अपराधियों की पहचान से जुड़ा नया विधेयक लोकसभा में पास, जानें इसके बारे में पूरी डिटेल्स

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द लीडर | लोकसभा ने दंड प्रक्रिया पहचान विधेयक 2022 पारित कर दिया है। इस विधेयक में अपराधियों की पहचान और आपराधिक मामलों की छानबीन तथा अपराध से जुड़े मामलों के रिकार्ड रखने की व्‍यवस्‍था है। इसमें उन व्‍यक्तियों की पहचान से जुड़े उपयुक्‍त उपायों को कानूनी स्‍वीकृति देने की व्‍यवस्‍था है, जिनमें अंगुलियों के निशान, हाथ की छाप और पंजों के निशान, फोटो, आंख की पुतली और रेटीना का रिकार्ड और शारीरिक जैविक नमूने तथा उनके विश्‍लेषण आदि शामिल हैं। इससे अपराधों की छानबीन अधिक कुशलता से और जल्‍दी की जा सकेगी। वहीं विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को संसदीय स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की है।

विपक्ष को सिर्फ बलात्कारियों, लुटेरों की चिंता होती है – शाह 

अमित शाह ने कहा कि विपक्ष को सिर्फ बलात्कारियों, लुटेरों की चिंता होती है, लेकिन केंद्र सरकार कानून का पालन करने वालों के बारे में सोचता है, उनके मानवाधिकारों के बारे में सोचता है। बता दें कि विपक्ष का कहना है कि यह बिल मूल अधिकारों और मानवाधिकारों के खिलाफ है। यह बिल निजता के अधिकार के खिलाफ है। लेकिन सरकार का कहना है कि हमे आम नागरिकों के मानवाधिकारों की भी चिंता करनी चाहिए।


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विधेयक के बारे में पांच पॉइंट्स में जानें-

  1. यह विधेयक पुलिस और जेल अधिकारियों को दोषियों के रेटिना और आइरिस स्कैन समेत फिजिकल और बायोलॉजिकल सैंपल जुटाने, रखने और विश्लेषण करने की अनुमति देता है। विधेयक में बताया गया है कि माप को 75 सालों तक रखा जा सकेगा।
  2. विधेयक में हस्ताक्षर, लेखनी और सीआरपीसी की धारा 53 या 53ए के तहत किसी भी तरह की जांच समेत व्यवहार से जुड़ी विशेषताओं को कानूनी रूप से जुटाया जा सकता है।
  3. इसके अनुसार, अगर दोषी मान लेने में किसी तरह का विरोध जताते हैं, तो उसे आईपीसी की धारा 186 के तहत अपराध माना जाएगा। साथ ही तीन महीने की सजा या 500 रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
  4. सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि जो लोग महिलाओं या बच्चों के खिलाफ अपराध में दोषी नहीं पाए गए हैं, वे बायोलॉजिकल सैंपल देने से इनकार कर सकते हैं। 7 साल से कम सजा वाले अपराध के चलते हिरासत में लिए गए लोगों को भी यह अधिकार हासिल होगा।
  5. केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा कि ये प्रावधान केवल ‘जघन्य अपराधों’ के मामले में ही इस्तेमाल किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कानून का लक्ष्य ‘देश की कानून और व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाना है।’

शाह ने विपक्ष पर साधा निशाना

इस दौरान अमित शाह ने विपक्ष पर भी निशाना साधा. अमित शाह ने कहा, विपक्षी सांसद इस बिल को लेकर मानवाधिकारों की बात कर रहे हैं, लेकिन उन्हें आपराधिक मामलों में पीड़ितों के मानवाधिकारों को लेकर भी चिंता दिखानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह विधेयक कानून का पालन करने वाले करोड़ों नागरिकों के मानवाधिकारों के रक्षक के रूप में काम करेगा।

अमित शाह ने डेटा के दुरुपयोग को लेकर कहा कि पूरी दुनिया डेटाबेस का इस्तेमाल कर रही है, हमें भी समय के साथ आगे बढ़ते हुए इसका इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा, पिछले 2.5 साल से डेटाबेस का इस्तेमाल मामलों को सुलझाने के लिए हो रहा है।

अमित शाह ने कहा, अपराधियों का डेटा हार्डवेयर में सुरक्षित रखा जाएगा, जो भी डेटा को मिलान के लिए भेजेगा, उन्हें रिजल्ट दिए जाएंगे। डेटा शेयर नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, यह नया बिल यह सुनिश्चित करेगा कि पुलिस अपराधियों से दो कदम आगे रहे। इसमें कोई आशंका नहीं है कि नए और तकनीकी अपराधों को पुराने तरीके से हल नहीं किया जा सकता।

सात साल से कम सजा पाने वालों का डाटा नहीं लिया जाएगा

अमित शाह ने दंड प्रक्रिया शिनाख्त विधेयक की जरूरत और उपयोग के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि महिलाओं और बच्चों के साथ अपराध को छोड़कर सात साल से कम सजा पाने वाले अपराधियों का बायोमीट्रिक डाटा नहीं लिया जाएगा। लेकिन यदि उनमें से कोई स्वैच्छिक रूप से अपना डाटा देना चाहे तो इसका भी प्रविधान किया गया है।

दुरुपयोग नहीं होने दिया जाएगा

अमित शाह ने यह भी बताया कि इसके तहत जुटाए गए डाटा को सुरक्षित रखने का पुख्ता इंतजाम किया जाएगा। किसी भी स्थिति में इसका दुरुपयोग नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने इस डाटा को सभी एजेंसियों के साथ साझा करने की आशंकाओं को निर्मूल बताया। विधेयक के प्रविधानों से अपराधियों के मानवाधिकार हनन का मुद्दा उठाने पर अमित शाह ने विपक्षी सांसदों को आड़े हाथों लिया। शाह ने साफ कर दिया कि अपराधियों के मानवाधिकार के साथ-साथ उन पीडि़तों का भी मानवाधिकार होता है, जो उसके शिकार हुए हैं।

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