पटना हाईकोर्ट ने सरकार को बताया ‘बेदिमाग’, सुप्रीमकोर्ट ने कहा-‘बिहार में कानून नहीं पुलिस का राज’

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Patna High Court Nitish
CM Nitish Kumar RJD Leader Tejashwi Yadav

बिहार : ‘भारतीय संविधान (Indian Constitution) में परिभाषित कोई भी संवैधानिक संस्था इतनी बेदिमाग (Mindless) होकर काम नहीं कर सकती, जितनी बिहार सरकार (Bihar Government) कर रही है. न ही अपने कारनामों को छिपाने के लिए कोई संस्था इतनी बेशर्मी दिखा सकती है. जैसी, इस मामले में बिहार सरकार ने दिखाई है.’ मुख्यमंत्री नीतीश सरकार के कामकाज के ढर्रे पर ये टिप्पणी पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) की है. इससे आप बिहार के सुशासन राज का अंदाजा लगा सकते हैं. (Patna High Court Nitish Kumar)

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जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह की सिंगल बेंच ने समस्तीपुर महिला कॉलेज के सेक्शन अधिकारी रहे राम नवमी शर्मा की अर्जी मंजूर करते हुए ये टिप्पणी की है. राम नवमी शर्मा महिला कॉलेज से रिटायर हो चुके हैं. लेकिन उन्हें बकाया भुगतान नहीं मिला है. मजबूरन अदालत का रुख करना पड़ा. एक याचिका दायर कर कोर्ट से सही वेतनमान और बकाया भुगतान दिलाने की गुहार लगाई है.


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अदालत की इस टिप्पणी बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader of opposition Tejashwi Yadav) ने सीएम पर कटाक्ष किया है. तेजस्वी ने कहा, ”नीतीश जी थक चुके है. हार भी चुके हैं.

लेकिन कुर्सी के लालच में अनैतिकता की सारी हदें लांघकर स्थापित मापदंड, प्रक्रिया और परंपरा तोड़ रहे हैं. उनकी सरकार के कारनामों पर पिछले 6 महीनों में कोर्ट द्वारा विभिन्न टिप्पणियां की गई हैं.” (Patna High Court Nitish Kumar)

नीतीश कुमार 7वीं दफा बिहार के मुख्यमंत्री (Nitish Kumar 7 Times CM of Bihar) का दायित्व संभाले रहे हैं. बतौर चीफ मिनिस्टर उनके पास करीब 15 साल का अनुभव है. जिसमें उन्होंने बिहार के बाहर अपनी छवि को सुशासन बाबू के तौर पर गढ़ा है.

इतने लंबे तजुर्बे के बावजूद हालात बदतर हैं. और उनका सातवां कार्यकाल अदालतों की कठोर टिप्पणियों का सामना कर रहा है. सरकार के कामकाज की परिपाटी पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं.

बिहार में कानून का नहीं पुलिस का राज : सुप्रीमकोर्ट

बीते सप्ताह की ही बात है. बिहार के एक मामले की सुनवाई के दरम्यान सुप्रीमकोर्ट (Supreme Court) ने कहा-”लगता है कि बिहार में कानून का नहीं बल्कि पुलिस का राज है.” मामला ये था कि पुलिस ने एक ट्रक ड्राईवर को 35 दिनों तक अवैध हिरासत में रखा.

और 35 दिनों के बाद एफआइआर दर्ज की. पीड़ित ड्राईवर कानूनी लड़ाई लड़ते हुए हाईकोर्ट पहुंचा. जिस पर पटना हाईकोर्ट ने हैरानी जताई. और सरकार को आदेशित किया कि ड्राईवर को 5 लाख रुपये का जुर्माना अदा करे.


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नीतीश सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी. इसी पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने पुलिस के राज की टिप्पणी की थी. (Patna High Court Nitish Kumar)

इससे पहले जब राज्य में संक्रमण चरम पर था. तब भी अदालत ने स्वास्थ्य सेवाओं (Health Services) को लेकर ऐसी ही कठोर टिप्पणी की थी. इस सबके बावजूद भी सरकार के कामकाज के ढर्रे में कोई बदलाव या सुधार देखने को नहीं मिल रहा है. जबकि अदालतें उसे लगातार आईना दिखाए जा रही हैं.

अदालत ने एसपी को ट्रेनिंग के लिए डीजीपी को पत्र लिखा

पुलिस (Bihar Police) की एक और करतूत जान लीजिए. घटना मधुबनी जिले की है. भैरवस्थान थाने में एक युवती के अपहरण का वाद दर्ज है. मामला अदालत पहुंचा. 15 जुलाई यानी गुरुवार को स्थानीय अदालत में एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज (ADJ) ने इस मामले में पुलिस की कार्यशैली पर बेहद गंभीर प्रश्न उठाए.

चूंकि पुलिस ने सुसंगत धाराएं ही नहीं लगाई थीं. इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए अदालत ने एसपी डॉ. सत्यप्रकाश और डीएसपी आशीष आनंद और थानाध्यक्ष रूपक कुमार अंबुज को तलब किया है. (Patna High Court Nitish Kumar)

इतना ही नहीं एडीजे ने एसपी को राष्ट्रीय पुलिस प्रशिक्षण एकेडमी हैदराबाद भेजने के लिए डीजीपी और गृहमंत्रालय को पत्र लिखा है. अदालत ने इस बात पर हैरानी जताई कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा-376ए पॉक्सो और बाल विवाह अधिनियम 2006, केस में पुलिस ने ये तीनों धाराएं ही नहीं लगाई हैं.

अदालतों की इन टिप्पणियों से एक बात स्पष्ट हो चुकी है कि राज्य मशीनरी ढंग से काम नहीं कर रही है. इसलिए बार-बार अदालतों को सरकार को आईना दिखाना पड़ रहा है. दूसरी ओर राज्य की विपक्षी पार्टी-राष्ट्रीय जनता दल-आरजेडी भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है. और सरकार की नाकामियों पर उसकी घेराबंदी में जुटी है.

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