने के कारण बीआरओ की मशीनें यहां पर कुछ भी काम नहीं कर सकी। बीआरओ के कमांडर मनीष कपिल कहते हैं कि बारिश के कारण पूरे दिन काम नही हो सका है। अभी 100 मीटर नई सड़क बननी है । पहले ग्रामीणों का विरोध और अब बारिश ने कार्य की रफ्तार रोक ली है।

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