द लीडर : नेपाल के ज़िला बांके की एक स्थानीय अदालत ने ‘शहादत मस्जिद’ के बहुचर्चित विवाद का निपटारा मरक़जे अहले सुन्नत दरगाह आला हज़रत के एक फतवे के आधार किया है. दरअसल, क़रीब 60 साल पहले एक शख्स ने अपनी ज़मीन मस्जिद के लिए वक़्फ (दान) की थी. जहां मस्जिद तामीर हुई. और नमाज़ अदा की जाने लगी. लेकिन इधर उन्हीं शख्स के पौत्र यानी पोते ने मस्जिद पर अपना दावा ठोक दिया. ये कहते हुए कि ये उनकी निजी संपत्ति है. जिसे चाहेंगे उसे नमाज़ पढ़ने की इजाज़त देंगे. (Dargah Ala Hazrat Nepal Court)
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इस पर विवाद बढ़ गया. मामला बांके कोर्ट पहुंचा. चूंकि मसला सुन्नी मुसलमानों से जुड़ा था, जिनका जुड़ा सुन्नी-बरेलवी विचार से था. दरगाह के प्रवक्ता नासिर कुरैशी के मुताबिक़, इसलिए अदालत ने इस मामले में सुन्नी बरेलवी मुसलमानों के मरकज़, जोकि यूपी के ज़िला बरेली में है. वहां से फतवा लाने को कहा. अदालत के अादेश पर दोनों पक्ष 14 फरवरी को बरेली पहुंचे.
जहां आला हज़रत के मदरसा मंजरे इस्लाम के टीचर मुफ़्ती मुहम्मद सलीम नूरी से संपर्क किया कया. 17 फरवरी को मंज़रे इस्लाम दारूल इफ़्ता के मुफ़्ती मुहम्मद अफरोज आलम नूरी, मुफ़्ती सय्यद कफील अहमद हाशमी, मुफ़्ती मुहम्मद अय्यूब खां नूरी और मुफ्ती मुहम्मद सलीम नूरी ने दरगाह के प्रमुख मौलाना सुब्हानी मियां आर सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां ने शरई तौर पर इस मस्जिद के विवाद का निपटारा करते हुए फतवा दिया. (Dargah Ala Hazrat Nepal Court)
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ये फतवा कोर्ट में जमा किया गया. जिसके आधार पर बांके की कोर्ट ने फैसला सुनाया कि, इस्लाम में मस्जिद निजी नहीं होती है. किसी भी मुसलमान को मस्जिद में नमाज अदा करने से नहीं रोका जा सकता है. इस तरह मस्जिद का ये विवाद हल हुआ. (Dargah Ala Hazrat Nepal Court)
इस पर नेपाल से सुन्नी उल्मा का प्रतिनिधि मंडल जिसमें मुफ्ती कैफुलवराह, कारी अज़मत, शकील अहमद, कलामुद्दीन, मंसूर अली, कौसर अली, मुहम्मद आरिफ बाग़वान और मुफ्ती अनवर रज़ा शामिल थे. बरेली आए. दरगाह प्रमुख, सज्जादानशीन और मरकज़ के मुफ्तियों का शुक्रिया अदा किया. तंज़ीम उल्मा ए इस्लाम के महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने इनका स्वागत किया और आला हज़रत की किताबें दीं.
खानकाहे रज़विया दरगाह आला हज़रत जोकि सुन्नी-सूफी खानकाही विचार से जुड़े मुसलमानों का केंद्र है. जिसकी ख्याति दुनिया भर में है. धार्मिक मसलों को यहां के मुफ़्ती शरई तौर पर फतवों के जरिये निपटाते हैं.
इधर नेपाल में भी इसी विचार से जुड़े मुसलमानों की अच्छी तादाद है. पिछले कुछ अरसे से दरगाह से नेपाल में लगातार काम किया जा रहा है. लॉकडाउन के दरम्यान नेपाल में दरगाह से बड़े पैमाने पर राहत कार्य किया गया था. (Dargah Ala Hazrat Nepal Court)