द लीडर : क़ुदरत ने तराई को ऐसे बेशुमार तोहफ़ों से नवाज़ा है, जिसकी एक झलक पाने भर को देश ही नहीं बल्कि दुनियां का हर इंसान बेक़रार रहता है. जल, जंगल और ज़मीन इसकी शान है, जिसे प्रकृति ने अपने खजाने के असंख्यक रत्नों से सजाया है. जाइए कभी पीलीभीत टाइगर रिज़र्व और देखिए प्रकृति के वो सारे रंग जिनके दीदार की हसरत आपको आर्टिफिशियल पार्कों तक ले जाती है. पीलीभीत के जंगलों में आजकल तो कुछ ऐसा निकल आया है, जिसे देखकर वाइल्ड लाइफ संरक्षक चहक उठे हैं. (Pilibhit Tiger Reserve News )
यहां दुनिया की सबसे छोटी बिल्ली में शुमार रस्टी स्पॉटेड कैट और रेड कोरल कुकरी सांप जैसी दुर्लभ प्रजाति के जीव पीलीभीत टाइगर रिजर्व नज़र आए हैं. इसके अलावा इंडियन रूफेल टर्टिल, एटूटेंड स्टार्क, स्वाम्प फ्रांकोलिन जैसी प्रजातियां भी देखी गई हैं. हालांकि ये अलग बात है कि ज़िम्मेदार जितना ज़ोर बाघ, तेंदुआ और भालू के संरक्षण पर दे रहे हैं-उतना इन दुर्लभ जीवों के कंजर्वेशन पर नहीं. यहां तक कि कोई ठोस प्लानिंग भी नहीं.
चूंकि पूरी दुनिया में बढ़ते प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जीव-जंतुओं के जीवन पर संकट बना है. जो हर पर्यावरण प्रेमी को परेशान करता है. पीलीभीत टाइगर रिज़र्व, जहां जीव-जंतुओं की सैकड़ों प्रजातियां हैं. थोड़ी लापरवाही की वजह से तमाम प्रजातियों के ख़ात्मे का संकट बना है. (Pilibhit Tiger Reserve News )
इसे भी पढ़ें-आज़म ख़ान बोले-ज़मीर नहीं बेचा, मुल्क न क़ौम का सौदा किया
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में 35 प्रजाति के स्तनधारी जीव, 350 से ज्यादा प्रजाति के पक्षी और 15 से ज्यादा प्रजातियों के सरीसृप और तीन सौ से ज्यादा वनस्पतियां पाई जाती हैं. 80 प्रजाति की मछलियां हैं. वाइल्ड लाइफ से जुड़े विशेषज्ञ बताते हैं कि, पिछले कुछ समय से जंगल में कई प्रजाति के जीव मिल चुके हैं जो कभी कभार ही दिखाई पड़ते हैं.
इंडियन रूफेल टर्टिल जिसकी खोज 1287 में गोमती में हुई थी. ये पिछले दिनों टाइगर रिज़र्व के एक जलाशय के पास मिला. इसके अलावा एटूटेंड स्टार्क, स्वाम्प फ्रांकोलिन जैसी कई प्रजातियां मिलीं जो काफी दुलर्भ हैं. चिंता की बात ये है कि जलवायु परिर्वतन और जंगल का सिकुड़ता दायरा वन्यजीवों के लिए लगातार ख़तरा बनता जा रहा है.
दुर्लभ प्रजाति के जीव, जिनके संरक्षण की ज़रूरत
वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसाइटी के अध्यक्ष अख्तर मियां बताते हैं कि टाइगर रिजर्व में ऐसे जीव स्पॉट हो चुके हैं जो बेहद दुर्लभ प्रजाति के हैं. रेड कोरल कुकरी स्नेक जिसकी खोज लखीमपुर से सटे जंगलों में 1926 में अंग्रेजों ने की थी. इसका नाम भी खैरीनियम रखा गया. आधा दशक में इक्का-दुक्का बार ही ये सांप दिखा होगा. रस्टी स्पॉटेड कैट, ये दुनिया में सबसे छोटी बिल्लियों में शुमार है जो पिछले महीनें दिखी हैं. इंडियन रूफेल टर्टिल, एटूटेंड स्टार्क, स्वाम्प फ्रांकोलिन जैसी प्रजातियां टाइगर रिज़र्व में हैं जो बहुत दुलर्भ हैं और उनको संरक्षण की जरूरत है. (Pilibhit Tiger Reserve News )
पीटीआर में हाल फिलहाल में देखे गए दुर्लभ जीव जंतु
– रेड कोरल कुकरी स्नेक
-रस्टी स्पॉटेड कैट
-इंडियन रूफेल टर्टिल
-एटूटेंड स्टार्क
-स्वाम्प फ्रांकोलिन
तराई में खत्म हो रहे वट प्रजाति के पौधे
वन्य जीव ही नहीं बल्कि पेड़-पौधों की प्रजातियां भी संकट में हैं. रुहेलखंड परिक्षेत्र में वट प्रजाति के पौधे लगातार कम होते जा रहे हैं. बरेली कॉलेज के बॉटनी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आलोक खरे तराई के क्षेत्रों में पौधों की प्रजातियों को लेकर रिसर्च कर चुके हैं जिसमें यह बात सामने आ चुकी है. उनके रिसर्च के अनुसार बरेली और आसपास के जिलों में 70 फीसद वट वृक्ष काट दिए गए. पिछले दस सालों में सबसे ज्यादा पीपल, बरगद, पाकड़, गूलर, नीम, बेल, अशोक जैसे पेड़ काटे गए. (Pilibhit Tiger Reserve News )
– फैैक्ट फाइल
स्तनधारी जीव- 35 प्रजाति
पक्षी-350 से ज्यादा प्रजाति
सरीसृप-15 से ज्यादा प्रजाति
पौधे, जड़ी बूटी, झाड़ियां-300 प्रजाति
मछली- 80 प्रजाति
पीलीभीत टाइगर रिज़र्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल कहते हैं कि यहां तमाम प्रजाति के वन्यजीव और वनस्पति मौजूद हैं. पिछले दिनों इनका सर्वे भी कराया गया है. बाघ, तेंदुआ, भालू, बंगाल फ्लोरिकन, दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों के संरक्षण पर जोर है. उसके लिए जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं. (Pilibhit Tiger Reserve News )