निदा खान बोलीं-जनसंख्या नियंत्रण कानून बदल देगा औरतों की जिंदगी, CM को भेजा बधाई पत्र

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Population control Law Nida Khan
आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी की अध्यक्ष निदा खान और अन्य मुस्लिम औरतों ने जनसंख्या नियंत्रण कानून का स्वागत किया है.

द लीडर : उत्तर प्रदेश जनसंख्या नियंत्रण कानून काफी चर्चा में है. और मसौदे की नीतियों पर बहस जारी है. जिसमें इसके प्रभाव का आकलन किया जा रहा है. राजनीतिक और सामाजिक नफा-नुकसान के मायने भी समझे जा रहे हैं. इस बीच मुस्लिम समाज से इस कानून को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रियां सामने आ रही हैं. आला हजरत खानदान की बहू रहीं निदा खान ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखकर इस बिल का स्वागत किया है. (Population control Law Nida Khan)

निदा खान, आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी की अध्यक्ष हैं. जिन्होंने तीन तलाक कानून को लेकर बरेली से आवाज उठाई थी. जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर निदा खान कहती हैं कि ये जरूरी है. खासतौर से महिलाओं के लिए. अभी जिन परिवारों में चार-पांच बच्चे हैं. उनके पालन का भार औरतों पर ही रहता है. चूंकि महिलाएं आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर नहीं हैं. इसलिए बच्चे संभालने का जिम्मा उन्हीं का रहता है.

आबादी नियंत्रण कानून लागू होने के बाद तस्वीर बदल जाएगी. मसलन, अधिकमत दो बच्चे होंगे. महिलाओं के पास घरेलू कामों के अलावा भी वक्त रहेगा. इस स्थिति में वे परिवार को आर्थिक सहयोग देने का रास्ता तलाश करेंगी. इसके लिए सिलाई, कढ़ाई, बुनाई या दूसरों कामों का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है.

 


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क्या है स्थिति

यह सच है कि इस्लाम में प्रजनन को रोकने की कोशिश पर पाबंदी है। लेकिन व्यवहारिक सच्चाई यह है कि जिंदगी की चुनौतियां ऐसी हैं कि बच्चों की संख्या कम रखने पर ही जोर है, सब जगह। यही वजह है कि देश के 35 जिलों में मुसलमानों की प्रजनन दर नकारात्मक हो गई है और उत्तरप्रदेश जैसे विशाल जनसंख्या वाले सूबे में भी यह दर स्थिर है. यहां तक कि मुसलमानों की अच्छी आबादी वाले राज्यों में प्रजनन दर काफी नीचे जा चुकी है.

संस्था के जरिये करेंगी जागरुक

निदा खान ने सीएम को लिखे पत्र में कहा है कि अपनी संस्था अाला हजरत हेल्पिंग सोसयटी के जरिये जनसंख्या नियंत्रण कानून के बारे में जागरूकता अभियान चलाएंगी. उन्होंने कहा कि अभी तमाम तलाक पीड़िताएं या घरेलू हिंसा की शिकार महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने कानून पर खुशी जाहिर की है.

शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक हालात-सब बेहतर होंगे

निदा खान का मानना है कि इस कानून के लागू होने से औरतों के स्वास्थ्य, बच्चों की बेहतर शिक्षा और परिवार की आर्थिक स्थितियां. इन तीनों में जबरदस्त सुधार देखने को मिलेगा.

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