सांसद शफीकुर्रहमान बर्क का विवादित बयान, कहा- शादी की उम्र सीमा बढ़ाने से ज्यादा आवारगी करेंगी लड़कियां

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द लीडर। जहां एक तरफ केंद्र सरकार ने लड़कियों के शादी की न्यूनतम कानूनी उम्र को बढ़ाकर पुरुषों के बराबर करने का फैसला किया है. तो वहीं कई लोग सरकार के इस फैसले का स्वागत कर रहे है तो कहीं इस फैसले का विरोध किया जा रहा है. बता दें कि, महिलाओं की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी को लेकर समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क का विवादित बयान सामने आया है.

सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा कि, लड़कियों की शादी की उम्र सीमा बढ़ाने से वो और ज्यादा आवारगी करेंगी. बता दें, गुरुवार को कैबिनेट ने लड़कियों की शादी की उम्र सीमा लड़कों के बराबर यानी 21 साल करने वाले प्रस्ताव को मंजूरी दी है.


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विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं शफीकुर्रहमान

संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क अपने विवादित बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. इससे पहले उन्होंने अफगानिस्तान में तालिबान पर कब्जे की तुलना भारत में ब्रिटिश राज से कर दी थी. सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा था कि हिंदुस्तान में जब अंग्रेजों का शासन था और उन्हें हटाने के लिए हमने संघर्ष किया, ठीक उसी तरह तालिबान ने भी अपने देश को आजाद किया.

लड़कियों के शादी की उम्र 18 से बढ़कर 21 हुई

बता दें कि, पहले लड़कियों के शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल थी लेकिन अब इसे बढ़ाकर 21 साल किया जा सकता है. कैबिनेट ने बुधवार को लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी. वहीं केंद्र सरकार ने अब ऐलान किया है कि, अगले हफ्ते ही इससे जुड़े बिल को लोकसभा में पेश किया जाएगा. बता दें कि, सरकार अगले हफ्ते ही इससे जुड़े बिल को लोकसभा में पेश किया जाएगा. इसके अलावा चुनाव सुधारों से जुड़े बिल को भी अगले हफ्ते ही पेश किया जाएगा.

केंद्र सरकार ने कहा कि, वह अगले हफ्ते इन दोनों बिलों को पारित भी करवाना चाहती है. वहीं संसदीय कार्य मंत्री बी मुरलीधर ने राज्यसभा में भी जानकारी दी है कि अगले हफ्ते इस बिल को लाया जाएगा. लड़कियों की शादी की उम्र बढाने से जुड़े बिल का नाम ‘बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021’ होगा. इसके ज़रिए बाल विवाह अधिनियम, 2006 में बदलाव किया जाएगा. बिल के ज़रिए भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, 1872, पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936, मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937, विशेष विवाह अधिनियम, 1954, हिंदू विवाह अधिनियम, 1955, विदेशी विवाह अधिनियम, 1969 में भी बदलाव किए जाएंगे.


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