Wednesday, October 16, 2024
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बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन मेरी जिंदगी का पहला आंदोलन, साथियों संग किया था सत्याग्रह : पीए मोदी

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द लीडर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बांग्लादेश की आजादी का आंदोलन, मेरे जीवन का भी पहला आंदोलन है. मैंने अपने साथियों के साथ बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए सत्याग्रह किया था. तब मेरी उम्र कोई 20-20 साल रही होगी. बोले-जितनी तड़प बांग्लादेश के लोगों में थी, उतनी ही तड़प भारत में भी थी. बांग्लादेश की आजादी की 50वीं वर्षगांठ-स्वर्ण जयंती में हिस्सा लेने शुक्रवार को पीएम मोदी बांग्लादेश पहुंचे हैं. (Bangladesh Liberation Movement PM Modi)

पीएम ने कहा कि ये सुखद संयोग है कि बांग्लादेश की आजादी के 50 साल और भारत की आजादी के 75 वर्ष का पड़ाव एक साथ आया है. दोनों ही देशों के लिए 21वीं सदी के अगले 25 साों की यात्रा काफी महत्वपूर्ण है. हमारी विरासत भी साझी है और विकास भी साझा है.


कुर्बानी की अहमियत समझाने के लिए छात्रों को नेशनल युद्ध स्मारक का भ्रमण कराएं विश्वविद्यालय : यूजीसी


 

उन्होंने कहा कि मैं बांग्लादेश के 50 उद्यमियों को भारत आने का लिए आमंत्रित करना चाहता हूं. वे भरत आएं और हमारे स्टार्टअप से जुड़ें. हम भी उनसे सीखेंगे. उन्हें भी हमसे सीखने का मौका मिलेगा. पीएम ने बांग्ला छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजना की भी घोषणा की है.

बांग्लादेश की आजादी में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को नमन करते हुए पीएम ने कहा कि उन्होंने मुक्तिजुद्धो में अपना लहू दिया, कुर्बानी दी. आजााद बांग्लादेश के सपने को साकार करने में उन्होंने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है. पीएम ने कहा क‍ि मैं राष्ट्रपति अब्दुल हामिद और प्रधानमंत्री शेख हसीना का आभार प्रकट करता हूं ज‍िन्‍होंने इस गौरवशाली क्षण में मुझे बुलाया आमंत्र‍ित क‍िया है.

पीएम के विरोध पर ढाका में झड़प

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश दौरे को लेकर एक कट्टरपंथी इस्लामी समूह-हिफाजत-ए-इस्लाम ने ढाका में विरोध किया. इसको लेकर पुलिस के साथ झड़प हुई. ढाका की बैतुल मुकर्रम राष्ट्रीय मस्जिद के बार जुमे की नमाज के बाद ये समूह इकट्ठा हुआ था. हालांकि पुलिस बलों ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ दिया.

 

कुर्बानी की अहमियत समझाने के लिए छात्रों को नेशनल युद्ध स्मारक का भ्रमण कराएं विश्वविद्यालय : यूजीसी

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द लीडर : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेजों से कहा है कि वे छात्रों को शहीदों के बलिदान का महत्व समझाने के लिए नेशनल वार स्माकर पर लेकर जाएं. ये एक अधिकारिक छात्र भ्रमण भी हो सकता है. हमारे वीर जवानों की शहादत नई पीढ़ी को प्रेरित करने का महत्वपूर्ण सोर्स है. वे जान सकेंगे कि किन मुश्किल चुनौतियों के बीच हमारे सैनिक सरहदों की सुरक्षा में डटे रहते हैं, ताकि देश की एकता-अखंडता कायम रहे. शिक्षा मंत्रालय का हवाला देते हुए विश्वविद्यालयों को ये पत्र जारी किया गया है. (University Students National War Memorial Ssacrifice)

नेशनल वार स्मारक-दिल्ली.

दिल्ली के इंडिया गेट पर नेशनल वार स्मारक है, जोकि करीब 40 एकड़ के दायरे में फैला है. भारत और चीन के बीच 1962 के युद्ध से लेकर कारगिल तक शहादत देने वाले वीर सैनिकों के नाम यहां दर्ज हैं, जिन्हें देश नमन करता है. देश की आजादी से लेकर अब तक पाकिस्तान और चीन के साथ करीब पांच युद्ध हो चुके हैं.

