अशोक पांडेय
अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के खिलाफ जिस तरह से चीन और रूस एकजुट हो रहे हैं औऱ बाकी मुल्कों को जोड़ कर आर्थिक सामरिक मोर्चा बना रहे हैं उससे दुनिया में एक बार फिर महाशक्तियों का ध्रुवीकरण हो रहा है। एक बार फिर दुनिया एक नए शीत युद्ध की ओर बढ़ रही है
अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के खिलाफ जिस तरह से चीन और रूस ने एकजुटता दिखाई है, उससे दुनिया में एक बार फिर महाशक्तियों के ध्रुवीकरण की आशंका प्रबल हो गई है। चीन और रूस के विदेश मंत्रियों की मुलाकात में दोनों नेताओं ने कहा कि अमेरिका लगातार दोनों देशों के आतंरिक मामलों में दखल दे रहा है। दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद अंतरराष्ट्रीय राजनीति तेज हो गई है। दोनों देशों की निकटता के चलते इस बात की आशंका भी प्रबल हो गई है कि एक बार फिर दुनिया एक शीत युद्ध की ओर बढ़ रही है।
चीन और रूस के इस गठबंधन ने टकराव को और बढ़ा दिया है। चीन और अमेरिका के बीच दक्षिण चीन सागर, हिंद प्रशांत सागर, हांगकांग और ताइवान पर यह टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है।
अमेरिका और यूरोपीय यूनियन (ईयू) के खिलाफ एकजुटता दिखाने के लिए चीन और रूस के विदेश मंत्रियों ने कहा कि आंतरिक मामलों में दखल स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि दोनों देश जलवायु परिवर्तन और कोरोना महामारी जैसे मसलों पर वैश्विक प्रगति के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। चीन और रूस ने यह एकजुटता ऐसे समय दिखाई है, जब पश्चिम ने मानवाधिकारों को लेकर उनके खिलाफ नए प्रतिबंध लगा दिए हैं।
चीनी विदेश मंत्री वांग यी और उनके रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव की यह मुलाकात दक्षिणी चीन के नाननींग शहर में हुई। वांग और सर्गेई ने अमेरिका पर दूसरे देशों के आतंरिक मामलों में दखल देने का आरोप लगाया। वांग ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान शिनजियांग में मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर चीनी अधिकारियों के खिलाफ यूरोपीय यूनियन, ब्रिटेन, कनाडा और अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की कड़े शब्दों में आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘सभी प्रकार के एकतरफा प्रतिबंधों के खिलाफ देशों को एकजुट होना चाहिए।’ जबकि सर्गेई ने कहा कि प्रतिबंधों के चलते रूस और चीन करीब आ गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि वे अपने नियम हर किसी पर थोप रहे हैं।
हांगकांग में नए सुरक्षा कानून और शिनजियांग में वीगर मुस्लिमों पर अत्याचार और जासूसी को लेकर अमेरिका चीन की कई कंपनियों और सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों पर पहले ही प्रतिबंध लगा चुका है। जबकि क्रीमिया पर कब्जे, यूक्रेन में अलगाववादियों का समर्थन करने और आलोचकों पर हमले को लेकर रूस वर्षो से पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का सामना रहा है।
इस बीच चीन के विदेश मंत्री खाड़ी देशों का दौरा कर रहे हैं। चीन यहां से अपनी खपत का 35 फीसद तेल लेता है जो निकट भविष्य में 60 फीसद हो जाएगा। खाड़ी देशों को नया ग्राहक तो चाहिए ही साथ ही वह चीन की मदद से अपने दूसरे उद्योगों को बढ़ाने के साथ ही ढांचागत विकास के लिहाज से भी चीन की मदद के तलबगार हैं। ऐसे में खासकर सऊदी अरब में चीन का व्यापार विस्तार अमेरिका के लिए चिंता का सबब बन सकता है। जाहिर तौर पर चीन इस क्षेत्र में सामरिक सहयोग भी चाह रहा है।