यूपी : जहरीली शराब से बीमार होने वालों को तत्काल इलाज देने की तैयारी,पांच विशेषज्ञों की कमेटी गठित

द लीडर हिंदी,लखनऊ। उत्तर प्रदेश में  बीते दिनों जिस तरह से सही समय पर इलाज न मिल पाने के कारण जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत हो गयी थी। जिसको लेकर अब प्रदेश में जहरीली शराब पीने से बीमार होने वालों को तत्काल इलाज देने की तैयारी है। यह व्यवस्था सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी होगी। इसके लिए नए सिरे से गाइडलाइन बनाई जा रही है। इसके लिए स्वास्थ्य महानिदेशक ने केजीएमयू, लोहिया संस्थान, बलरामपुर अस्पताल, सिविल अस्पताल और लोकबंधु अस्पताल के मेडिसिन विभाग के पांच विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित की है।

पिछले कुछ समय से प्रदेश में मिलावटी शराब पीने से बीमार होने वालों की संख्या में लगातार बढ़ रही है। कई स्थानों पर लोगों की मौत भी हो गई। पर, इन मामले में स्पष्ट गाइडलाइन न होने के वजह से ऐसे मरीजों को सीएचसी या जिला अस्पताल से राजधानी या अन्य चिकित्सा संस्थानों में रेफर करने पर जोर दिया जाता है। मगर, कई बार उच्च चिकित्सा संस्थान पहुंचने से पहले ही मरीज दम तोड़ देते हैं। वहीं, मरीजों की आंखों की रोशनी जाने का खतरा भी रहता है।

कई बार अन्य अंग भी प्रभावित हो जाते हैं। इसलिए अब गाइडलाइन को स्पष्ट करते हुए सीएचसी पर ही पुख्ता इलाज देने की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए खास संसाधन व दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। गाइडलाइन में इसकी स्पष्ट जानकारी होगी कि किस स्टेज में कौन सी दवा देनी है और कब उसे चिकित्सा संस्थानों में रेफर किया जाना है।

प्रभावित अंगों की नहीं होती है रिकवरी
केजीएमयू के फोरेंसिक मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनूप वर्मा बताते हैं कि शराब में मिला मिथाइल अल्कोहल एक तरह का जहर है। इससे आंख, किडनी, लिवर, फेफड़े सहित अन्य अंगों के प्रभावित होने की आशंका रहती है। अगर कोई अंग प्रभावित हो गया है, तो उसे रिकवर करना संभव नहीं है। जहरीली शराब पीने के 24 घंटे के अंदर इलाज नहीं मिलने पर मरीज के दिमाग की कोशिकाओं हो जाती है। इससे कई मरीजों को ताउम्र झटके आते हैं, शरीर में सुन्नपन समेत अन्य समस्याएं होती हैं। तो कई मरीजों को लगातार डायलिसिस करानी पड़ती है।

महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. डीएस नेगी ने बताया कि जहरीली शराब पीने से बीमार होने वाले को तत्काल उपचार मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है। साथ ही उनके विभिन्न अंगों को प्रभावित होने से बचाया जा सकता है। नई गाइडलाइन तैयार करके सीएससी स्तर पर इलाज मुहैया कराने की व्यवस्था की जाएगी।

Abhinav Rastogi

पत्रकारिता में 2013 से हूं. दैनिक जागरण में बतौर उप संपादक सेवा दे चुका हूं. कंटेंट क्रिएट करने से लेकर डिजिटल की विभिन्न विधाओं में पारंगत हूं.

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