असम हिंसा के खिलाफ देशभर में सड़क पर विरोध दर्ज कराते अल्पसंख्यक, दरांग एसपी से जमीयत उलमा की मुलाकात

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Minorities Protests Assam Violence
असम घटना के खिलाफ विरोध दर्ज कराते छात्र और एक्टिविस्ट.

द लीडर : असम के दरांग जिले की घटना को लेकर देशभर में विरोध-प्रदर्शन जारी हैं. स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑग्रेनाइजेशन ऑफ इंडिया (SIO) ने बंगाल में विरोध मार्च निकाला है. यूपी, बिहार, दिल्ली, असम से लेकर दूसरी जगहों पर भी एक्टिविस्ट, छात्र पुलिस एक्शन पर कड़ा विरोध दर्ज करा रहे हैं. और पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग उठा रहे हैं. रविवार को जमीयत उलमा-ए-हिंद का एक प्रतिनिधि मंडल दरांग जिले के डिप्टी कमिश्नर और एसपी से मिला.(Minorities Protests Assam Violence)

दरांग के सिपाझर इलाके में सरकार ने 800 मकान गिरा दिए हैं. इस आरोप में कि यहां अतिक्रमण करके घर बनाए गए थे. यहां अधिकांश मुस्लिम समाज के लोग आबाद थे. सरकार की कार्रवाई के खिलाफ ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया. 23 सितंबर को पुलिस ने शांतिपूर्वक प्रोटेस्ट पर फायरिंग कर दी. जिसमें मोईनुल हक और शेख फरीद मारे गए हैं, जबकि दर्जनों घायल हैं.

28 साल के मोईनुल हक के सीने में गोली मारी गई है. बाद में उनकी लाश को पुलिसकर्मी पीटते रहे. और एक फोटोग्राफर मोईनुल की सीने पर कूदता है-गले में घूंसा मारता है.


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ये सब ऑन कैमरा होता है. इस विभत्स हादसे की वीडियो वायरल हो गई. जिसे देखकर हर कोई दहल गया है. इतना ही नहीं, मोईनुल हक के पिता का आरोप है कि बाद में उनकी लाश को जेसीबी से लटकाया गया. पुलिसकर्मी उसे घसीटकर ले गए. और डंडे मारते रहे.

असम के इसी अमानवीय चेहरे के खिलाफ जनाक्रोश है. जिसको लेकर लगातार विरोध जारी है. दरांग जिले के एसपी मुख्यमंत्री हिमंता बिस्पा सरमा के भाई सुशांता बिस्वा सरमा हैं. इसलिए ग्रामीणों पर पुलिस के इस एक्शन को लेकर और कड़े सवाल उठाए जा रहे हैं. (Minorities Protests Assam Violence)

दूसरी तरह सरकार इसमें दूसरे एंगल जोड़ रही है. इस तर्क के साथ कि पुलिस कार्रवाई से पहले पीएफआइ के लोग राहत सामग्री लेकर आए थे. लेकिन जिस तरह के वीडियो सामने आए हैं. उसमें पुलिसकर्मी और फोटोग्राफर जिस अमानवीयता के साथ मोईनुल हक को मार रहे हैं-उसे देखकर शायद ही कोई दूसरे तर्कों से सहमत हो.

पुलिस कार्रवाई में मारे गए मोइुनल हक की बेटी, अपने परिवार के बीच बिलखते हुए.

घटना को लेकर जमीयत उलमा-ए-हिंद के साथ ही दूसरे संगठनों ने भी उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. इसी सिलिसले में जमीयत उलमा के पदाधिकारी एसपी और डिप्टी कमिश्नर से मिले. और पीड़ितों के हक में उनकी बात रखी है.

अल्पसंख्यकों के खिलाफ पुलिस के रवैये की तीखी आलोचना की जा रही है. बता दें कि असम सरकार ने राज्य में 77,000 बीघा जमीन पर अवैध अतिक्रमण बताया है. जिसे खाली कराने का अभियान चलाया जा रहा है. इसी कड़ी में सिपाझर के धालपुर इलाके में 800 घर खाली कराए गए थे. इसके बाद प्रदर्शन पर पुलिस ने फायरिंग कर दी थी.

इस घटना को लेकर मीडिया के एक हिस्से में इस तरह की खबरें कवर की गईं कि सरकार ने अवैध नागरिकों से जमीन खाली कराई है. जबकि मोईनुल की मौत के बाद उनका आधार कार्ड और एनआरसी में पंजीयन होने के तथ्य सामने प्रकाश में आए हैं. (Minorities Protests Assam Violence)

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