1947, 1965 और 1971 में पाकिस्तान के साथ जंग हुई. और 1999 में कारगिल युद्ध हुआ. इसके अलावा श्रीलंका में शांति बहाली ऑपरेशन में भी भारतीय सैनिकों ने शहादत दी. इन सबकी कुर्बानियां भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक हैं.

दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में नेशनल पुलिस स्मारक है. 6.12 एकड़ में फैले इस स्माकर में 1947 से लेकर अब तक विभिन्न पुलिस बलों में शहीद जवानों की स्मृतियां हैं.


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आजादी से अब तक केंद्रीय और राज्य पुलिस बल के करीब 34,844 जवान ड्यूटी के दौरान शहीद हुए हैं. उनके स्मारक स्थल का भी छात्रों को भ्रमण कराया जाना शामिल है. ये दोनों स्मारक केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा बनवाए गए हैं.

महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. अमित सिंह बताते हैं कि यूजीसी का पत्र म‍िला है. ये जरूरी है कि छात्रों को इन स्मारकों के भ्रमण पर जाना चाहिए.

मेरा मानना है कि हर नागरिक, बुद्धिजीवी को यहां जाना चाहिए. ताकि वे देश के सेना नायकों के पराक्रम, बलिदान और साहस को समझें. उसके जज्बे को महसूस करें. निश्चित रूप से इससे नई पीढ़ी में ऊर्जा का संचार होगा. उनमें सेनाओं और पुलिस बलों के बारे में जानने की जिज्ञासा पैदा होगी.

पंचयात चुनाव को लेकर यूपी सरकार को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से किया मना 

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लखनऊ। पंचायत चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी होने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से भी बड़ी राहत मिली है जंहा सुप्रीम कोर्ट ने मामले दखल देने से मना कर दिया है वही याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने को कहा। बीते 15 मार्च को हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका दाखिल की गयी थी । इसमें उत्तर प्रदेश सरकार तथा पंचायती राज विभाग के साथ-साथ राज्य निर्वाचन आयोग भी पक्षकार बनाया गया था । लिहाजा भावी प्रत्याशियों के साथ-साथ उनके कार्यकर्ताओं की निगाह भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर लगी हुई थी ।

हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।इससे पहले  इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कुछ दिन पहले ही पुरानी आरक्षण सूची पर रोक लगाते हुए 2015 के आधार पर चुनाव कराने को लेकर फैसला सुनाया था हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि साल 2015 को आधार मानते हुए सीटों पर आरक्षण लागू किया जाए। इसके पूर्व राज्य सरकार ने कहा कि वह साल 2015 को आधार मानकर आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए तैयार है और अब उसी को आधार मानकर अंतरिम आरक्षण सूची भी जारी कर दी गई है।

पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी ,जानिए कब पड़ेंगे आपके इलाके में पंचायत के वोट

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लखनऊ। यूपी में पंचायत चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है प्रदेश में चार चरणों में पंचायत चुनाव होंगे । 15 अप्रैल, 19 अप्रैल, 26 अप्रैल और 29 अप्रैल को मतदान किया जाएगा तो 2 मई को मतों की गणना की जाएगी। पहले चरण के 18 जिलों में मतदान होगा ,दूसरे और तीसरे चरण में बीस बीस जिलों में मतदान होगा तो चौथे चरण में 17 जिलों में मतदान होंगे।

पहले चरण के मतदान में 

सहारनपुर,गाजियाबाद, रामपुर, बरेली, हाथरस, आगरा, कानपुर नगर, झांसी, महोबा, प्रयागराज, रायबरेली, हरदोई, अयोध्या, श्रावस्ती, संत कबीर नगर, गोरखपुर, जौनपुरऔर  भदोही

