द लीडर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को तीनों विवादित कृषि कानून वापस लेने का ऐलान कर दिया है. जिन पर पिछले 12 महीने से सरकार और किसानों के बीच गतिरोध बना था. पीएम ने कहा कि हम किसानों को समझा नहीं पाए. संसद के शीतकालीन सत्र में कानून रद करने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. (PM Repeal Farm Laws)
मोर्चा ने कहा कि किसान आंदोलन अभी खत्म नहीं होगा. हमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)की गारंटी पर कानून चाहिए. किसान नेता डॉ. दर्शनपाल सिंह ने कहा कि जल्द ही संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक बुलाएंगे. उसमें तय होगा कि आंदोलन तय होगा कि इस आंदोलन को आगे कैसे चलाना है.
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्ड पर हजारों किसान पिछले सालभर से धरने पर बैठे हैं. सर्दी, बारिश और धूप. सब झेली. तमाम आरोप और दबाव के बीच भी किसान अपनी मांगों पर अड़े रहे. उनके समर्थन में देशभर में प्रोटेस्ट भी हुए. हाल ही में लखीमपुर में किसानों के प्रदर्शन पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष ने गाड़ी चढ़ा दी थी. जिसमें किसानों समेत आठ लोग मारे गए थे.
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किसान मोर्चा ने एक बयान जारी किया है, जिसमें कहा है कि पीएम मोदी ने जून 2020 में अध्यादेश के जरिये तीन किसान विरोधी और कॉरपोरेट समर्थक काले कानून लाने की घोषणा की थी. एक साल बाद उन्हें रद किए जाने का हम स्वागत करते हैं. (PM Repeal Farm Laws)
लेकिन इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए।
कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) November 19, 2021
मोर्चा ने कहा कि हम संसदीय प्रक्रिया के माध्यम से इनकी वापसी की प्रतीक्षा करेंगे. ऐसा होता है तो ये एक साल से देश में चल रही किसान आंदोलन की ऐतिहासिक जीत होगी. (PM Repeal Farm Laws)
मोर्चा ने इस संघर्ष में किसानों की शहादत को भी याद किया है. कहा कि इस दरम्यान करीब 700 किसान शहीद हुए हैं. लखीमपुर खीरी हत्याकांड समेत दूसरी घटनाओं को टाला जा सकता था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इन मौतों की जिम्मेदार केंद्र सरकार की जिद है.
किसान मोर्चा ने कहा कि हम पीएम को याद दिलान चाहते हैं कि ये आंदोलन केववल तीन काले कानूनों को निरस्त करने के लिए नहीं है. बल्कि सभी कृषि उत्पादों और किसानों के लिए लाभकारी मूल्य की कानूनी गारंटी के लिए भी है. किसानों की यह मांग अभी बाकी है.
इसी तरह बिजली संशोधन विधेयक को भी वापस लिया जाना बाकी है. किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ. दर्शनपाल सिंह, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्ना मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिव कुमार शर्मा और युद्धवीर ने संयुक्त रूप से ये बयान जारी किया है. (PM Repeal Farm Laws)
कृषि कानून रद होने के बाद किसान इस बात पर अड़े हैं कि उन्हें एमएसपी पर कानून चाहिए. मतलब सरकार जो रेट तय करे, उससे कम दाम पर उनका अनाज न बिके.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सिर झुका दिया है. अन्याय के खिलाफ ये जीत मुबारक हो. जय हिंद, जय किसान.
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें