द लीडर : तेल संपदा के धनी कुवैत (Kuwait) में सियासी घमासान सतह पर आ गया है. कुवैत के प्रधानमंत्री सबाह-अल-खालिद-अल-सबाह ने बुधवार को देश के अमीर (शासक) शेख नवाफ अल-अहमद-अल-सबाह को अपने मंत्रीमंडल का इस्तीफा सौंप दिया है. कुवैत की समाचार एजेंसी कुना के हवाले से ये खबर सामने आई है. संसद और सदस्यों के बीच उपजे मतभेदों के चलते ये इस्तीफे हुए हैं.
नेशनल असेंबली और सरकार के मध्य पैदा हुए इस गतिरोध के बीच उप-प्रधानमंत्री शेख हमद जाबेर-अल-अली-अल सबाह ने मंगलवर को सभी कैबिनेट सदस्यों के इस्तीफे पेश किए थे. कुवैत संविधान के मुताबिक कैबिनेट के इस्तीफे प्रधानमंत्री को सौंपना जरूरी है. और प्रधानमंत्री को उन इस्तीफों को अमीर के समक्ष रखना आवश्यक है.

अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक हालिया घटनाक्रम तब पैदा हुआ जब कैबिनेट के 38 सदस्यों ने प्रधानमंत्री से सवाल करने की गुजारिश की. इसमें सदस्यों ने कैबिनेट कार्यक्रम पेश करने में असफल रहने का आरोप लगाया.
तेल समृद्ध कुवैत में कानूनविदों और सत्तारूढ़ परिवार के नेतृत्व वाली सरकार के बीच करीब एक दशक से भी अधिक समय से राजनीतिक विवाद बने हुए हैं. जिससे ये देश पूरी तरह से हिला चुका है. इस अंतराल में कई बार संसद और मंत्रिमंडल भी भंग हो चुके हैं.
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पिछली कैबिनेट ने भ्रष्टाचार और घुसपैद के आरोपों के बीच नवंबर 2019 में कदम रखा था, जबकि दिसंबर 2020 के चुनावों में आखिरी कैबिनेट को बदल दिया गया था.
हाल ही में कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में उथल-पुथल मचाई है. कुवैत पर इसकी दोहरी मार पड़ी है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल के दामों में गिरावट से उसकी आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा है.
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खाड़ी में कुवैत ही एकमात्र ऐसा देश है, जो इकलौती निर्वाचित संसद है. संविधान के मुताबिक अमीर को बेशुमार अधिकार हैं. वे सरकार की सिफारिश पर विधायिका को भंग भी कर सकते हैं.
मौजूदा अमीर शेख नवाफ अल-अहमद-अल-सबाह करीब 91 साल के हैं. अपने भाई शेख सबाह की मौत के बाद सितंबर में उन्होंने पद्भार संभाला था. करीब 4.8 मिलियन आबादी वाले कुवैत में लगभग 70 प्रतिशत आबादी विदेशी है.
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