MP : मुशायरे की महफिलें सूनीं और 36 लाख का बिल, मंजर भोपाली बोले-सीएम साहब ये सितमगरी ठीक नहीं

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MP Shayar Manjar Bhopali Chief Minister Joke With Poet Not Right
सीएम शिवराज सिंह चौहान. बिजली बिल दिखाते शायर मंजर भोपाली.

द लीडर : तुम भी पियो, हम पिएं रब की मेहरबानी, प्यार के कटोरे में गंगा का पानी…हिंदुस्तानी तहजीब पर ये बेहतरीन नज्म लिखने और पढ़ने वाले मशहूर शायर मंजर भोपाली की जुबां पर लॉकडाउन का दर्द उभर आया है. वो भी बिजली के बहाने. दरअसल, उनके घर का एक महीने का बिजली बिल 36.86 लाख रुपये आया. जिसे देखकर वे दंग रह गए. और बोल उठे, एमपी गजब है-अजब है. माननीय मुख्यमंत्री जी कोरोनाकाल में एक शायर के लिए इस तरह का मजाक ठीक नहीं है.

रविवार को मंजर भोपाली बिजली बिल के साथ अपने फेसबुक पेज पर एक फोटो शेयर की. जिसमें उन्होंने लिखा-एमपी गजब है-अजब है. इस नारे की सच्चाई ये 36, 86,660 रुपये का मेरे घर का एक महीने-मई का इलेक्ट्रिक बिल दर्शाता है. माननीय मुख्यमंत्री जी इस तरह का मजाक वो भी कोरोनाकाल में एक शायर के लिए ठीक नहीं है. लॉकडाउन और कोविड की वजह से शायर के कलम की स्याही तक सूख चुकी है. ऐसे में ये 36 लाख रुपये कहां से भरे जाएं. ये बिल रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचारी का खुला दावतनामा है.


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भोपाली ने सीधे तौर पर इस भारी-भरकम बिल को भ्रष्टाचार का कारण बताया है. उनके इस बिल को लेकर लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. जिसमें राम मदन यादव ने कहा-ठीक से कह नहीं सकता कि अब आपको बाबू से लेकर इंजीनियर तक के चक्कर काटने पड़ेंगे. वो भी न जाने कितने दिन खराब करने पड़ें. ये हमारे देश की कार्यप्रणाली है, जब चाहें लाइन में लगवा दें.

मंजर भोपाली, भोपाल में रहते हैं. वे उर्दू शायर हैं. उनकी नज्म और गीतों के लोग दीवाने हैं. ऐसी ही उनकी एक नज्म है.

कोई बचने का नहीं सबका पता जानती है
किस तरह आग लगाना है हवा जानती है,
उजले कपड़ों में रहो या कि नकाब डालो
तुमको हर रंग में ये खल्क-ए-खुदा जानती है.
रोक पाएगी न जंजीर न दीवार कोई
अपनी मंजिल का पता आह-ए-रसा जानती है.
टूट जाऊंगा, बिखर जाऊंगा, हारूंगा नहीं
मेरी हिम्मत को जमाने की हवा जानती है.
आप सच बोल रहे हैं तो पशेमां क्यूं हैं
ये वो दुनिाय है जो अच्छों को बुरा जानती है.
आंधियां जोर दिखाएं भी तो क्या होता है
गुल खिलाने का हुनर बाद-ए-सबा जानती हैं.
आंख वाले नहीं पहचानते उसको मंजर
जितने नजदीक से फूलों की सदा जानती है.

भोपाली ने बिजली बिल को लेकर जो कुछ कहा है-उससे ज्यादा वो अपनी इस नज्म में कह चुके हैं.

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