अयोध्या में बौद्धाें का दावा सुप्रीम कोर्ट में भले ही खारिज हो गया, लेकिन गुजरात के सोमनाथ मंदिर की जांच में बौद्ध गुफाओं के मिलने से ऐतिहासिक घटनाक्रमों पर नए नजरिए आने की संभावनाएं पैदा हो गई हैं। ये वही मंदिर है, जो 12 ज्योतिर्लिंगों में शुमार है और महमूद गजनवी के हमलों से जनमानस की यादों में ज्यादा बसा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, सोमनाथ मंदिर की जांच प्रधानमंत्री व मंदिर के ट्रस्टी नरेंद्र मोदी के आदेश पर की गई। पुरातत्व विभाग को ये आदेश लगभग एक साल पहले दिया गया था। आइआइटी गांधीनगर और चार सहयोगी संस्थाओं के पुरातत्व विशेषज्ञों ने 32 पेजों की रिपोर्ट तैयार कर ट्रस्ट को सौंपी है। जांच और गहराई से विश्लेषण में एक साल लगा।
ट्रस्ट को सौंपी रिपोर्ट के मुताबिक, मंदिर के नीचे तीन मंजिला इमारत होने का पता चला है। नीचे एल शेप की एक और इमारत है। इसके अलावा मंदिर के दिग्विजय द्वार से कुछ दूरी पर सरदार वल्लभ भाई पटेल के स्टेच्यू के आसपास बौद्ध गुफाएं भी हैं।
विशषज्ञों ने लगभग 5 करोड़ रुपए की आधुनिक मशीनों से मंदिर के नीचे जांच की थी। जमीन के नीचे करीब 12 मीटर तक जीपीआर इन्वेस्टिगेशन करने पर पता चला कि नीचे भी एक पक्की इमारत है, साथ ही प्रवेश द्वार भी है।
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विशेषज्ञों ने की रिपोर्ट के अनुसार, बिना नुकसान के भूमिगत साक्ष्यों की जांच के लिए राडार तकनीक का इस्तेमाल किया गया। इसके लिए 200 मेगाहटर्ज् एंटीना से लैस पुरातत्व खोजी उपकरणों से मदद ली गई। हासिल हुए डेटा का बारीकी से अध्ययन किया गया।
जीपीआर से जांच सोमनाथ और प्रभास क्षेत्र में जांच की गई। जिनमें घोलक धाम, सोमनाथ मंदिर का मुख्य द्वार, मंदिर परिसर के अंदर, सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा के पास बौद्ध गुफाओं के पास। लगभग 1100 वर्ग मीटर के कुल क्षेत्र का सर्वेक्षण हुआ।
निम्न आवृत्ति के एंटीना को 2 मीटर की गहराई से लगभग 12 मीटर के दायरे को स्कैन के लिए चुना गया। अच्छी गुणवत्ता वाले सिग्नल डेटा पाने के लिए सर्वेक्षण को खुश्क मौसम में किया गया।