दूसरे चरण के मतदान में

मुजफ्फरनगर, बागपत, गौतम बुध नगर, बिजनौर, अमरोहा, बदायूं, एटा, मैनपुरी, कन्नौज, इटावा, ललितपुर, चित्रकूट, प्रतापगढ़, लखनऊ, लखीमपुर खीरी, सुल्तानपुर, गोंडा, महाराजगंज, वाराणसी और आजमगढ़

तीसरे चरण के मतदान में

शामली,मेरठ, मुरादाबाद, पीलीभीत, कासगंज, फिरोजाबाद, औरैया, कानपुर, देहात, जालौन, हमीरपुर, फतेहपुर, उन्नाव, अमेठी, बाराबंकी, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, देवरिया, चंदौली, मिर्जापुर और बलिया

चौथे चरण के मतदान में

बुलंदशहर, हापुड़, संभल, शाहजहांपुर, अलीगढ़, मथुरा, फर्रुखाबाद, बांदा, कौशांबी, सीतापुर, अंबेडकरनगर, बहराइच, बस्ती, कुशीनगर, गाजीपुर, सोनभद्र और  मऊ

 

महंगी शादियां और दहेज के खिलाफ मुस्लिम समाज में बढ़ती बेचैनी

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वीडियो : मुस्लिम समाज में दहेज के खिलाफ बेचैनी बनी है, जिस पर अब खुलकर बात होने लगी है. दरगाह-खानकाह और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ समाजिक संगठन और उलमा भी इसके खिलाफ जागरुकता की अलख जगा रहे हैं. और दहेज पर पूरी तरह से रोक लगाने की की जरूरत जता रहे हैं. इस्लाम में दहेज को लेकर क्या प्रावधान हैं. सुनिए.

दरगाह आला हजरत पर हाजिरी देने पहुंचे चंद्रशेखर आजाद

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बरेली : आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद गुरुवार को दरगाह आला हजरत पहुंचे. यहां हाजिरी दी और सज्जादानशीन के छोटे भाई नूरी मियां से मुलाकात की. इससे पहले चंद्रशेखर पार्टी के एक कार्यक्रम में शामिल हुए और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में हिस्सा लिया. देर शाम को वह बरेली से रवाना हो गए.

आगामी विधानसभा चुनाव के मद्​देनजर चंद्रशेखर संगठन को मजबूती देने के लिए विभिन्न जिलों का भ्रमण कर रहे हैं. इसी के मद्​देनजर वह बरेली पहुंचे थे. पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया. मौलाना इंतेजार अहमद कादरी बताते हैं कि दरगाह आला हजरत पर चादरपोशी की. दरगाह पर हाजिरी के दौरान परवेज नूरी, अजमल नूरी समेत अन्य लोग मौजूद रहे.

चंद्रशेखर आजाद यूपी में दलित समाज का एक मजबूत चेहरा बनकर उभरे हैं, जिन्हें मुस्लिम समाज के बीच भी स्वीकार्यता मिल रही है. खासतौर से नागरिकता संशोधन कानून में हिस्सा लेने के बाद से, मुस्लिम समाज में उनकी बढ़ी है.

पाकिस्तान : औरत मार्च के खिलाफ इस्लाम की तौहीन का इल्जाम, मुकदमा दर्ज करने की याचिका

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अतीक खान 

 

आजाद औरतें, रूढ़िवादी-पितृसत्ता वाली सोच के लिए एक ऐसा डरावना ख्वाब है, जिसे हकीकत में बदलते देखना इसे बर्दाश्त नहीं. औरतों की फटी जींस से इस सोच का दम घुटता है. बुर्के पर तमाशा आम है. लड़िकयां, किससे प्यार करेंगी और शादी. ये सब पुरुषों की जागीर वाले फैसले हैं. ऐसी सूरत में चंद औरतें सड़कों पर आजादी मांगने निकल पड़ें, तो भला कैसे कोई समाज इसे स्वीकार करेगा. (Pakistan Islam Woman Protest)

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रोज पाकिस्तान में औरत मार्च में शामिल महिलाएं अपने अधिकार की आवाज उठा रही हैं. फोटो-साभार ट्वीटर

कम से पाकिस्तान जैसे देश में तो हरगिज नहीं. इसलिए आजकल इस्लामाबाद से लेकर लाहौर तक बस एक ही बात पर हल्ला मचा है. वो ये कि अंतरराष्ट्रीय दिवस पर जिन औरतों ने औरत मार्च निकाला था. उनके मार्च में इस्लाम की तौहीन की गई है. इसलिए इस मार्च के आयोजकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा. सो, पेशावर की एक अदालत में औरत मार्च के आयोजक के खिलाफ इस्लाम की तौहीन का मुकदमा दायर किए जाने के लिए याचिका दाखिल की गई है.


