द लीडर हिंदी। कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट अब भारत में कमजोर पड़ रहा है. इसी की वजह से देश में दूसरी लहर आई थी. लेकिन इस वायरस की वजह से पूरी दुनिया अब परेशान है. क्योंकि इसकी वजह से दुनिया के कई देशों में कोरोना संक्रमण की संख्या नीचे नहीं आ रही है.
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डेल्टा वैरिएंट को पहले B.1.617.2 कहा जाता था
यूनाइटेड किंगडम में डेल्टा वैरिएंट को पहले B.1.617.2 पुकारा जाता था. हाल ही WHO ने सभी वैरिएंट को नाम दिए. जिसमें इस कोरोना वैरिएंट को डेल्टा वैरिएंट बुलाया जा रहा है. इस वैरिएंट को पिछले साल अक्टूबर 2020 को भारत में दर्ज किया गया.
डेल्ट वैरिएंट से आ सकती है तीसरी लहर
ऐसा माना जा रहा है कि, इंग्लैंड में डेल्टा वैरिएंट की वजह से लॉकडाउन में दी गई राहत को इस महीने के अंत तक वापस लिया जा सकता है. क्योंकि ऐसी आशंका है कि, डेल्टा वैरिएंट की वजह से वहां पर संक्रमण की तीसरी लहर आ सकती है.
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डेल्टा वैरिएंट 40% ज्यादा खतरनाक है
यूके के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने कहा कि, डेल्टा वैरिएंट अल्फा वैरिएंट से 40 फीसदी ज्यादा संक्रामक है. यह पूरे इंग्लैंड के लिए चिंता की बात है. वैक्सीन की दो डोज लगा चुके लोग भी इस वैरिएंट की चपेट में वापस आ सकते हैं.
यूके में सबसे ज्यादा खतरनाक डेल्टा वैरिएंट
डेल्टा वैरिएंट फिलहाल यूके में सबसे खतरनाक कोरोना वैरिएंट बनकर सामने आया है. इससे पहले अल्फा वैरिएंट जिसे केंट वैरिएंट भी कहा जाता है, उसकी वजह से यूके में जनवरी में लॉकडाउन लगाना पड़ा था. मैट हैनकॉक ने बताया कि, वैज्ञानिकों ने जांच की है, उसके बाद यह बात पुख्ता की है डेल्टा वैरिएंट अल्फा वैरिएंट से 40 फीसदी ज्यादा संक्रामक है.
#Delta variant '40 percent more transmissible': UK #healthminister https://t.co/rO4KBjQZdn
— Medical Xpress (@medical_xpress) June 6, 2021
लॉकडाउन को खत्म करने की योजना
अब सवाल ये उठ रहा है कि, यूके की सरकार 21 जून से लॉकडाउन को खत्म करने की योजना बना रही है, लेकिन डेल्टा वैरिएंट समेत अन्य कोरोना वैरिएंट्स इस पर पानी फेर सकते हैं.
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डेल्टा वैरिएंट मरीज को गंभीर अवस्था तक पहुंचा रहा
मैट हैनकॉक ने कहा कि, हो सकता है कि हमें कुछ दिन और प्रतबिंध लगा कर रखने पड़े. क्योंकि यह वैरिएंट बेहद खतरनाक है. इसकी चपेट में आने वाले आसानी से बीमार हो रहे हैं. गंभीर अवस्था तक पहुंच जा रहे हैं. इसी वैरिएंट की वजह से भारत में दूसरी लहर आई और उसने काफी भयावह स्थिति दिखाई है.
वैक्सीन की दो डोज ले चुके लोग भी हो सकते है संक्रमित
हैनकॉक ने यह भी कहा कि, कोरोना वैक्सीन की दो डोज लगा चुके लोगों के लिए भी डेल्टा वैरिएंट खतरनाक है. यह उन्हें भी वापस संक्रमित कर सकता है. इसलिए वैक्सीन की डोजेस लेने के बाद भी लोगों को कोरोना संबंधी सुरक्षा नियमों का पालन करते रहना होगा.
The world is struggling to contain the delta variant of coronavirus https://t.co/BJYFvi7w01 pic.twitter.com/vVvZZvK9Ri
— New Scientist (@newscientist) June 7, 2021
यूके ने 2.70 करोड़ लोग ले चुके है दोनों डोज
बता दें कि, यूके ने अब तक 2.70 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज दे दी हैं. यानी उनके देश की आबादी 4 करोड़ में आधे से ज्यादा आबादी का वैक्सीनेशन हो चुका है.
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हैनकॉक ने बताया कि, इस समय यूके की सरकार क्लीनिकल सलाह ले रही है, ताकि वैक्सीनेशन प्रोग्राम को 12 साल तक के बच्चों तक बढ़ाया जा सके. क्योंकि अगर इस उम्र तक के बच्चों का वैक्सीनेशन हो जाएगा तो कोरोना वायरस के कई वैरिएंट्स के संक्रामक फैलाव में कमी आएगी.
WHO ने इन वैरिएंट के नाम बताए
WHO ने 31 मई 2021 को इन वैरिएंट्स के नाम अपनी वेबसाइट पर डाले. ताकि इनकी भयावहता के अनुरूप इन्हें बुलाया जा सके. सिंतबर 2020 में यूनाइटेड किंगडम में मिले B.1.1.7 वैरिएंट को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अल्फा (Alpha) नाम दिया है.
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मई 2020 में दक्षिण अफ्रीका में मिले वैरिएंट B.1.351 को बीटा (Beta) का लेबल मिला है. नवंबर 2020 में ब्राजील में मिले कोविड-19 वैरिएंट P.1 को गामा (Gamma) बुलाया जाएगा. जबकि, भारत में अक्टूबर 2020 में मिले वैरिएंट B.1.617.2 को डेल्टा (Delta) नाम दिया गया है. WHO ने इन सभी कोरोना वैरिएंट्स को VOCs यानी वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न की श्रेणी में रखा है.
The labels do not replace existing scientific names, which convey important scientific information & will continue to be used in research. The naming system aims to prevent calling #COVID19 variants by the places where they are detected, which is stigmatizing & discriminatory. pic.twitter.com/MwWGGMXPjn
— World Health Organization (WHO) (@WHO) May 31, 2021
VOCs कोरोना वायरस के वो स्ट्रेन हैं जिनकी संक्रामकता और खतरनाक म्यूटेशन की वजह से बहुत सारे लोग बीमार हुए हैं. क्लीनिकल डिजीस प्रेजेंटेशन में बदलाव और वायरूलेंस में लगातार बढ़ोतरी भी इनकी पहचान है.
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