Prayagraj: गरीबों और जरूरतमंदों के मसीहा बने चीफ फूड सेफ्टी ऑफिसर कमलेश कुमार त्रिपाठी, समाज को दिखा रहे आईना

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द लीडर। कहते है किसी को बेहतरीन तोहफ़ा देना हो तो उसकी मदद कर देना… जी हां इस कहावत को सच कर दिखाया है प्रयागराज के चीफ फूड सेफ्टी ऑफिसर कमलेश कुमार त्रिपाठी ने।

आजकल देश में जहां लोग मंदिर मस्जिद करते नहीं थक रहे हैं। इसके साथ ही मंदिर मस्जिद के नाम पर हिंसा कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ कई लोग इस भीषण गर्मी में जरूरतमंदों की मदद कर समाज को आईना दिखा रहे हैं।

प्रयागराज में कमलेश कुमार त्रिपाठी एक बड़े पद पर तैनात हैं लेकिन उनकी दरियादिली एक मिसाल बन गई है। कमलेश कुमार त्रिपाठी पिछले 2 महीनों से लगातार उन गरीब बच्चों और झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों की मदद कर रहे हैं जो बेहद गरीब होते हैं।


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गरीबों की मदद करते हैं कमलेश त्रिपाठी

प्रयागराज के अलग-अलग झुग्गी झोपड़ी में कमलेश लोगों की मदद करते हुए आपको दिख जाएंगे। कमलेश कुमार त्रिपाठी कभी उनको कपड़े देते हैं, तो कभी कॉपी किताब, तो कभी इस तेज धूप में इन गरीबों बच्चों को टोपी, स्लीपर और फ्रूट जूस देते हुए नजर आ रहे हैं।

कमलेश कुमार त्रिपाठी अपनी कार में यह सामान रखकर अलग-अलग झुग्गी झोपड़ी में जाते हैं और इन सभी गरीब बच्चों की निस्वार्थ सेवा करते हैं।

कमलेश त्रिपाठी ने बताया कि, उनको ये प्रेरणा प्रयागराज के मशहूर समाजसेवी पंकज रिज़वानी से मिली है। अक्सर वह उनके किये कार्यो को मीडिया के माध्यम से देखते रहते थे। फिर उनसे मुलाकात हुई और उनके अंदर भी लोगों के प्रति निस्वार्थ मदद करना का भाव पैदा हुआ।

गरीब बच्चों को बांटे टोपी ,चप्पल और फ्रूट ड्रिंक

कमलेश दारागंज,संगम क्षेत्र और परेड ग्राउंड के झुग्गी झोपड़ी में रह रहे गरीब बच्चों की मदद करते हुए नजर आए। टोपी ,चप्पल और फ्रूट ड्रिंक पाकर बच्चे बेहद खुश नजर आए।

छोटी बच्ची प्रतिमा निषाद भी बेहद खुश नजर आई। उसने कहा कि, दो दिन पहले ही उसकी चप्पल टूट गई थी जिसके बाद उसने भगवान से प्रार्थना की थी कि, उसको चप्पल कहीं से मिल जाए क्योंकि चप्पल खरीदने के पैसे भी नहीं थे और जब आज उसको चप्पल टोपी और जूस मिला उसकी खुशी का ठिकाना भी नहीं रहा।

जरूरतमंदों की मदद करने की अपील

अधिकारी कमलेश कुमार त्रिपाठी ने बताया कि, मार्च महीने से ही गर्मी अपना प्रचंड रूप दिखा रही है और मार्च के तीसरे हफ्ते में जब वह संगम क्षेत्र गए और थोड़ी देर के लिए जब उन्होंने अपने जूते उतारे तो उनको आभास हुआ की जमीन कितनी गर्म है।

इस दौरान उन्होंने कई बच्चों को देखा जो नंगे पैर रेत पर चल रहे थे उसी दिन से उन्होंने ठाना की वह उन लोगों की मदद करेंगे जो इसके बेहद हकदार हैं। तब से वह निरंतर असहाय गरीब बच्चों के लिए मसीहा बने हुए हैं। हालांकि अब वह लोगों से भी अपील कर रहे हैं कि, जो लोग सक्षम हो वह इंसानियत दिखाएं और जरूरतमंदों की मदद करें।


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