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औरत आजादी मार्च इस्लामाबाद’ नाम से एक ट्वीटर हैंडल है, जो 2019 में बना है. ये औरत मार्च के ऑफिशियल ट्वीटर हैंडल के रूप में इस्तेमाल होता है. इसमें पाकिस्तान की पूंजीवादी पितृसत्ताक सोच के खिलाफ संघर्ष का संदेश है. औरत मार्च पर जब बखेड़ा मचा तो इसी हैंडल से एक पत्र जारी किया गया है, जिसमें सफाई दी गई कि मार्च में इस्लाम या देश विरोधी कोई गतिविधि नहीं हुई है. और सारे इल्जाम बेबुनियाद हैं.

पाकिस्तान में महिलाओं की हालत

पाकिस्तान में महिलाओं की स्थिति को लेकर काम कर रहीं मानवाधिकार कार्यकर्ता अनिल गुलजार ने अपने एक लेख में 2018 की एक रिपोर्ट का जिक्र किया है. जो ‘पाकिस्तान और चीन में महिलाओं की जिंदगी’ शीर्षक से है. उसमें ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स की रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि पाकिस्तान महिलाओं के मामले में दुनिया के सबसे खराब देशों में से छठे स्थान पर है. जबकि लैंगिक भेदभाव के लिए दूसरे नंबर पर है.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रोज पाकिस्तान में औरत मार्च में शामिल महिलाएं अपने अधिकार की आवाज उठा रही हैं. फोटो-साभार ट्वीटर

पाकिस्तान के ही व्हाइट रिबन एनजीओ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि है कि यौन हिंसा पर बात करना पाकिस्तान में गुनाह माना जाता है. इसमें कहा गया है कि 2004 से 2016 के बीच करीब 47 हजार महिलाएं यौन हिंसा का शिकार बनीं. इस बीच 5500 महिलाओं का अपहरण हुआ है. महिला अपराध में सजा की दर भी काफी कम है. महज 2.5 प्रतिशत मामलों में ही कोर्ट से सजा तय हो पाती है.

इस्लाम-देश विरोधी गतिविधि का आरोप

पाकिस्तान की टीवी चैनल जी-न्यूज के मुताबिक, हर साल की तरह इस बार भी 8 मार्च को औरत मार्च निकला था. इसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने हिस्सा लिया. इसमें एक औरत के हाथ में पोस्टर था. जिसमें लिखा था कि जब वह 9 साल की थीं, तब एक 50 साल के शख्स ने उनका उत्पीड़न किया था. और आज वो व्यक्ति एक धार्मिक शख्सियत के तौर पर पहचाना जाता है.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रोज पाकिस्तान में औरत मार्च में शामिल महिलाएं अपने अधिकार की आवाज उठा रही हैं. फोटो-साभार ट्वीटर

इस पोस्टर को ऐसे प्रचारित किया जा रहा कि महिला ने अपने यौन उत्‍पीड़न के अपराधी के साथ उसकी मजहबी पहचान का तथ्य जोड़कर इस्लाम का अपमान कर द‍िया है. सिर्फ इस एक बात पर कि यौन उत्पीड़न करने वाला शख्स आज मजहब की आड़ में छ‍िपा है, तो उसके गुनाहों का गुमनामी के साथ ज‍िक्र भी अपराध होगा. दूसरा पोस्टर वूमेन डेमोक्रेटिक फ्रंट के झंडे को लेकर है, जिसे फ्रांस का झंडा बताकर देश विरोध होने का इल्जाम लगाया जा रहा है.

