बौद्ध संपदा से भरा है गुजरात, जूनागढ़ में था कभी सम्राट अशोक का शासन

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पुरातात्विक सर्वेक्षण में गुजरात के सोमनाथ मंदिर के नीचे बौद्ध इमारत और गुफाओं के मिलने पर इतिहास को खंगालने की नई कोशिशें अभी बाकी हैं। अलबत्ता, गुजरात में बौद्ध संपदा की मौजूदगी हैरान करने वाली है। यहां भी कभी चीनी यात्री ह्वेनसांग आए थे, जिन्होंने अपनी लेखनी से बौद्ध धर्म की मौजूदगी का वर्णन किया है।

सोमनाथ मंदिर के आसपास भी कई बौद्ध गुफाएं मौजूद हैं, जिनकी जानकारी पहले ही खोजी जा चुकी है। बताया जाता है कि की सम्राट अशोक के शासन के अधीन जूनागढ़ भी रहा, इसलिए बौद्ध धर्म का यहां व्यापक प्रचार-प्रसार हुआ। गुजरात बौद्ध पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का आयोजन करता रहता है।

टूर माइ इंडिया वेबसाइट ने गुजरात में बौद्ध संपदा के बारे में सिलसिलेवार जानकारी दर्ज की है। वेबसाइट के अनुसार, गुजरात के एक क्षेत्र सौराष्ट्र बौद्धा इतिहास के निशान बिखरे पड़े हैं। कुछ प्रसिद्ध बौद्ध साहित्य की पुस्तकें जैसे इंद्रिया जातक, मिलिंडा पन्हा, पेटावथु आदि यहां प्रचलित साक्ष्य माने जाते हैं।

बौद्ध धर्म की मौजूदगी के पुरातात्विक साक्ष्य चीनी यात्री ह्वेन त्सांग के लेखन में दर्ज हैं, जो 640 ईसवी में आए थे। ह्वेनसांग ने भरूच, अटाली, खेता, वल्लभी, आनंदपुरा और सुर्रात में 200 मठों को उल्लेख किया है, जिनमें 10 हजार भिक्षु रहते थे।

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एक अन्य चीनी यात्री इत्सिंग ने 670 ईसवी में गुजरात की यात्रा की। उन्होंने देखा कि सम्मितय स्कूल (भारत के अठारह या बीस शुरुआती बौद्ध स्कूलों में से एक) में पश्चिमी भारत के सबसे बड़े अनुयायी थे। कई प्रसिद्ध शहर, जैसे वडनगर, देवनिमोरी और जूनागढ़ कई बौद्ध मठों, मंदिरों और पहाड़ियों की उपस्थिति से धन्य हैं।

वल्लभी: बौद्ध धर्म के अध्ययन के लिए प्रसिद्ध शहर है। अपने वर्णन में चीनी यात्री इत्सिंग ने वल्लभ विश्वविद्यालय का कद नालंदा विश्वविद्यालय के बराबर बताया है।

वडनगर: अहमदाबाद से 128 किलोमीटर की दूरी पर बनास और रूपन नदी के बीच पुरातत्व स्थल है। वडनगर में एक 12-कोशिकीय संरचना है, जो दो से चार शताब्दी के समय का बौद्ध विहार या मठ है। सातवीं शताब्दी में वडनगर (तब आनंदपुर के नाम से जाना जाता था) का दौरा करने वाले ह्वेन त्सांग ने बताया है कि इस शहर में 1000 बौद्ध भिक्षुओं के लिए 10 संघाराम थे, जहां बौद्ध भिक्षु विश्राम करते थे। वडनगर क्षेत्र में दो साल की खुदाई के दौरान मठ का पता चला।

देवनीमोरी: यहां दूसरी से सातवीं सदी का एक बड़ा बौद्ध प्रतिष्ठान है। हॉट स्प्रिंग्स के नाम से मशहूर देवनीमोरी 1600 साल पहले एक महत्वपूर्ण बौद्ध केंद्र था। सैकड़ों वर्ष पहले सम्राट अशोक ने पूरे भारत में 80 हजार स्तूप बनवाए थे, ऐसा ही स्तूप 1960 के दशक की शुरुआत में देवनिमोरी में खुदाई के दौरान मिला। बौद्ध अवशेष और खुदाई स्थल से मिली बुद्ध की 17 टेराकोटा की मूर्तियां अब वडोदरा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के पुरातत्व विभाग में संरक्षित हैं।

जूनागढ़: नए रंगरूप में दिखने वाला प्राचीन शहर जूनागढ़ कभी बौद्ध अनुयायी सम्राट अशोक के शासन क्षेत्र का हिस्सा था। उन्होंने जूनागढ़ में कई मठों और स्तूपों का निर्माण कराया। जूनागढ़ में कई चट्टानों को काटकर बने मठों और स्तूपों की मौजूदगी है। पन्नेश्वर गुफाएं, माई गडेची, मात्री, इंटवा मठ, बोरदेवी में ईंटों का स्तूप और वज्रपानत यहीं हैं। यह जगह भी कभी बौद्ध धर्म का केंद्र रही है।

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विशालकाय अखंड चट्टानों पर नक्काशीदार तीन-स्तरीय गुफाएं 2000 साल पुरानी बताई जाती हैं। उत्कृष्ट नक्काशी के लिए प्रसिद्ध खंभालिडा गुफाएं, गुजरात महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थस्थल है। उत्तर पश्चिम कच्छ की सियात गुफाएं, शामलाजी में देवनीमोरी, सोमनाथ में सना गुफाएं और वड़ोदरा में कड़िया डूंगर गुफाएं गुजरात की कुछ अन्य बौद्ध गुफाएं हैं जिनका समृद्ध ऐतिहासिक महत्व है।

बौद्ध धर्म की मौजूदगी पहाड़ियों पर भी है। तरंगा पहाड़ियों की चोटी पर मंदिर है जो देवी तारणमाता को समर्पित है। मूर्तियाँ बौद्ध देवी तारा की हैं, जो बौद्धाें की मां मानी जाती हैं। मंदिर के अंदर देवी तारा की संगमरमर की मूर्ति के सिर को देख सकते हैं, एक कमल जिस पर अमिताभ बुद्ध विराजमान हैं। ऐतिहासिक तथ्य यह भी बताया जाता है कि 9वीं शताब्दी तक तरंगा पहाड़ी तांत्रिक बौद्धों का केंद्र थी।

भावनगर में तलजा पहाड़ियां अपनी 30 प्राचीन बौद्ध गुफाओं चट्टानों से काटकर बने होने से प्रसिद्ध हैं। सबसे प्रभावशाली संरचना इब्ला मंडापा है, सामने एक बड़ा हॉल है, जिसमें चार अष्टकोणीय स्तंभ हैं।

इसके अलावा, भुज में थान मठ काफी प्रसिद्ध है। दिनोदर हिल की तलहटी पर मौजूद मठ धोरामनाथ को समर्पित है, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसने 12 वर्षों तक यहां कठोर तपस्या की थी। मठ की पहली मंजिल की दीवारों को सुंदर कामनगरी पेंटिंग से सजाया गया है।

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