द लीडर हिंदी: क्यों थम गए तरक़्क़ी की दौड़ में ये बढ़े-बढ़े से क़दम. कभी सोचा है-शिकवे, शिकायतों के आगे जहां और भी हैं. वो जहां हम पहुंच नहीं पा रहे हैं. क्यों, इसलिए कि वहां जाने की कोशिश ही नहीं हो रही है. देश के 20 करोड़ से ज़्यादा मुसलमानों में वहां मौजूदगी दर्ज करा रहा है सिर्फ़ एक नौजवान, जहां से तक़दीर और तस्वीर बदलने का रास्ता हमवार होगा.मैं वसीम अख़्तर बग़ैर किसी लागलपेट आपको उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान लिए चलता हूं….