न्यूज चैनल के अनुसार देश में जब महिला अपराध, सुरक्षा पर बात होनी चाहिए थी. वो न होकर औरतों को इस्लाम और देश विरोधी ठहराए जाने पर हो रही है. इस अभियान में मीडिया का एक बड़ा वर्ग, बड़े पत्रकार और राजनीतिक-धार्मिक लोग शामिल हैं.


फटी जीन्स:तीरथ पर बिग बी की नातिन नव्या, गुल पनाग, प्रियंका के तंज


 

औरत मार्च की ओर से जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि वो केवल औरतों और बच्चियों के खिलाफ होने वाले जुल्म पर रोक के लिए संघर्ष कर रही हैं. वो चाहती हैं कि समाज में होने वाली ऐसी घटनाएं बंद हों और औरतों सुरक्षित रहें. ये उनका अधिकार है.

जियाउल हक के शासन में इकबाल बानों की बगावत

पाकिस्तान में औरतों की आजादी या इंकलाब के प्रति उनके हौसले की ये कोई दास्तां नहीं है. 1985 में जनरल जियाउल हक का शासन में औरतों के साड़ी पहनने पर पाबंदी लगा दी गई थी. ये वो दौर था जब पाकिस्तान में जिया शासन के खिलाफ कोई तेज आवाज में बात करने से भी डरता था. तब एक मशहूर अदाकारा इकबाल बानों ने काली सड़ी पहनकर लाहौर के स्टेडियम में फैज की नज्म पढ़कर विरोध दर्ज कराया था. वो नज्म है, हम भी देखेंगे…

 

VRS के बाद अमिताभ ठाकुर ने घर की नेम प्लेट पर लिखा ‘जबरिया रिटायर’

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लखनऊ। पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने अनिवार्य सेवानिवृति के बाद गोमतीनगर में अपने आवास की नेमप्लेट बदलते हुए जबरिया रिटायर्ड लिख दिया है जिसे उन्होंने सोशल मीडिया पर भी शेयर किया। उन्होंने अपने घर की नेम प्लेट में अमिताभ ठाकुर के साथ आईपीएस जबरिया रिटायर्ड लिखा है।

अक्सर चर्चा में रहने वाले अमिताभ ठाकुर एक बार फिर अपने अनिवार्य सेवानिवृति के लिए चर्चा में है जिसको उन्होंने अपने आवास पर लगी नेम प्लेट ही बदल डाली और उस पर जबरिया रिटायर्ड लिखा इसके अलावा नेम प्लेट के साथ अपनी तस्वीर खिंचवाकर फेसबुक तथा ट्विटर पर भी शेयर की है। इससे पहले उन्हें 2015 में निलंबित कर दिया गया था। अमिताभ  ठाकुर ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव पर धमकाने का आरोप लगाया था  । गृह मंत्रालय ने 17 मार्च को उन्हें सेवानिवृत्त होने का आदेश दिया था। आदेश की प्रति उत्तर प्रदेश सरकार को भेजी गई थी, जहां ठाकुर वर्तमान में पुलिस महानिरीक्षक के रूप में तैनात थे। 1992 बैच के आईपीएस ठाकुर को जनहित में तत्काल प्रभाव से सेवानिवृत्त करने के आदेश दिए गए हैं, जबकि उनका सेवा कार्यकाल पूरा होने में अभी समय बाकी है।
अमिताभ ठाकुर 1992 बैच के आइपीएस के साथ-साथ कवि, लेखक और एक एक्ट‍िविस्ट के रूप में भी जाने जाते हैं,सरकार कोई भी रही हो अमिताभ ठाकुर उससे मोर्चा लेने में कभी पीछे नहीं रहे
अमिताभ का जन्म बोकारो (बिहार-झारखंड) में हुआ था। शुरुआती पढ़ाई बोकारो के केंद्रीय विद्यालय से पूरी करने के बाद अमिताभ ने आइआइटी कानपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।आइपीएस बनने के बाद वह उत्तर प्रदेश के सात जिलों बस्ती, देवरिया, बलिया, महाराजगंज, गोंडा ,ललितपुर और फीरोजाबाद में कप्तान रहे। अमिताभ ठाकुर साल 2006 में जब फिरोजाबाद के एसपी थे, उसी दौरान मुलायम सिंह किसी बात को लेकर उनसे नाराज हो गये और उनका तबादला कर दिया।मुलायम सिंह की नाराजगी ही थी कि अमिताभ ठाकुर को किसी भी बड़े जिले में बतौर कप्तान तैनाती नहीं मिली।वर्ष 2006 में अमिताभ ठाकुर को डीआइजी, और साल 2010 में आइजी के पद पर प्रमोशन मिलना था लेकिन गोंडा में कप्तान रहते शस्त्र लाइसेंस में धांधली के मामले में विभागीय जांच उनके खिलाफ चली गई, जिसके चलते  बाद में मायावती राज में उनको पांच साल कोई प्रमोशन नहीं दिया गया।इसके बाद ठाकुर ने एक लम्बी लड़ाई लड़ी और आखिरकार अखिलेश सरकार ने साल 2013 में इनका डाइरेक्ट प्रमोशन एसपी से आइजी के पद पर कर दिया। प्रमोशन के बाद इन्हें आइजी रूल्स मैन्युअल बनाया गया, जिसके बाद इनका तबादला आइजी सिविल डिफेंस के के पद पर कर दिया गया। नौकरी के दौरान गैरविभागिय कामों में दखलअंदाजी का अमिताभ ठाकुर पर आरोप लगा।उन्होंने कई आरटीआइ भी सरकारी कार्यों के लिए दाखिल किए,कई पीआइएल किए जिनमें कुछ में कोर्ट की फटकार भी सुनने को मिली।

