द लीडर | पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने 34 साल पुराने रोड रेज मामले में आज पटियाला सेशन कोर्ट में सरेंडर कर दिया है. उनको सुप्रीम कोर्ट ने 1 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. इससे पहले उन्होंने रोड रेज मामले में सरेंडर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से समय देने का अनुरोध किया था. इसपर जस्टिस ए एम खानविलकर की बेंच ने सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस एन वी रमना के पास जाने को कहा था.
#WATCH | 1988 road rage case: Congress leader Navjot Singh Sidhu reaches Patiala Court in Punjab.
Supreme Court had yesterday imposed one-year rigorous imprisonment on him in the three-decade-old road rage case. pic.twitter.com/iHu3bmbOls
— ANI (@ANI) May 20, 2022
हालांकि आज एससी में चीफ जस्टिस ने किसी भी मामले की मेंशनिंग सुनने से मना किया था ऐसे में सिद्धू की याचिका पर आज सुनवाई नहीं पाई जिस वजह से उन्होंने पटियाला सेशन कोर्ट में सरेंडर कर दिया. समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार वह कुछ देर पहले कोर्ट के अंदर प्रवेश करते दिखाई दिए थे.
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सजा के बाद क्या बोले थे सिद्धू ?
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को नवजोत सिद्धू को 1988 के रोड रेज मामले में एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी. इस घटना में 65 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. शीर्ष अदालत ने कहा था कि कम सजा देने के लिए किसी भी तरह की सहानुभूति न्याय प्रणाली को अधिक नुकसान पहुंचाएगी और कानून के प्रभाव को लेकर जनता के विश्वास को कमजोर करेगी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस नेता सिद्धू ने ट्वीट किया था, ‘‘कानून का सम्मान करूंगा.’’
जानें क्या 1988 का पूरा मामला
बता दें कि सिद्धू के खिलाफ रोडरेज का मामला साल 1988 का है. सिद्धू का पटियाला में पार्किंग को लेकर 65 साल के गुरनाम सिंह नामक बुजुर्ग व्यक्ति से झगड़ा हो गया. आरोप है कि उनके बीच हाथापाई भी हुई. जिसमें सिद्धू ने कथित तौर पर गुरनाम सिंह को मुक्का मार दिया था. बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई. पुलिस ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया.
इसके बाद मामला अदालत में पहुंचा. सुनवाई के दौरान सेशन कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को सबूतों का अभाव बताते हुए 1999 में बरी कर दिया था. इसके बाद पीड़ित पक्ष सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गया. साल 2006 में हाईकोर्ट ने इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को तीन साल कैद की सजा और एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी.