द लीडर हिंदी, श्रीनगर। कांग्रेस नेता राहुल गांधी आर्टिकल 370 हटने के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. राहुल गांधी के इस दौरे के कई मायने निकाले जा रहे है. बता दें कि, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कश्मीर का ये दौरा ऐसे वक्त में किया है, जब राज्य में परिसीमन निर्धारण की प्रक्रिया जारी है और अगले साल विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है. इन स्थितियों के बीच जम्मू-कश्मीर में पार्टी संगठन की नब्ज टटोलने और आपसी गुटबाजी का अंत करने के लिए राहुल यहां पहुंचे हैं.
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मेरे परिवार के लोगों ने भी झेलम का पानी पिया होगा- राहुल गांधी
राहुल गांधी ने संबोधन के दौरान जम्मू कश्मीर और उत्तर प्रदेश की धरती से नाता जोड़ते हुए कहा कि, दिल्ली से पहले मेरा परिवार इलाहाबाद में रहता था और इलाहाबाद से पहले यहां (कश्मीर) रहता था. कश्मीरियों से रिश्ता जोड़ते हुए और उन्हें साधने की कोशिश के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि, मेरे परिवार के लोगों ने भी झेलम का पानी पिया होगा, थोड़ी कश्मीरियत मेरे अंदर भी है. यहां आकर लगता है घर आ रहा हूं.
जम्मू कश्मीर की ताकत भाईचारा और जीने का तरीका है-राहुल गांधी
वहीं राहुल गांधी ने बिना नाम लिए हिंदु-मुस्लिम एकता को लेकर कहा कि, जम्मू कश्मीर की ताकत भाईचारा है, जीने का तरीका है. उन्होंने कहा कि, हिंदुस्तान की नींव में कश्मीरियत भी शामिल है. घाटी के लोगों की तारीफ करते हुए राहुल ने कहा कि, जम्मू कश्मीर के लोगों से आप प्यार से जो करवा सकते हैं वो नफरत और हिंसा से कभी नहीं करवा सकते.
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राहुल गांधी ने घाटी में लोगों के बीच कहा कि, संसद में सरकार हमें बोलने नहीं दे रही है. उन्होंने कहा कि, मैं संसद में पेगासस, राफेल, जम्मू कश्मीर, बेरोजगारी पर नहीं बोल सकता. कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि, केंद्र सरकार देश की सभी संस्थाओं पर आक्रमण कर रहे हैं. मीडिया को दबाया जा रहा है. इस दौरान उन्होंने कहा कि, मीडिया डरी हुई है कि कुछ लिख देंगे तो नौकरी चली जाएगी.
बता दें कि, जम्मू-कश्मीर में राहुल गांधी का दौरा विधानसभा चुनाव की तैयारियों में कांग्रेस के ‘फर्स्ट मूव्ड स्टेप’ के रूप में देखा जा रहा है. राहुल गांधी ने अपने दौरे का जो स्वरूप रखा है, वह अहम है. राहुल कश्मीर पहुंचने के बाद अपनी पार्टी की हाइलेवल मीटिंग कर चुके हैं.
कश्मीरी पंडितों के सबसे महत्वपूर्ण मंदिर में गए राहुल
राहुल गांधी घाटी में कश्मीरी पंडितों की सबसे महत्वपूर्ण देवस्थान क्षीर भवानी मंदिर पहुंचे. श्रीनगर से 27 किलोमीटर दूर तुलमुला गांव में स्थित इस मंदिर को घाटी के हिंदुओं खासकर कश्मीरी पंडितों की आस्था के प्रमुख केंद्र के रूप में जाना जाता है. साल 1912 में इस मंदिर का निर्माण महाराजा प्रताप सिंह ने शुरू कराया था, जिसे बाद में डोगरा वंश के प्रमुख राजा हरि सिंह ने पूरा कराया. कश्मीर के इस खास मंदिर में तमाम स्थानीय राजनेता दर्शन के लिए आते रहे हैं.हालांकि एक लंबे वक्त के बाद यहां पर कोई राष्ट्रीय नेता दर्शन के लिए पहुंचा है, जिसे एक बड़ी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
माता खीर भवानी के चरणों में श्री @RahulGandhi जी। pic.twitter.com/jkVZs9Ezol
— UP Congress (@INCUttarPradesh) August 10, 2021
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हजरतबल से मुस्लिमों को साधने की कोशिश
क्षीर भवानी मंदिर के बाद राहुल गांधी श्रीनगर की हजरतबल दरगाह भी पहुंचे हैं. घाटी में हजरतबल को मुस्लिम समुदाय के सबसे महत्वपूर्ण स्थान के रूप में माना जाता है. हजरतबल को शाब्दिक रूप में जानें तो कश्मीरी भाषा में बल का अर्थ ‘स्थान’ होता है. हजरतबल को पैगंबर हजरत मोहम्मद के स्थान के रूप में जाना जाता है और हर रोज यहां मुस्लिम समुदाय से जुड़े तमाम लोग नमाज के लिए आते हैं. माना जा रहा है कि, हजरतबल में हाजिरी लगाकर राहुल ने यहां के मुस्लिम समुदाय के बीच भी विश्वास पैदा करने की कोशिश की है. इससे पहले राहुल गांधी साल 2011 में भी हजरतबल आए थे. अपनी इस यात्रा में राहुल ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि, मैं आपके दर्द को समझता हूं क्योंकि मैं भी एक कश्मीरी हूं.
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