निजामुद्​दीन : पिछले एक साल से बंद तब्लीगी जमात का मरकज 29 को खुलेगा, दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश

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द लीडर : दिल्ली हाईकोर्ट ने निजामुद्​दीन स्थित तब्लीगी जमात के मरकज को खोलने की इजाजत दे दी है. ये मरकज पिछले साल कोरोना हॉटस्पॉट पाए जाने के बाद से बंद था. दिल्ली वक्फ बोर्ड की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सशर्त आदेश जारी किया है. इसके तहत 29 मार्च को मरकज खुलेगा और 50 लोगों को ही दाखिल होने की इजाजत रहेगी. अदालत ने केंद्र सरकार से इस मामले में स्टेट्स रिपोर्ट मांगी है.12 अप्रैल को अगली सुनवाई नियत हुई है.

(Nizamuddin Tablighi Jamaat Delhi High Court)

दिल्ली वक्फ बोर्ड की याचिका में शबे बारात और रमजान का हवाला देते हुए कहा गया था कि इस दरम्यान मुस्लिम समुदाय के लोग नियमित इबादत करते हैं. सुनवाई के लिए वक्फ बोर्ड की स्टैंडिंग काउंसिल से वजीह शफीक, वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता अदालत में उपस्थित रहे. जबकि दिल्ली सरकार की ओर से वकील नंदिता राव ने पक्ष रखा. और एडीशनल सॉलिसटर जनरल चेतन शर्मा, वकील रजत नायर केंद्र सरकार का पक्ष रखने को उपस्थित हुए.

पिछले साल फरवरी में तब्लीगी जमात के मरकज में इजतेमा था. इसमें देश-विदेश के मेंबर शामिल हुए थे. इसी बीच मार्च में लॉकडाउन लग गया. और ये लोग मरकज में फंस गए. जबकि कुछ लोग अपने घरों को वापस लौट गए. बाद में यहां बड़ी संख्या में लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. जिसको लेकर देशभर में छापेमारी कर मरकज पहुंचने वालों की तलाश की गई. और मरकज को सील कर दिया गया था.

तब्लीगी जमात के सदर मौलाना साद को मीडिया ने खलनायक के रूप में पेश किया. इसी क्रम में देश भर से सैकड़ों जमातियों की गिरफ्तारियां हुईं. उन पर महामारी अधिनियिम के अंतर्गत कार्रवाई की गई. विदेशी जमातियों के पासपोर्ट जब्त कर लिए. हालांकि कई राज्यों में इन जमातियों को अदालत से राहत मिली है.


