द लीडर हिंदी। प्रदूषण के बारे में तो आप जानते ही है कि, ये हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना नुकसानदायक है। लेकिन आपको बता दे कि, प्रदूषण आपकी उम्र को घटा रहा है। इसलिए पहले से ही सचेत रहिए और पर्यावरण की सुरक्षा कर अपने साथ-साथ अपने परिवार और अपने समाज की सुरक्षा करें। आप जानते है कि, पर्यावरण दूषक पदार्थों के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में पैदा होने वाले दोष को कहते हैं। प्रदूषण पर्यावरण को और जीव-जन्तुओं को नुकसान पहुंचाते हैं। वर्तमान समय में पर्यावरणीय अवनयन का यह एक प्रमुख कारण है। बता दें कि, प्रकृति द्वारा निर्मित वस्तुओं के अवशेष को जब मानव निर्मित वस्तुओं के अवशेष के साथ मिला दिया जाता है तब दूषक पदार्थों का निर्माण होता है। दूषक पदार्थों का पुनर्चक्रण नहीं किया जा सकता है। लेकिन ये प्रदूषण काफी खतरनाक है। एक अमेरिकी शोध संस्थान ने कहा है कि, भारत में वायु प्रदूषण की वजह से 40 फीसदी लोगों की उम्र में से नौ साल तक कम हो सकते हैं.
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…तुरंत ठोस कदम उठाने की जरूरत
अमेरिकी शोध संस्थान की रिपोर्ट ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए तुरंत जरूरी कदम उठाने की जरूरत को रेखांकित किया है. शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति इंस्टीट्यूट (ईपीआईसी) की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय, पूर्वी और उत्तरी भारत में रहने वाले 48 करोड़ से ज्यादा लोग काफी बढ़े हुए स्तर के प्रदूषण में जी रहे हैं. इन इलाकों में देश की राजधानी दिल्ली भी शामिल है. रिपोर्ट में कहा गया है कि, यह चिंताजनक है कि वायु प्रदूषण का इतना ऊंचा स्तर समय के साथ और इलाकों में फैला है।
ये है एनसीएपी का लक्ष्य
रिपोर्ट ने महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि, अब इन राज्यों में भी वायु की गुणवत्ता काफी गंभीर रूप से गिर गई है. राष्ट्रीय कार्यक्रम की तारीफ हालांकि रिपोर्ट में 2019 में शुरू किए गए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) की तारीफ की गई है और कहा गया है कि. अगर इसके तहत दिए गए लक्ष्यों को “हासिल कर उनका स्तर बनाए रखा गया” तो देश में जीवन प्रत्याशा या लाइफ एक्सपेक्टेंसी में 1.7 सालों की बढ़ोतरी हो जाएगी. और तो और ऐसे में नई दिल्ली में जीवन प्रत्याशा 3.1 सालों से बढ़ जाएगी. एनसीएपी का लक्ष्य 2024 तक वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित देश के 102 शहरों में प्रदूषण के स्तर को 20-30 प्रतिशत घटाना है।
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औद्योगिक उत्सर्जन और गाड़ियों के धुएं को कम करना होगा
इसके लिए औद्योगिक उत्सर्जन और गाड़ियों के धुएं को कम करना, यातायात ईंधनों के इस्तेमाल और जैव ईंधन को जलाने के लिए कड़े नियम लागू करना और धूल से होने वाले प्रदूषण को कम करना. इसके लिए निगरानी के लिए बेहतर सिस्टम भी लगाने होंगे. बड़ा संकट भारत के पड़ोसी देशों में भी हालात का मूल्यांकन करते हुए ईपीआईसी ने कहा है कि, बांग्लादेश अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा बताए हुए वायु गुणवत्ता के स्तर को हासिल कर लेता है तो वहां जीवन प्रत्याशा में 5.4 सालों की बढ़ोतरी हो सकती है.
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ईपीआईसी ने भारत और दूसरे देशों की स्थिति को देखा
उम्र के इन आंकड़ों को निकालने के लिए ईपीआईसी ने लंबे समय से अलग-अलग स्तर के वायु प्रदूषण का सामना कर रहे लोगों के स्वास्थ्य की तुलना की और फिर उन नतीजों के हिसाब से भारत और दूसरे देशों की स्थिति को देखा. आईक्यूएयर नाम की स्विट्जरलैंड की एक संस्था के मुताबिक, 2020 में नई दिल्ली ने दुनिया की सबसे ज्यादा प्रदूषित राष्ट्रीय राजधानी होने का दर्जा लगातार तीसरी बार हासिल किया. आईक्यूएयर हवा में पीएम 2.5 नाम के कणों की मौजूदगी के आधार पर वायु गुणवत्ता नापता है. यह कण फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.
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हमें होना होगा एकजुट और उठाने होंगे कदम
बता दें कि, पृथ्वी के सभी प्राणी एक-दूसरे पर निर्भर हैं और विश्व का प्रत्येक पदार्थ एक-दूसरे से प्रभावित होता है इसलिए और भी आवश्यक हो जाता है कि प्रकृति की इन सभी वस्तुओं के बीच आवश्यक संतुलन को बनाए रखा जाए।
लेकिन ऐसा नहीं होने की स्थिति में पर्यावरण प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। नतीजतन मानव और अन्य जीवों के पास न तो लेने के लिए शुद्ध प्राणवायु है, न स्वच्छ जल और न ही वह मृदा जिस पर उगे अनाज से मनुष्य अपना पोषण कर सके। हम केवल यह कह सकते हैं कि, हम उतना भर कर रहे हैं, जिससे काम चल सके. ऐसे समय में जब जलवायु परिवर्तन इतनी गंभीर चुनौती बन चुका है। हमारे प्रयास नाकाफी हैं. प्रदूषण को लेकर हम सभी को जागरूक होने की जरूरत है। और बड़े स्तर पर काम करने की आवश्यकता है।