
द लीडर हिंदी: अब मतदाता पहचान पत्र यानी वोटर आईडी को आधार कार्ड से लिंक किया जाएगा। मंगलवार को मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की अध्यक्षता में हुई अहम बैठक में यह बड़ा फैसला लिया गया। इसका मकसद फर्जी मतदाताओं की पहचान करना और फर्जी वोटिंग पर रोक लगाना है। चुनाव आयोग ने कहा है कि यह काम संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के दायरे में रहकर किया जाएगा।
तीन घंटे चली उच्चस्तरीय बैठक, कई मंत्रालयों के अधिकारी रहे मौजूद
नई दिल्ली स्थित निर्वाचन सदन में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी ने केंद्रीय गृह सचिव, विधायी विभाग, इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, UIDAI और चुनाव आयोग के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ बैठक की। करीब तीन घंटे तक चली इस बैठक में आधार-वोटर आईडी लिंकिंग को लेकर विस्तृत चर्चा हुई। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि यह प्रक्रिया पूरी तरह संवैधानिक और पारदर्शी होगी।
राजनीतिक दलों से 30 अप्रैल तक मांगे सुझाव
चुनाव आयोग इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए 31 मार्च से पहले राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों, जिला अधिकारियों और रजिस्ट्रेशन अधिकारियों के साथ बैठक करेगा। इसके अलावा, आयोग ने सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से 30 अप्रैल तक सुझाव मांगे हैं।
2015 में रोक लग चुकी है, अब होगी सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के तहत पहल
यह पहली बार नहीं है जब वोटर आईडी को आधार से लिंक करने की कोशिश हो रही है। 2015 में आयोग ने 30 करोड़ वोटर आईडी को आधार से लिंक किया था, लेकिन आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के करीब 55 लाख मतदाताओं के नाम छंट जाने पर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और अदालत ने इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। अब आयोग का कहना है कि इस बार यह काम पूरी संवैधानिक प्रक्रिया और स्वैच्छिक आधार पर किया जाएगा।
डुप्लीकेट ईपीआईसी नंबरों पर भी उठ रहे सवाल
बीते कुछ समय से संसद के अंदर और बाहर डुप्लीकेट वोटर कार्ड (EPIC) नंबरों को लेकर खूब बहस हो रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे को उठाया था और चुनाव आयोग की वैधता पर सवाल खड़े किए थे। पिछले शुक्रवार को चुनाव आयोग ने बयान दिया कि तीन महीने में डुप्लीकेट EPIC नंबरों की समस्या को खत्म कर दिया जाएगा। इसके बाद ही मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह अहम बैठक बुलाई थी।
क्या कहता है कानून?
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4), 23(5), 23(6) के तहत निर्वाचन अधिकारी मौजूदा या भावी मतदाताओं से स्वैच्छिक रूप से आधार संख्या मांग सकते हैं। यह प्रावधान 2021 के संशोधन अधिनियम के तहत लाया गया था और इसका मकसद मतदाता सूची को साफ और सटीक बनाना है।