तब्लीगी जमात : 16 विदेशी नागरिकों ने अपना जुर्म कबूला, अदालत ने दी जेल में बिताए गए समय और अर्थदंड की सजा


 

हाल ही में लखनऊ की एक अदालत ने 9 विदेशी तब्लियों को रिहा किया है, इसलिए क्योंकि पुलिस उनके खिलाफ कोई साक्ष्य पेश नहीं कर पाई. मुंबई, दिल्ली समेत कुछ और राज्यों की हाईकोर्ट ने भी सबूत न मिलने पर कई तब्लीगी जमात के सदस्यों को रिहा किया.

हजरत निजामुद्​दीन इलाके में 1857 में तब्लीगी जमात का ये मरकज स्थापित हुआ था. ये जमात मुसलमानों को इस्लाम की बुनियादी शिक्षाओं पर चलने के लिए प्रेरित करती है. दुनिया भर में इस जमात के सदस्य हैं और जो वे समय-समय पर उनका मरकज आना-जाना रहता है.

प्रशासन की न सुनने वाला सीएमएस सील, शिक्षक थे कोरोना पॉजिटिव

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लखनऊ।  ये कोई नई बात नहीं है कि सिटी मोंटेसरी स्कूल ने सरकार के नियम कानून को किनारे रख कर कोई काम किया हो लेकिन लगता है इस बार ऊँची पहुँच वाले स्कूल के संस्थापक जगदीश गाँधी का रौब काम नहीं आया। लखनऊ के महानगर स्थित सिटी मोंटेसरी स्कूल की बिल्डिंग को सील कर दिया गया है यंहा पर कोविड-19 से संक्रमित शिक्षक की सूचना के बाद जिला प्रशासन ने नगर निगम की मदद से स्कूल का सेनिटाइजेशन कराया फिर पूरी बिल्डिंग को सील कर दिया।

प्रदेश में मुख्यमंत्री ने सभी स्कूलों की 25 से 31 तारीख तक छुट्टी कर रखी है लेकिन लखनऊ वाले जगदीश गाँधी के सीएमएस पर पर मुख्यमंत्री के आदेश का क्या असर ? मुख्यमंत्री ने बच्चो की छुट्टी के आदेश दिए तो सीएमएस ने प्री बोर्ड परीक्षा के बहाने बच्चों को स्कूल बुला लिया बच्चो के द्वारा दी जानकारी के अनुसार आज बच्चों को स्कूल बुलाया गया था लेकिन शिक्षक के  कोरोना पॉजिटिव  की सूचना के बाद स्कूल प्रशासन ने बच्चों को घर वापस भेज दिया । हालांकि अब स्कूल प्रशासन की तरफ से कई तर्क दिए जायेंगे और ऊँची पहुँच के चलते कोई कार्यवाही भी नहीं होगी लेकिन इस तरह से बच्चो की जिंदगी से कब तक खेलते रहेंगे ऐसे प्राइवेट स्कूल के मालिक। क्यों स्कूल के मालिक देख कर स्कूल पर कार्यवाही होती है ?

अब स्कूल की तरफ से एक ये भी तर्क दिया जा सकता है की बच्चों की तो छुट्टी थी लेकिन शिक्षकों को बुलाया गया था। ये कोई सीएमएस का ही बात नहीं है बड़े बड़े रुतवे वाले स्कूलों में बच्चो की छुट्टी तो होती है  लेकिन शिक्षकों की नहीं शिक्षकों को तो स्कूल आना ही होता है।

बीते दिनों सीएमएस की दूसरी ब्रांच में में एक शिक्षक कोरोना से संक्रमित मिला था इसके बाद महानगर स्थित ब्रांच में शिक्षकों का कोरोना टेस्ट किया गया जिसमे फिर शिक्षक संक्रमित मिले अब ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है की ये जो ऊँची पहुँच वाले बड़े स्कूल हैं उन पर प्रशासन का डंडा क्यों नहीं चलता जब बच्चों की छुट्टी होती है तो शिक्षकों को स्कूल क्यों बुलाया जाता है ?