लोकतंत्र और राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा को कल भारत बंद

0
358
Goodwill Day farmers

सरकार और किसानों के बीच जंग तेज होती जा रही है। मामला कृषि कानूनों को रद कराने तक सीमित नहीं रहा। राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं को घेरे बैठे किसानों ने ऐलान किया है कि 27 सितंबर को लोकतंत्र और राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा के लिए देशव्यापी भारत बंद होगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी भारतीय नागरिकों से किसान-विरोधी मोदी सरकार के खिलाफ ऐतिहासिक भारत बंद में शामिल होने की अपील करने के साथ राज्य सरकारों से भी बंद में समर्थन देने की अपील की है। (Bharat Band Protect Democracy)

27 सितंबर को भारत बंद की सरगर्मियां देशभर में जारी हैं। किसान संगठनों के अलावा तमाम अन्य सामाजिक और श्रमिक संगठन भी शामिल हाेने के साथ आम लोगों को जोड़ने की कोशिश में जुटे हुए हैं। भाजपा नेताओं को उत्तर भारत में तीखे विरोध का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा नेताओं को उत्तर भारत में तीखे विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी) ने 27 सितंबर को एसकेएम द्वारा बुलाए गए भारत बंद को समर्थन देते हुए एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। एआईबीओसी ने भारत सरकार से आंदोलनकारी किसानों के साथ उनकी मांगों पर बातचीत फिर से शुरू करने और 2020 के किसान-विरोधी कानूनों को रद्द करने का भी आग्रह किया।

किसान आंदोलन के समर्थन में और 27 सितंबर के भारत बंद को सफल बनाने के लिए राजस्थान के हनुमानगढ़ में किसान जागृति अभियान चलाया है। अभियान में दो दिनों में आठ किसान सम्मेलन किए गए। झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गुजरात, ओडिशा और अन्य राज्यों में तैयारी बैठकें हो रही हैं। पटना में मोटरसाइकिल रैली की गई। (Bharat Band Protect Democracy)

प्रयागराज के घोरपुर में किसान पंचायत में किसान आंदोलन की मांगों को लेकर भारी जनसैलाब उमड़ा। इस दरम्यान महिलाओं ने मनरेगा के तहत कार्यदिवसों को बढ़ाकर 200 दिन करने की मांग की, साथ ही मजदूरी दरों में 500 रुपये की वृद्धि, पीडीएस खाद्य राशन में वृद्धि की भी मांग की। बुंदेलखंड और मध्य प्रदेश की सीमा से लगे पूर्वी उत्तरप्रदेश के गंगा-जमुना क्षेत्र के ट्रांस-जमुना क्षेत्र से हजारों किसान और श्रमिक किसान पंचायत में शामिल हुए।

एसकेएम ने कहा, हम पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में भाजपा और सहयोगी दलों के नेताओं के खिलाफ स्थानीय विरोध के बारे में रिपोर्ट करते रहे हैं। स्थानीय किसानों द्वारा किया जा रहा ये काले झंडे का विरोध न केवल भाजपा और सहयोगी दलों के पदाधिकारियों, विधायकों और सांसदों के खिलाफ है, बल्कि इन राज्यों में राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ भी है।

ग्वालियर में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का भी काले झंडे दिखाकर विरोध किया गया। काले झंडे वाले वाहनों पर चढ़कर विरोध कर रहे युवकों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। 24 सितंबर को कुरुक्षेत्र में विरोध प्रदर्शन करने वाले कई किसानों की गिरफ्तारियां की गईं, जिससे किसान गुस्से में हैं। (Bharat Band Protect Democracy)

मोर्चा की ओर जारी बयान में यह भी कहा गया, जब से यह आंदोलन शुरू हुआ है, तब से कई भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस आंदोलन का समर्थन करने के लिए साहसपूर्वक आवाज उठाई है, और कुछ पार्टी को छोड़ भी चुके है, या पार्टी से निकाले जाने तक आवाज उठाई है। ताजा घटनाक्रम में, पंजाब के बरनाला में भाजपा युवा मंडल अध्यक्ष ने पार्टी छोड़ दी और राज्य के किसान संगठन भाकियू कादियान में शामिल हो गए।

आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने भारत बंद के लिए जारी अपील में कहा है कि किसानों का विरोध अब देश की अर्थव्यवस्था पर कॉरपोरेट कब्जे को रोकने, राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा, भारतीय संघ को बचाने, लोकतंत्र की बहाली और भारत की एकजुटता की रक्षा के लिए राष्ट्रीय आंदोलन का केंद्र बन चुका है।

एसकेएम ने बंद के दिन मजदूरों, व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों, व्यवसायियों, छात्रों, युवाओं और महिलाओं के सभी संगठनों और सभी सामाजिक आंदोलनों से किसानों के साथ एकजुटता दिखाने की विशेष रूप से अपील की। (Bharat Band Protect Democracy)

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा- “हम सभी राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों का भी आह्वान करते हैं, जिनमें से कई ने हमारे पहले के आह्वान का समर्थन किया है और आंदोलन का समर्थन करने वाले प्रस्ताव पारित किए हैं, इस भारत बंद को अपना समर्थन दें और लोकतंत्र और संघीय सिद्धांतों की रक्षा के लिए किसानों के साथ खड़े हों। हमारी स्थापित नीति का पालन करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ मंच साझा नहीं करेंगे।

गौरतलब है, इससे पहले भी संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा बंद के आह्वान का समर्थन करने के लिए कुछ राज्य सरकारों ने किया था।

मोर्चा नेताओं ने कहा कि असाधारण व्यक्तियों द्वारा जोश और धैर्य के साथ शामिल होने से इस आंदोलन को मजबूती मिली है। उत्तराखंड के रुद्रपुर में एक प्रतिबद्ध प्रदर्शनकारी सतपाल सिंह ठुकराल वर्तमान आंदोलन में शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए नंगे पांव टिकरी बॉर्डर से पैदल चलकर पहुंचे थे।

ठुकराल ने कसम खाई थी कि जब तक सरकार 3 काले कानूनों को निरस्त नहीं करेगी, वह नंगे पैर चलेंगे और अनाज भी नहीं खाएंगे। वह 27 फरवरी से सिर्फ दूध और फलों का सेवन कर रहे हैं।


यह भी पढ़ें: दूर कर लें हर गलतफहमी, ये हैं तीनों नए कृषि कानून


(आप हमें फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here