The leader Hindi: बरेली की कमिश्नर संयुक्ता समद्दार की कोशिश रंग लाई हैं. कमिश्नर की बदौलत तीन माह से उटका काम तीन दिन में हो गया. मोरबी के झूले वाले पुल की तरह ख़तरा बने क़िला पुल की मरमत का रास्ता साफ़ हो गया. 4 करोड़ 88 लाख 92 हज़ार रुपये का बजट मंज़ूर हो गया है. अगले सप्ताह काम शुरू हो जाएगा. फ़िलहाल इस पुल पर भारी वाहनों का संचालन हादसे की आशंका को सामने रखते कमिश्नर ने दो दिन पहले तब रुकवा दिया था. जब वो निरीक्षण करने के लिए पहुंची थीं. दरअसल शासन से अलर्ट आने के बाद कमिश्नर को लगा कि कहीं 47 साल पुराने क़िला पुल पर गुजरात के मोरबी जैसा कोई हादसा नहीं हो जाए.
सिटी से जोड़ने वाले इस पुल रामपुर, बदायूं और बरेली से दिल्ली की तरफ़ जाने वाले भारी वाहन गुज़रते हैं. लोकल का ट्रैफिक भी बहुत ज़्यादा रहता है. यही वजह थी कि कमिश्नर पुल के फिर से नहीं बन पाने और मरम्मत नहीं होने से हैरान रह गईं. तब जबकि अफ़सरों ने मौक़े पर उन्हें यह भी बता दिया कि दो साल पहले ही पुल को लोकनिर्माण विभाग ने जर्जर घोषित कर दिया है. कमिश्नर ने फ़ौरन एक्शन लेते हुए पुलिस से बात करके हैवी ट्रैफिक का पुल से गुज़रना बंद करा दिया. दूसरा काम यह किया कि मरम्मत के लिए क़रीब 5 करोड़ का जो बजट अटका हुआ था, उसे मंज़ूर कराने के लिए शासन स्तर पर प्रयास शुरू कर दिए. तीन दिन में ही कमिश्नर की मेहनत सफल हुई है.
द लीडर हिंदी ने भी पुल को लेकर ग्राउंड रिपोर्ट की थी. तब आसपास के दुकानदारों ने बताया था कि जब ऊपर भारी वाहन ग़ुज़रते हैं तो नीचे पुल कांपने लगता है. बहरहाल पैसा मंज़ूर होने के बाद लोकनिर्माण विभाग ने टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी है. कमिश्नर ने बताया कि प्रमुख सचिव से बात करने के बाद बजट रिलीज़ हो रहा है. 100 दिन के भीतर ही क़िला पुल की मरम्मत का काम पूरा कराने का टारगेट तय कर दिया है. साथ ही ट्रैफिक पुलिस को निर्देश दिए हैं कि पुल पर किसी भी दशा में जाम नहीं लगने देने की व्यवस्था की जाए. कमिश्नर ने एक काम और भी किया है. विभागों से सभी जर्जर पुलों की रिपोर्ट मांग ली है.
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